देश के सबसे निचले तबके पर काम कर रहे व्यक्तियों के लिए आज राहत की खबर आई। उनके वेतन को बढ़ा दिया गया है। अब देश के इस सबसे कमजोर कड़ी का वेतन 16 हजार रु0 से बढ़ा कर 50 हजार रु0 कर दिया गया है।
सांसद कहे जाने वाले इन व्यक्तियों को देश की सबसे कमजोर कड़ी के रूप में इसी कारण परिभाषित किया है क्योंकि पिछले दिनों संसद में इस बात का रोना रोया जा रहा था कि जो पूर्व सांसद हैं वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं और इतने कमजोर हैं कि अपना इलाज भी सही रूप से करवा पाने में सक्षम नहीं हैं। (शायद यही डर अटल जी को भी रहा होगा तभी उन्होंने अपने प्रधानमंत्रित्वकाल में ही अपने घुटनों का इलाज करवा लिया।)
हो सकता है कि पूर्व सांसदों के पास आज के सांसदों की तरह की सुख-सुविधाएँ न होतीं हों पर वेतन वृद्धि के लिए सांसदों के पास यही मुद्दा नहीं था, उनका एक और रोना था कि सांसदों का वेतन एक क्लर्क से भी कम है।
अब कही बात, यहाँ तो किसी को भी असहमति नहीं होनी चाहिए। बेचारे देश के सांसद और वेतन एक क्लर्क से कम रह जाये, नहीं भई, अन्याय है यह। इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले सांसद भूल गये कि एक वर्ष में लाखों रुपये के फोन, बिजली, पानी के भत्तों के साथ ही मुफ्त यात्रा का भी (साथ में परिवार का भी) इंतजाम बना रहता है। देश के विकास में कुछ भागीदारी भले ही न निभा पायें पर नई-नई तकनीक और उपाय सीखने के लिए विदेश अवश्य जाते हैं। (शायद ये सारी सुविधाएँ भी देश के एक साधारण से क्लर्क को भी हासिल हैं?)
वेतन वृद्धि तो हो गई पर रूठे हुए सजन अभी भी मुँह फुलाए घूम रहे हैं क्योंकि उन्हें 50 हजार की संख्या रास नहीं आ रही है। हद हो गई आखिर मिलजुल कर भी वेतन वृद्धि करना थी फिर भी आँकड़ा मात्र 50 हजार पर टिका पाये। और थोड़ा सा जोर लगा देते तो कम से कम एक लाख तक तो पहुँचा ही दिया जाता।
इस वेतन वृद्धि के बाद देश के सांसद अपने आप में गर्व का एहसास कर रहे होंगे और हमें भी एक भारतवासी होने के नाते गर्व करना चाहिए कि कम से कम हमारे सांसदों के पास कोई तो ऐसा मुद्दा और विषय है जिस पर वे एकजुट हो जाते हैं। शेष तो सत्ता परिवर्तन के विषय हैं। गर्व करो कि हम भारत देश में हैं और देश के विकास के नाम पर संसद से लगातार वॉकआउट करते सांसदों में कहीं तो एकजुटता है।
जय सांसद, जय भारत,
कोउ हमाओ का उखारत।
कोउ हमाओ का उखारत।
हा हा हा... मारा कम फचीटा ज्यादा है चाचा जी.. :)
जवाब देंहटाएंजय सांसद, जय भारत,
जवाब देंहटाएंकोउ हमाओ का उखारत।
जय हो,कोउ नई उखार सकत
इतनी सुविधा के बाद भी ये लोग देश को लूटना नहीं छोड़ेगें।अगर ये भ्रष्टाचार करना छोड़ दें तो इनकी तनखा 1,50,000 कर देनी चाहिए। लेकिन सुधरेंगे नहीं, बोनस कौन छोड़ता है।
जय बुंदेलखंड
जय छत्तीसगढ
जय हिंद
ek hain jo kah rahe hain ki genhoo kisii gareeb ko nahin denge aur ek taraf vetan kii maang>
जवाब देंहटाएंjay ho jay ho
rakesh kumar
ek hain jo kah rahe hain ki genhoo kisii gareeb ko nahin denge aur ek taraf vetan kii maang>
जवाब देंहटाएंjay ho jay ho
rakesh kumar
वाकई सुन्दर,
जवाब देंहटाएंदेश का हाल छोड़ कर ये खुद को मालामाल करने में लगे हैं. लानत है इन पर.
पता नहीं देश के नेताओं को कब सद्बुद्धि आएगी?
वाकई सुन्दर,
जवाब देंहटाएंदेश का हाल छोड़ कर ये खुद को मालामाल करने में लगे हैं. लानत है इन पर.
पता नहीं देश के नेताओं को कब सद्बुद्धि आएगी?
achchha likha hai par dekhne sunane wale to andhe-bahre hokar baithe hain.
जवाब देंहटाएंise hi kahte hain chor-chor mausere bhai.
achchha likha hai par dekhne sunane wale to andhe-bahre hokar baithe hain.
जवाब देंहटाएंise hi kahte hain chor-chor mausere bhai.
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !