26 जनवरी 2010

टिप्पणी करने का आज आखिरी मौका - कल से टिप्पणी-द्वार बंद हो रहा है

प्रिय ब्लाग साथियो,

कई बार यह निर्णय करना बहुत ही कठिन होता है कि क्या किया जाये? इसके अलावा यह भी कठिन होता है कि जो कर रहे हैं वह सही है अथवा नहीं? अभी तक जो हो रहा है, वह सही है अथवा जो आगे होगा वह सही होगा?

इस तरह की ऊहापोह लगभग सभी के साथ आई होगी। कुछ इसी तरह की ऊहापोह की स्थिति से हम भी पिछले कई दिनों से गुजर रहे हैं। एक बारगी मन कहता है कि जैसे जो चल रहा है वैसे चलने दिया जाये, एक बार मन में आता है कि क्यों हम बेकार में लोगों को परेशान किया करते हैं।

बात आसान भी है और नहीं भी। समय के साथ साथ कई बातें पुरानी होने के बाद भी परेशान करतीं रहतीं हैं। हमें जो बात परेशान करती है, वह है टिप्पणियों के माध्यम से और मेल के द्वारा लोगों का टिप्पणी आदान-प्रदान का दवाब। यह बात तो सत्य है कि हम टिप्पणी करने के मामले में कुछ कंजूस तो हैं पर यह कहा जाये कि टिप्पणी करते ही नहीं तो यह सरासर गलत होगा।

अब जहाँ तक बात टिप्पणी के आदान-प्रदान की है तो ये तो वहीं बात हो गई कि ‘तू मुझे सुना मैं तुझे सुनाऊँ अपनी प्रेम कहानी’ लिखा कुछ भी हो पर टिप्पणी तो करनी ही पड़ेगी क्योंकि आदान-प्रदान का समझौता हुआ है। समझौता टूटा तो कारगिल जैसी स्थिति बनने का डर।

मेल मिलती हैं कि आप हमारे ब्लाग पर आयें, टिप्पणी करें। पढ़ने का मन होता है और जब जाकर देखा तो वहीं ढाक के तीन पात। कई बार तो स्थिति ऐसी होती है कि आप हमारे ब्लाग पर आये हैं तो हमें भी आपके ब्लाग पर जाकर टिप्पणी देनी चाहिए। हम जाते भी हैं पर मालूम होता है कि वहाँ कुछ ऐसा नहीं है कि टिप्पणी की जाये।

यह तो जरूरी नहीं कि जो लिखा हो उस पर टिप्पणी करना ही करना पड़े। पर रिवाज बन गया है अपने ब्लाग संसार का, हमने टिपियाया तो आप भी टिपियायो।

बहुत से समृद्धजन ऐसे हैं जिन्होंने कभी इस बात को नहीं कहा कि हम भी उनके ब्लाग पर आकर टिप्पणी करें पर उन्होंने लगातार हमें अपनी टिप्पणियों से सराहा। ऐसे लोगों के प्रति तो जवाबदेही बनती भी है जो निस्वार्थ भाव से आपको सराह रहे हैं। ऐसे लोग पर हैं कितने?

बस आज की पोस्ट ऐसे लोगों से इतर उन लोगों के लिए है जो सिर्फ इस बात के कारण हमारे ब्लाग पर आकर टिप्पणी करते हैं कि हम भी उनके कुछ भी लिखे पर अपनी टिप्पणी देंगे। तो साथियो हमें इस बात पर शर्मिन्दा होना पड़ता है कि आप हमारे ब्लाग पर आये और हम आपके ब्लाग पर जाकर भी टिपिया नहीं पाये।

इसके अलावा उन महानुभावों के प्रति हम वाकई शर्मिन्दा हैं जो निस्वार्थ रूप से हमारी पोस्ट पर टिप्पणी देते रहे। हमारा यह फर्ज बनता है कि हम उनकी पोस्ट को भी अपनी टिप्पणी देते। उनको हम विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हमने उनकी सभी पोस्ट को पढ़ा है और शायद स्वयं को इस लायक नहीं समझा कि उनके लिखे का मूल्यांकन कर सकें, बस इस कारण कुछ नहीं लिखा जा सका।

हमारी दृष्टि में टिप्पणी उस तरह से हो जो सही गलत का मूल्यांकन कर सके न कि इस दृष्टि से कि आदान-प्रदान अथवा लेन-देन की नियति से।

हाँ, अकसर हमें यह लगता रहता था कि टिप्पणी की चाह सभी में रहती होगी। किसी को यह कहने का मौका हम नहीं देना चाहते कि कुमारेन्द्र तो अपनी पोस्ट पर टिप्पणी ले लेते हैं किन्तु हमारी पोस्ट पर टिप्पणी करने की फुर्सत नहीं (ऐसा ही कुछ हमें अकसर मेल के द्वारा पढ़ाया जाता है)।


अब आप सभी स्वतन्त्र हैं या कहें कि हम स्वयं को स्वतन्त्र करना चाहते हैं इस टिप्पणियों के करोबार से। अब हमारे सभी ब्लाग जो हमारे व्यक्तिगत ब्लाग हैं वहाँ से टिप्पणियाँ देने की व्यवस्था आज के बाद बन्द कर दी जायेगी। जो सामुदायिक ब्लाग हैं उन पर टिप्पणियों का लेन-देन होता रहेगा क्योंकि वहाँ हमारे साथ-साथ अन्य मित्रगण भी हैं।

एक निवेदन उन मित्रों से है जो जबरदस्ती अपने ब्लाग की सैर करवाना चाहते हैं, अपनी पोस्ट को पढ़वाना और उन पर टिप्पणी करवाना चाहते हैं, वे कृपया अपने आमंत्रण-मेल भेजना बन्द कर दें। हालांकि बहुत बार उनको उन्हीं की मेल पर निवेदन कर भी चुके हैं पर होता वही है कि ‘भैंस के आगे बीन बजाये, भैंस खड़ी पगुराये।’

हो सकता है कि बहुत लोगों को आज की पोस्ट हजम न हो, बस इसी कारण से आज टिप्पणी का द्वार खुला है। जो है, जैसा है की भावना इस पोस्ट पर हो व्यक्त कर दीजिएगा क्योंकि कल से मौका नहीं मिलेगा।

धन्यवाद

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चित्र गूगल छवियों से साभार

25 टिप्‍पणियां:

  1. काल करे सो आज कर...के तहत आज ही बंद कर देना था...:)

    टिप्पणी देना बंद नहीं करेंगे जानकर अच्छा लगा.


    गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व पर आपका एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं अनेक शुभकामनाएँ.

    सादर
    समीर लाल

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  2. .
    .
    .
    आपका फैसला सर माथे पर देव,
    आखिर आप अपने ब्लॉग और मर्जी के मालिक जो हैं।

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  3. डा. साहब ये क्या , आपके दुख को समझा जा सकता है , मगर अब तो सर्दियां बीत रही हैं और द्वार खुलने का समय हो रहा है और आप बंद किए दे रहे हैं , हम तो यही कहेंगे कि इसकी जरूरत नहीं है कृपया न बंद करें
    अजय कुमार झा

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  4. तुलसी इस संसार में भांति भांति के ब्लोग ...बाकी आपकी श्रद्धा.

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  5. सही कह रहे हैं आप जब टिप्पणी का खेल व्यापार बन जाये तो इसे close करना ही उचित है... सब जगह यही कंचे बदलने का खेल जारी है... अम्बरीश अम्बुज नाम के एक चिट्ठाकार ने तो इसीलिए ये सब छोड़ दिया कि वो इंजीनिअरिंग का छात्र है... कब तक ये खेल खेल पायेगा... जिस दिन टिप्पणी देना band उसदिन कालजयी रचना कि सृष्टि पर भी कोई टिप्पणी ना मिलेगी...
    जय हिंद... जय बुंदेलखंड....

