क्या नया साल, क्या पुराना साल सब एक जैसे दिखाई देते हैं जब सुबह उठते समय या फिर रात को सोते समय। यदि बदलाव कुछ दिखाई देता है तो वो उनसे जुड़े अनुभवों का, उन सालों से जुड़ी यादों का। बहुत कुछ ऐसा गुजर जाता है कि मन करता है कि ऐसा बार-बार गुजरे और कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि मन बार-बार कामना करता है कि ऐसा जीवन मे कभी न हो। बहुत कुछ अच्छा हो जाता है तो बहुत कुछ बुरा हो जाता है। कुछ ऐसा बुरा होता है जो स्मृतियों से अलग होता ही नहीं है। उसी समय वर्षों के बदलाव का अंतर समझ में आता है।
पिछले
साल का जाना हुआ मगर बहुत ही दुखद घटना के साथ। दिल-दिमाग उसी घटना के इर्द-गिर्द घूमता
राहत है। ऐसी घटना जिसे आजीवन न तो भुलाया जा सकता है और न ही उसके दर्द को कम किया
जा सकता है। ये कहने वाली बात होती है कि समय के साथ बहुत से घाव कम हो जाते हैं अथवा
मिट जाते हैं। गुजरे हुए वर्ष ने जो घाव दिया है वह समय के साथ भरेगा तो नहीं हाँ,
हरा हमेशा बना रहेगा।
क्या
कहा जाए, क्या लिखा जाए क्योंकि जैसे ही लिखने की शुरुआत करो तो हाथ काँपने लगते हैं
और आँखें बहने लगती हैं। अपने छोटे का जाना अंदर तक हिलाकर रख गया है। न ये गया हुआ
साल भुलाया जा सकेगा और न ही इसके द्वारा दिए गए घाव को। जनवरी आ गई है और वो दिन,
वो घटना पूरे उफान के साथ दिल-दिमाग पर हावी होने लगी है।
बस,
कामना यही कि ये साल और आने वाले साल किसी को भी ऐसा दुख, ऐसा कष्ट न दे।
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