10 फ़रवरी 2024

मित्रों की ताकत से चलती उठापटक

आज एक बहुत पुराने मित्र से मुलाक़ात हुई. यहाँ उनसे मिलना विशेष नहीं क्योंकि हम लोग एक ही शहर में हैं, एक ही कार्यक्षेत्र में हैं, इसके अलावा विशेष बात ये है कि हम दोनों मित्र हैं, इस कारण मुलाकात होती ही रहती है. आज मुलाकात में और भी तमाम बातों के साथ-साथ अपने-अपने कार्यक्षेत्र के बारे में चर्चा चल पड़ी. जनपद के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में आलम ये है कि कहीं-कहीं प्रबंधकों की मनमर्जी है तो कहीं प्राचार्यों की. कहीं-कहीं तो अतिशय स्थिति है, वहाँ चपरासियों, बाबुओं का बोलबाला है. बहरहाल, हम मित्रों की बातचीत में अनायास ही परीक्षाओं, ड्यूटी, शिक्षा, महाविद्यालय, विद्यार्थियों की उपस्थिति, प्राचार्यों के क्रियाकलापों, एनईपी 2020, माइनर विषयों आदि-आदि का जिक्र चल गया.

 

अपने-अपने कॉलेज के अपने-अपने कार्यों की चर्चा हुई. चूँकि वे हमारे मित्र हैं बहुत पुराने, इसलिए हमारी आदतों, स्वभाव से परिचित हैं. हमारी स्थिति ये है कि गलत बात, निर्णय बर्दाश्त नहीं होते और यही कारण है कि आये दिन न केवल अपने संस्थान में बल्कि समाज में भी कई जगह पर तनातनी की स्थिति आ जाती है. हमारे संस्थान में भी पिछले कुछ समय से बड़ी उठापटक मची हुई है, जिसके चलते विद्रोही तेवरों के साथ काम करना हो रहा है. हमारे अनेक कांडों, कदमों, बर्ताव, व्यवहार आदि को सुनने-समझने के बाद बोले कि कुमारेन्द्र, अपनी नौकरी बचा के चलो. उस मित्र की इसी बात पर हमने ठहाका लगाया तो अगले ने भी उसमें साथ दिया और बोला कि तुम न सुधरोगे. वैसे आज की स्थिति में तुम जैसे कुछ लोगों की जरूरत है. हमने कहा, बस यही विश्वास बनाए रहना. नौकरी ही ज़िन्दगी नहीं. एक जाएगी तो अनेक आएँगी मगर किसी की गुलामी बर्दाश्त नहीं.

 

उस मित्र ने पूर्ववत मित्रवत व्यवहार दिखाया. ऐसे ही मित्र हमारी ताकत हैं. गुलामी नहीं हो सकती, नौकरी कल जाती हो तो आज-अभी हाल चली जाए मगर नकारात्मकता फैलाने वाले को सबक सिखाया ही जायेगा. समय के फेर में कुछ दिन तो ख़ामोशी अपनाई जा सकती है, दया का भाव दिखाया जा सकता है किन्तु लगातार अन्याय को सहते रहना खुद को आरोपी बनाता है, खुद को खुद की निगाह में अपराधी बनाता है, अपराध-बोध जगाता है.


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