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  6. टिप्पणियाँ प्रोत्साहित करती हैं यह सही है। लेकिन क्या हम ब्लाग टिप्पणी के लिए लिख रहे हैं? मुझे नहीं लगता कि ऐसा है। यदि आप किसी विमर्श में हैं तो टिप्पणियाँ जरूर आती हैं। लेकिन जबरन टिप्पणियाँ करने या करवाने से कुछ नहीं होगा।
    मेरे दो ब्लाग नियमित हैं। एक ब्लाग पर टिप्पणियाँ कम आती हैं लेकिन पाठक बहुत अधिक हैं दूसरे पर टिप्पणियाँ खूब आती हैं लेकिन पाठक कभी कभार ही अधिक हो पाते हैं।
    मेरा ब्लाग लिखने का मंतव्य तो नेट पर उपलब्ध उपयोगी हिन्दी सामग्री में वृद्धि करना है। इस लक्ष्य में टिप्पणियों की कोई दरकार नहीं है। मिलती हैं तो उसे पाठकों की भेंट समझ कर स्वीकार कर लेना चाहिए।

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  7. यदि ब्‍लॉग जगत में टिप्‍पणियों के लिए टिप्‍पणी देने का नियम है .. तो मैंने तो इसका पालन नहीं किया .. कभी कभी लगातार ब्‍लॉग्‍स पढती हूं .. मन हुआ तो उसपर टिप्‍पणियां करती हूं .. नहीं तो कितने दिनों तक न कुछ पढ पाती हूं और न ही टिप्‍पणी कर पाती हूं .. वैसे टिपपणी की चिंता नहीं करनी चाहिए !!

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  8. सही कह रहे हैं आप जब टिप्पणी का खेल व्यापार बन जाये तो इसे close करना ही उचित है... सब जगह यही कंचे बदलने का खेल जारी है... टिप्पणियाँ प्रोत्साहित करती हैं यह सही है। लेकिन क्या हम ब्लाग टिप्पणी के लिए लिख रहे हैं? मुझे नहीं लगता कि ऐसा है। यदि आप किसी विमर्श में हैं तो टिप्पणियाँ जरूर आती हैं। लेकिन जबरन टिप्पणियाँ करने या करवाने से कुछ नहीं होगा।

    यदि ब्‍लॉग जगत में टिप्‍पणियों के लिए टिप्‍पणी देने का नियम है .. तो मैंने तो इसका पालन नहीं किया .. कभी कभी लगातार ब्‍लॉग्‍स पढता हूं .. अच्छा लगा तो उस पर टिप्‍पणियां करता हूं .... हाँ! जिनसे रिश्ते बन गए हैं.... उन पर टिप्पणी करना तो फ़र्ज़ है.... चाहे जैसा भी पोस्ट हो.... अपनों से प्यार करने में दिल को सुकून मिलता है.... और मेरे तो सब परिवार हैं.... यह तो है की इच्छा के विरुद्ध नहीं जोर देना चाहिए.... पर अपनों से तो कहा ही जा सकता है...

    सादर....

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  9. क्या कहें
    अनधिकृत प्रवेश से आप ज्यादा परेशान लगते हैं
    वही दिल और दिमाग का द्वंध

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  10. लेन-देन पर न जायें तो टिप्पणी बन्द करना उचित नहीं है. बाकी अगर कोई मेल भेजता है तो उसे स्पैम कर दीजिये.

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  11. इस मामले में तो हम भी फिस्सडी हैं

    अपने एक ब्लॉग पर मैं भी बंद कर चुका था टिप्पणियाँ, किन्तु कुछ दिनों बाद ही पाठकों के आग्रह पर निर्णय वापस लेना पड़ा।

    द्विवेदी जी की टिप्पणी सारगर्भित है

    मेरी व्यक्तिगत राय में टिप्पणियाँ बंद करना उचित सा नहीं है।

    बी एस पाबला

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  12. चलने दीजिये भाई! लोग कुछ कहना चाहते हैं तो रोकिये तो मती!
    इस बारे में कभी लिखा था मैंने टिप्पणी करी करी न करी।
    http://hindini.com/fursatiya/archives/454

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  13. टिप्पणी के लिये आमन्त्रण मेल वाकइ में खीझ पैदा करती है।

    जहाँ सटीक टिप्पणियाँ प्रोत्साहित करती है वहीं पोस्ट के विषय से हटकर तथा समझ में न आने वाली टिप्पणियाँ पढ़ कर दिमाग खराब हो जाता है।

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  14. बस यही कहूंगा की डा० साहब , मेरे ब्लॉग पर मत आना टिपण्णी देने के लिए :)

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  15. हफ्फ हफ्फ हाफ हांफते हुए आ ही गया टिपियाने
    गणतंत्र दिवस पर हार्दिक अभिनन्दन एवं अनेक शुभकामनाएँ.

