आज एक खबर पढ़ी, कॉमनवेल्थ के बारे में। वैसे अब तो रोज ही खबरें आ रहीं हैं पर इस खबर ने समझाया कि कैसे हम भारतीय इतिहास रचने में माहिर होते हैं।
खबर के अनुसार कलमाड़ी (चतुर खिलाड़ी) ने इन खेलों के आयोजन को पाने के लिए जो तुरुप चाल चली वो ये कि उन्होंने बैठक में कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल होने वाली प्रत्येक टीम को वे पहले ही एक लाख डॉलर देंगे।
खबर के अनुसार ही यह भी मालूम हुआ कि अभी तक के कॉमनवेल्थ गेम्स इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि किसी देश का राष्ट्राध्यक्ष स्वयं रानी के दरवार में क्वीन बैटन लेने के लिए उपस्थित हुआ हो। यहाँ भी हमारी महामहिम राष्ट्रपति जी ने इतिहास रच डाला। रानी के दरवार में बैटन लेने वे स्वयं उपस्थित हुईं।
खबर से हमें लगा कि पहली घटना किसी न किसी रूप में घूसखोरी को व्यक्त करती है और दूसरी हमारी गुलाम मानसिकता की। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की हरकतें, वो भी एक देश के द्वारा हमारी स्वयं की स्थिति की परिचायक हैं।
बात-बात में देश में काला दिन मनाने वाले राजनैतिक दलों और तथाकथित जागरूक मीडिया द्वारा इन घटनाओं पर काला दिन नहीं मनाया गया। लगता है रिश्वतखोरी और गुलामी को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और सहज स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।
sir ji,
जवाब देंहटाएंbhrashtachar to sahaj sweekar hai par uchcha star par bhi aisa hoga ye nahin socha tha.
Rakesh Kumar
sir ji,
जवाब देंहटाएंbhrashtachar to sahaj sweekar hai par uchcha star par bhi aisa hoga ye nahin socha tha.
Rakesh Kumar
खेल का तमाशा और तमाशे का खेल है ये
जवाब देंहटाएंदेश के लिए इनको कुछ नहीं करना है बस?
खेल का तमाशा और तमाशे का खेल है ये
जवाब देंहटाएंदेश के लिए इनको कुछ नहीं करना है बस?
खेल का तमाशा और तमाशे का खेल है ये
जवाब देंहटाएंदेश के लिए इनको कुछ नहीं करना है बस?
भाईजी, अभी कलमाड़ी के बारे में किसी पत्रिका में पढ़ा था की सुनील दत्त ने उसको गैर भरोसे का व्यक्ति बताया था. और भी कुछ था, ये खेल खिलाडियों के कम आयोजन समिति के अधिक हो गए हैं. गुलामी का क्या कहना?
जवाब देंहटाएंएक और बात, क्या आपने इस आयोजन में सामानों का खर्चा देखा है? कमाल है कुछ हजार के सामान पर लाखों खर्च
जवाब देंहटाएंहो सके तो इसी पर भी कुछ धाँसू सा लिखिए.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट, श्रावणी पर्व की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंलांस नायक वेदराम!---(कहानी)
एक तमाशा यू पी में भी हो रहा है. किसानों से उनकी ज़मीन हड़पने के लिए तरह तरह की स्कीमें बनाई जा रही हैं. उन्हें नौकरी का लालच दिया जा रहा है. यानी पहले उनकी ज़मीन लेकर उन्हें मालिक न रहने दो फिर उन्हें नौकरी देकर गुलाम बना दो.
जवाब देंहटाएंये सारा भ्रष्टाचार और देश की इस दर्दनाक हालत के लिए हमारे इस वक्त के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी जिम्मेवार हैं ,क्योकि जब किसी व्यक्ति का मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है तो उसे गंदगी और सफाई में अंतर महसूस नहीं होता है जिसकी वजह से वह गन्दगी से घिरा रहता है ,ठीक उसी तरह हमारे देश का मस्तिष्क प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति को अब भ्रष्टाचार और ईमानदारी में अंतर महसूस होना बंद हो गया है जिसकी वजह से यह देश एक नरक में परिवर्तित होता जा रहा है | अब तो इसे साफ करने की जिम्मेवारी सिर्फ और सिर्फ जनता की है और वो भी सर पर कफ़न बांधकर ...
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