09 फ़रवरी 2011

नेताओं की जगह खुद को बुरा-भला कहिये....


आजकल समाज में एक चलन सा बन गया है नेताओं को गाली देने काकिसी भी काम का होना हो अथवा होना हो, हर काम के पीछे नेताओं का हाथ दिखाई देता हैक्या अच्छा, क्या बुरा....बस एक बार नजर दौड़ी और नेताओं को बुरा कहना शुरू कर दिया

इस बात के साथ क्या कभी हमने स्वयं इस बात पर विचार किया है कि नेता को हम तो बुरा कह देते हैं पर इन बुरे नेताओं को सत्ता तक भी तो हम ही पहुन्चाहते हैंहमारे पास वोट देकर अच्छे बुरे को चुनने का अधिकार होता है पर हा अब खुद ही राजनीती में अच्छे लोगों को देखना ही पसंद नहीं करतेजिसके पास ताकत है, जिसके पास धन है, जिसके पास बन्दूक है वही सत्ता के काबिल है, ऎसी हमारी सोच बनती जा रही है

देखने में आया है कि किसी भी काम के प्रति अब हममे वफादारी नहीं दिखती है और ही किसी काम के प्रति लगनहम खुद को और अपने साथ के लोगों को राजनीती से दूर कर चुके हैंजैसा कि अर्थशास्त्र में एक सिद्धांत है कि "बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है" ठीक वही हाल हम राजनीती में कर रहे हैं

सदन कोई भी हो पर उसकी सीटों को एक निश्चित समय पर भरा ही जायेगाऐसे में यदि भले आदमी राजनीती में नहीं आयेंगे तो बुरे आदमियों से ये सीट भर दी जायेंगींहमें अपने क़दमों को भी देखना होगा और विचार करना होगा कि यदि नेता बुरा है तो हम खुद कितने अछे हैं? हम खुद को भला मानते हैं तो क्यों नहीं चुनावों में किसी भले आदमी को जिताने का प्रयत्न करते हैं?

आइये अब नेताओं को कोसने की जगह पर अछ्हे लोगों को बुरा-भला कहना शुरू करें जो राजनीती को बुरा बता कर घर में छिप कर बैठे हैंराजनीती में अच्छे लोगों को आने तो दीजिये फिर देखिये कि बुरे लोग कैसे दम दबा कर भागते हैंजिस दीं हम ऐसा कर पाए उस दीं हम नेताओं को कोसने का काम बंद कर देंगेदेश के भले के लिए अब हमें नेताओं को बुरा नहीं कह कर व्यवस्था को भला कहने वालों को चुनना होगा

एक बात ये भी है


4 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसा सोचने वाले तो कई होंगे, लेकिन कहने वाला कोई-कोई ही है, अच्‍छा लगा.

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  2. अच्‍छे लोग तो आने को तैयार बैठे हैं लेकिन यह ऐसा चक्रव्‍यूह है जिसमें चाह कर भी कोई पैर नहीं रख सकता। वैसे आपकी बात से शत-प्रतिशत सहमत हूँ कि केवल नेताओं को दोषी करार देने से हमारी जिम्‍मेदारी समाप्‍त नहीं होती। हमने ही उन्‍हें बेईमानी करने को प्रेरित किया है।

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  3. रास्‍ता तो यही बचा है, क्‍योंकि नेताओं की खाल मोटी है, कुछ असर ही नहीं करता।

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    पुत्र प्राप्ति के उपय।
    क्‍या आप मॉं बनने वाली हैं ?

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