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  16. भाई आमंत्रण मेल से मैं भी भयंकर त्रस्त हूँ लेकिन किया क्या जाए ?
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    क्यों न एक नियम बना दिया जाए कि जितनी टिप्पणियाँ आपके ब्लॉग पे आएँगी उसका साठ परसेंट लौटाना अनिवार्य होगा !
    जो घोषित रूप आलसी (जैसे मैं) हैं उनको भारी छूट दे दी जाए !
    क्यों जी सही है न ?

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  17. achcha kia ji ! asha hai sab samjh gaye honge ab aapko koi pareshannahi karega. :)

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  18. भाई, कुछ बात हजम नहीं हुई। माना कि टिप्‍पणी तभी मिलती है जब आप भी करते हैं। लेकिन फौरी टिप्‍पणी से भी कुछ होता नहीं। यहाँ तो केवल पोस्‍ट ही है, जब किताब प्रकाशित होती है तब भी उसे कितने लोग पढ़ते हैं और अपनी प्रतिक्रिया देते हैं? यदि दुनिया में पढ़ने-लिखने की इतनी ही रुचि होती तो आज दुनिया का रूप और कुछ होता। क्‍या फर्क पड़ता है कि टिप्‍पणी दस मिली या सौ? हमने अपने विचार लिखे, ब्‍लाग के माध्‍यम से इतिहास बन गए बस।

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  19. अरे भाई काहे इतना दुखी हो रहे है...मैल आई ही दूसरा बना लेना था....

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  20. aap ki post kaa asli mudda haen wo mail jo aap kae mail box mae aatee rehtee haen protsaahit honae kae liyae

    aap naari blog kae niyamit paathak haen aur kament bhi kartey haen lekin aap kae blog par mae kewal unhi post par kaemnt kartee hun jin mae vishay naari sae sambandhit hotaa haen

    protsaahan kae naam par 1000 kament mil jaane sae bhi kyaa hotaa haen kewal aur kewal google server ki jagah girhtee jaatee haen !!!!!!

    aur bemaksad ki tippani kaa kaya faydaa haen bbehas ho to vyakigat hotee haen yahaan kyuki yahaan gut banaakar log parivarik jaankariyaa hasil kartey haen aur phir unko blog par kament mae paste kartey haen

    aap tippani band naa karey bas publish mat karey yaa dikhaye mat dont show comments kaa option bhi hotaa haen

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  21. सही है, हम भी यही सोच रहे थे, कि अगर केवल अपने विचार ही व्यक्त करने हैं तो क्यों न टिप्पणी लेना बंद कर देना चाहिये,टिप्पणी देना जारी रहेगा।

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  22. लो बिना बात के ही हो गयी इतनी सारी टिप्पणिया!
    आपके टिप्पणियों का दुःख देखा नहीं जाता, कसम से!

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  23. इस विषय में तर्क/ कुतर्क सभी अपनी जगह .... में आपके निर्णय से शतप्रतिशत सहमत हूँ. आप आज ये कर रहे हैं, में १०-१५ दिन पहले यह कर चूका हूँ. इन्टरनेट पर हिंदी /हिंदी ब्लॉग्गिंग को लेखको और पाठको की जरूरत हैं ना कि टिप्पणीकारों की. आपको शुभकामनाएं!!!

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  24. आपकी बहुत सी बातें सब के मन की हैं । लोग टिप्पणी के लिये मेल बाक्स ही भर देते हैं। मगर क्या करें अभी तो जैसे चल रहा है चलने देते हैं मगर खुद किसी को मेल नहीं भेजते इस बात को जारी रखेंगे। वैसे जो हमारे ब्लाग पर आता है उसके ब्लाग पर तो जरूर जाती हूँ। टिप्पणी करने और न करने पर तो एक बहुत बडी पोस्ट लिखनी पडेगी। आप मेरे ब्लाग पर आये धन्यवाद आपने मेरी पुस्तक समीक्षा को अपने ब्लाग पर लगाने की इजाजत माँगी है मुझे शर्मिन्दा मत करें उस ब्लाग की कोई भी रचना आप अपने ब्लाग पर लगा सकते हैं ये मेरा सौभाग्य होगा। उत्साहवर्द्धन के लिये धन्यवाद। कृप्या टिप्पणी बन्द मत करें। आगे से भी आपका सहयोग मिलता रहेगा इसी आशा के साथ शुभकामनायें

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