देश में विवादों के साथ रहने का कुछ शौक सा हो गया है। किसी न किसी प्रकार से विवाद होना चाहिए। इसी तरह हमारे देश के सत्तासीन कुछ इस तरह के कामों को करते हैं कि हमें बहुत हैरानी होती है। हो सकता है कि ये हमारा संकुचित नजरिया हो पर कई बार हमें ये नहीं समझ में आता कि इससे फायदा क्या है?
इस पोस्ट को इसीलिए रख रहे हैं कि हम समझ नहीं पा रहे हैं कि गरीबी, मँहगाई, बेरोजगारी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, असाध्य बीमारियाँ, आतंकवाद, सीमापार विवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषा विवाद आदि से जूझते देश को इनसे क्या लाभ होगा?
आपको पता हो तो हमें भी समझायें।
- यदि यह ज्ञात हो जाये कि हिन्दुस्तान विभाजन का असली जिम्मेवार कौन था?
- यदि हम पता लगा लें कि मंगल पर पानी है, जीवन है?
- यदि चाँद के रहस्यों का पता चल जाये?
- यदि नेता जी सुभाषचन्द्र जी की मौत का रहस्य खुल जाये?
- यदि पता चल जाये कि लालबहादुर शास्त्री जी की मौत किस कारण से हुई?
- यदि हम कई कई परमाणु बम बना डालें?
- यदि मालूम पड़ जाये कि गाँधी जी ने मरते समय कौन से शब्द बोले थे?
- यदि ज्ञात हो जाये...................
सवाल बहुत हो सकते हैं और जवाब भी बहुत। पर एक सवाल वही कि तमाम समस्याओं से जूझते देश की प्राथमिकता क्या हों?
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(उक्त सवालों से किसी की भावनायें आहत हों तो हम क्षमा चाहते हैं क्योंकि हमारा इरादा किसी को दुख देने का नहीं है। वैसे भी इस देश में भावनाओं को ठेस जल्दी पहुँचती है।)
ज्वलंत मुद्दों से इन बातों का क्या संबंध? ये तो बीच बीच में यूँ ही उछाले जाते हैं मुख्य मुद्दों से आमलोगों का ध्यान हँटाने के लिए।
जवाब देंहटाएंइसे भारतीय राजनीति का विकास कहें अथवा पतन की बुनियादी मुद्दों पर चर्चा करने से सत्ताधारी एवं विपक्ष दोनों बचते हैं .मुझे साठ से सत्तर का वह दशक याद आता है जब महगाई व बेरोजगारी पर दल आन्दोलन करते थे. अब मानवीय संवेदनाएं मर सी गयी है
जवाब देंहटाएंजवाब तो आपके ही पास है डॉ. साहिब!
जवाब देंहटाएंहमारा मुँह क्यों खुलवाते हो?
bhai sahab kyon kisii ko fansawaa rahe ho. ye vivaad hi hain jo netaon ko jinda rakhe hain.
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