प्लास्टिक प्रदूषण
एक वैश्विक समस्या है जिसके लिए वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है. प्लास्टिक संकट को दूर करने के लिए
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के प्रयास विगत कई वर्षों से लगातार संचालित हैं.
प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए वैश्विक स्तर पर एक संधि की दिशा में
बातचीत की प्रक्रिया चल रही है. कई वर्षों से संयुक्त
राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए) में प्लास्टिक प्रदूषण एक प्रमुख मुद्दा रहा है. 2017
में यूएनईए ने समुद्री कूड़े और माइक्रोप्लास्टिक पर एक
विशेषज्ञ समूह की स्थापना की. सितम्बर 2021 में जिनेवा में आयोजित समुद्री कूड़े और प्लास्टिक प्रदूषण पर पहले मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के बाद पेरू और रवांडा ने एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया. इस
मसौदे को साठ से अधिक सदस्य देशों का समर्थन मिला. इसके बाद दिसम्बर 2021 में जापान ने भी एक वैकल्पिक मसौदा प्रस्ताव पेश किया. यूएनईए की अगली वार्ता के आरम्भ होने के पहले दोनों मसौदों को मिला दिया
गया. मार्च 2022 को यूएनईए में भाग लेने वाले 175 देशों ने एक साथ मिलकर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कानून कोअनिवार्य और बाध्यकारी रूप में
अपनाए जाने का संकल्प लिया. इसके पश्चात् अंतर्राष्ट्रीय वार्ता समिति (आईएनसी) का गठन किया गया ताकि प्लास्टिक प्रदूषण पर एक कानूनी और
बाध्यकारी नीति विकसित की
जा सके. प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर सहमति
बनाने के लिए दक्षिण कोरिया के बुसान में अंतर्राष्ट्रीय वार्ता समिति की वैश्विक
बैठक बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई. इस बैठक में शामिल 175 देशों के प्रतिनिधि प्लास्टिक उत्पादन और
वित्त पर रोक लगाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक सहमति बनाने में विफल रहे. 2022
से कार्य कर रही आईएनसी की यह पाँचवीं बैठक थी.
सम्पूर्ण विश्व
अनेकानेक संकटों से गुजरने के साथ-साथ पर्यावरण संकट के दौर से भी गुजर रहा है.
सत्यता यह है कि यह संकट मनुष्य द्वारा ही उत्पन्न किया गया है. पर्यावरण संकट आज
मानव समाज के सामने एक चुनौती के रूप में खड़ा हुआ है. इसके मूल में तमाम कारण होते
हुए भी सबसे प्रमुख है इन्सान का विकास की अंधी दौड़ में लगे रहना. मनुष्य के उठते
लगभग प्रत्येक कदम से आज पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है. इसमें भी सबसे ज्यादा
नुकसान उसके द्वारा प्रत्येक छोटे-बड़े कामों के लिए उपयोग में लाई जा रही पॉलीथीन
से हो रहा है. पॉलीथीन से पर्यावरण को सर्वाधिक नुकसान होता समझ भी आ रहा है, दिख भी रहा है. इसमें पाली एथीलीन के होने
के कारण उससे बनने वाली एथिलीन गैस पर्यावरण क्षति का बहुत बड़ा स्त्रोत है.
पॉलीथीन में पालीयूरोथेन नामक रसायन के अतिरिक्त पालीविनायल क्लोराइड (पीवीसी) भी
पाया जाता है. इन रसायनों की उपस्थिति के कारण पॉलीथीन हो या कोई भी प्लास्टिक
उसको नष्ट करना संभव नहीं होता है. जमीन में गाड़ने, जलाने, पानी में बहाने अथवा किसी अन्य तरीके से नष्ट करने से भी इसको न तो समाप्त
किया जा सकता है और न ही इसमें शामिल रसायन के दुष्प्रभाव को मिटाया जा सकता है.
यदि इसे जलाया जाये तो इसमें शामिल रसायन के तत्व वायुमंडल में धुँए के रूप में
मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं. पॉलीथीन को जलाने से क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस धुँए के
रूप में वायुमंडल से मिलकर ओजोन परत को नष्ट करती है. इसके साथ-साथ पॉलीथीन को
जमीन में दबा देना भी कारगर अथवा उचित उपाय नहीं है क्योंकि यह प्राकृतिक ढंग से
अपघटित नहीं होता है इससे मृदा तो प्रदूषित होती ही है साथ ही ये भूमिगत जल को भी
प्रदूषित करती है. इसके साथ-साथ जानवरों द्वारा पॉलीथीन को खा लेने के कारण ये
उनकी मृत्यु का कारक बनती है.
सबकुछ जानते-समझते
हुए भी आज बहुतायत में पॉलीथीन का उपयोग किया जा रहा है. यद्यपि केन्द्रीय सरकार
ने रिसाइक्लड, प्लास्टिक
मैन्यूफैक्चर एण्ड यूसेज रूल्स के अन्तर्गत 1999 में 20 माइक्रोन से कम मोटाई के रंगयुक्त प्लास्टिक बैग के
प्रयोग तथा उनके विनिर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया था किन्तु ऐसे प्रतिबन्ध वर्तमान
में सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए हैं. इसका मूल कारण पॉलीथीन बैग की मोटाई की
जांच करने की तकनीक की अपर्याप्तता है. ऐसे में पॉलीथीन के दुष्प्रभाव को रोकने का
सर्वाधिक सुगम उपाय उसके पूर्ण प्रतिबन्ध का ही बचता है. पॉलीथीन के द्वारा
उत्पन्न वर्तमान समस्या और भावी संकट को देखते हुए नागरिकों को स्वयं में जागरूक
होना पड़ेगा. कोई भी सरकार नियम बना सकती है, अभियान का सञ्चालन कर सकती है किन्तु उसे सफलता के
द्वार तक ले जाने का काम आम नागरिक का ही होता है.
इसके लिए उनके
द्वारा दैनिक उपयोग में प्रयोग के लिए कागज, कपड़े और जूट के थैलों का उपयोग किया जाना चाहिए.
नागरिकों को स्वयं भी जागरूक होकर दूसरों को भी पॉलीथीन के उपयोग करने से रोकना
होगा. हालाँकि अभी भी कुछ सामानों, दूध की थैली, पैकिंग
वाले सामानों आदि के लिए सरकार ने पॉलीथीन के प्रयोग की छूट दे रखी है, इसके लिए नागरिकों को सजग रहने की आवश्यकता
है. उन्हें ऐसे उत्पादों के उपयोग के बाद पॉलीथीन को अन्यत्र, खुला फेंकने के स्थान पर किसी रिसाइकिल
स्टोर पर अथवा निश्चित स्थान पर जमा करवाना चाहिए. ये बात हम सबको स्मरण रखनी होगी
कि सरकारी स्तर पर पॉलीथीन पर लगाया गया प्रतिबन्ध कोई राजनैतिक कदम नहीं वरन हम
नागरिकों के, हमारी भावी
पीढ़ी के सुखद भविष्य के लिए उठाया गया कदम है. इसको कारगर उसी स्थिति में किया जा
सकेगा, जबकि हम खुद
जागरूक, सजग, सकारात्मक रूप से इस पहल में अपने प्रयासों
को जोड़ देंगे.
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