28 अगस्त 2023

सोशल मीडिया की भेड़चाल से बचने की आवश्यकता

वर्ष 2021 का समय था जबकि खबर आई थी कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रसिद्द सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक को Meta (मेटा) के नाम से जाना जाएगा. इस नाम परिवर्तन पर कम्पनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि हम इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक ही सीमित नहीं रखना चाहते हैं. अब जो हम करने जा रहे हैं, उसके लिए नए नाम के साथ आगे जाने की आवश्यकता है. मेटा का अर्थ ग्रीक भाषा में होता है हद से पार, कम्पनी के द्वारा नाम बदलने को लेकर एक कारण यह भी रहा कि वे इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहीं आगे एक वर्चुअल दुनिया में ले जाना चाहते हैं. इसमें कम्पनी एक ऐसी वर्चुअल दुनिया बना रही है जहाँ लोग अपने कमरे में बैठकर एक समय में कई जगहों पर वर्चुअली रूप से अलग-अलग काम कर सकते हैं. इंटरनेट की इस नई दुनिया को मेटावर्स का नाम दिया गया है.

 



कम्पनी के सीईओ ने खुद इसका नाम बदलकर इसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से कहीं और आगे ले जाने का सपना देखा जबकि इसी प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रिय लोग भेड़चाल में फँसे हुए हैं. सोशल मीडिया पर आये दिन एक तरह की भेड़चाल शुरू होती है, जहाँ पर बिना सोचे-समझे इसके उपयोगकर्ता उसके अंधानुकरण में लग जाते हैं. आप सभी ने गौर किया होगा कि आये दिन सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह की पोस्ट तेजी से वायरल होती हैं जिसमें किसी विशेष तारीख को रात के कॉस्मिक किरणों के पृथ्वी के करीब से गुजरने से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नुकसान होने, पृथ्वी को खतरा होने की बात कही जाती है. किसी पोस्ट में किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चे के इलाज के लिए धन का एकत्रण लाइक, शेयर आदि के द्वारा किया जाता है. कभी किसी लापता बच्चे को खोजने का निवेदन होता है, कभी किसी के गुम हुए कागजात के बारे में पोस्ट वायरल होती है. सोशल मीडिया पर एकदम से फ्री बैठा उपयोगकर्ता बिना कुछ आगा-पीछा सोचे ऐसी पोस्ट को शेयर करने में लग जाता है. आजकल इसी तरह की भेड़चाल सोशल मीडिया पर दिखाई दे रही है जहाँ पर मुफ्त में इस्तेमाल किये जा रहे प्लेटफ़ॉर्म को ही नोटिस देने वाली पोस्ट बुरी तरह से छाई हुई हैं.  

 

तेजी से और बुरी तरह से वायरल होती इस पोस्ट में फेसबुक को अपनी निजता का उल्लंघन न करने, अपनी फोटो, वीडियो आदि के सार्वजनिक न किये जाने के सम्बन्ध में चेतावनी, नोटिस दिए जा रहे हैं. आईपीसी की विशेष धारा का उल्लेख करते हुए फेसबुक पर कार्यवाही करने की बात इस पोस्ट में है. निजता के उल्लंघन न करने की, फोटो, वीडियो आदि को सार्वजनिक न करने की बात को लिखने वालों ने कभी विचार किया है कि इंटरनेट पर किसी भी प्लेटफ़ॉर्म का जब भी उपयोग किया जाता है तो उसकी बहुत सारी शर्तों, नियमों पर अपनी अनुमति दी जाती हैं. क्या कभी इन नियमों या शर्तों को पढ़ने की फुर्सत निकाली गई? क्या किसी भी प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने के पूर्व उसकी चरणबद्ध प्रक्रिया को पूरा करने की जल्दबाजी में हम सबने अपनी सहमति देने के पहले उनको पढ़ने की, समझने की कोशिश की?

 

आखिर हम सभी मुफ्त के ऐसे तमाम सारे एप्लीकेशन का उपयोग करने, उस प्लेटफ़ॉर्म पर अपने आपको सर्वाधिक सक्रिय दिखाने की अतिशय जल्दबाजी में भुला बैठते हैं कि अपने उपकरण में, चाहे वह कम्प्यूटर हो या फिर मोबाइल, हम ही उस सॉफ्टवेयर को भीतर तक झाँकने की अनुमति देते हैं. उसको अपने कॉन्टेक्ट्स, अपनी गैलरी, अपनी लोकेशन, अपना कैमरा, अपना माइक आदि का उपयोग करने की अनुमति देते हैं. ऐसा करने के बाद ही सम्बंधित एप्लीकेशन हमारे उपकरण में इंस्टॉल होती है और उसके बाद ही हम उसका उपयोग कर पाते हैं. ऐसा करने के बाद हमारे हाथ में निजता जैसी, गोपनीय जैसी कोई बात रह नहीं जाती है. सोशल मीडिया के मुफ्त में मिलते प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने की चाहत में हम स्वयं ही अपनी गोपनीयता, अपनी निजता किसी दूसरे सॉफ्टवेयर के हाथों में थमा देते हैं. अब पूर्व में दी गई हमारी अनुमति के आधार पर वह हमारे उपकरण में सेंधमारी करता रहता है; हमारी सक्रियता पर निगाह रखता है; हमारे क्रियाकलापों को देखता रखता है. क्या आपने कभी इस पर गौर नहीं किया कि सोशल मीडिया के किसी मंच पर आपकी उपस्थिति का स्वागत उन्हीं वस्तुओं, सेवाओं, उत्पादों के विज्ञापन से होती है जिनको आपने सर्च इंजन में खोजा होता है? क्या आपने कभी विचार किया है कि आपके विभिन्न एप्लीकेशन, विभिन्न वेबसाइट, विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म के पासवर्ड भूल जाने की स्थिति में यही इंटरनेट आपको दूसरा पासवर्ड उपलब्ध करवा देता है?

 

ध्यान रखिये, इंटरनेट के उपयोग की स्थिति में अब हमारा-आपका कुछ भी गोपनीय नहीं है, कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है. हमारी सारी की सारी जानकारी, क्रियाकलाप, घूमना-फिरना, खाना-पीना आदि किसी न किसी सर्वर के माध्यम से दूसरे हाथों में है. वायरल होती ऐसी अनावश्यक चेतावनी वाली पोस्ट से एकबारगी आप भले अपने आपको संतुष्ट कर लें मगर इंटरनेट की दुनिया में अपनी खुराफात के लिए सक्रिय तत्त्वों ने तो अपना काम कर ही लिया. देखा जाये तो अब हम सब इंटरनेट के गुलाम हैं. हमारे सभी कंप्यूटर, मोबाइल, तमाम संस्थान, अनेकानेक जानकारियाँ आदि किसी न किसी सर्वर के कब्जे में हैं. वर्तमान दौर में इंटरनेट से दूर रह पाना संभव नहीं ऐसे में यहाँ के आपराधिक तत्त्वों से बचने का उपाय सिर्फ सावधानी है, ऐसी बेवकूफी भरी पोस्ट का शेयर करना नहीं. इंटरनेट का उपयोग करके ज्ञानवान, प्रतिभावान बनिए न कि दूसरे के हाथों में खेलते हुए बेवकूफ बनिए.  

 






 

1 टिप्पणी: