जाने वाले को कोई रोक नहीं सकता, ये सन्दर्भ सदैव से व्यक्ति के इस धरा से हमेशा के लिए चले जाने के सन्दर्भ में की जाती है. यह सच भी है क्योंकि इंसानी विकास यात्रा में उसके द्वारा तमाम तरह के नए-नए आविष्कार किये गए, नए-नए मानक स्थापित किये गए, अनेक असाध्य बीमारियों का निदान उसके द्वारा निकाला गया मगर एक मृत्यु ही ऐसी है जिस पर इंसानों की तमाम सारी कोशिशों के बाद भी विजय प्राप्त नहीं की जा सकी. जिस तरह से इंसान मृत्यु पर विजय प्राप्त नहीं कर सका है, तमाम सारी कोशिशों के बाद भी, वैज्ञानिक, चिकित्सकीय उपकरणों के होने के बाद भी मृत्यु को रोका नहीं जा सका है, ठीक उसी तरह से समय को नहीं रोका जा सका है. गुजरे समय को वापस नहीं लाया जा सका है.
ये वर्तमान वर्ष 2021 का अत्यंत अंतिम दौर
है. एक-दो दिन इसके गुजर जाने में शेष हैं, ऐसे में बहुतायत
लोग इस वर्ष के जाने की और नए साल के आने की बात करते दिख रहे हैं. इस साल ने अपने
पूर्ववर्ती वर्ष 2020 की तरह ही कोरोना की भयावहता को बनाये रखा. इधर ऐसा दिखाई दे रहा है, जैसे वर्ष 2020
को जल्दी से जल्दी जाने की बात लोग करते दिखाई दे रहे थे, कुछ ऐसा ही इस साल में दिखाई दे रहा है. समय के जल्द से जल्द जाने की
इच्छा उसी समय की जाती है जबकि उस समय से प्रसन्नता न मिले,
ख़ुशी न मिले. कुछ ऐसा ही इस जाते हुए वर्ष के साथ हुआ है. इस साल में कोरोना की
दूसरी लहर ने जबरदस्त भयावहता फैलाई. यद्यपि इस लहर की समयावधि कम रही तथापि जितनी
देर उसकी उपस्थिति रही लोगों को डराती ही रही, लोगों को मौत
के आगोश में भेजती रही.
ये साल चला जायेगा, भले
रूप में या बुरे रूप में ये और बात है. जाते हुए समय को कोई रोक नहीं पाया है, जाने वाले समय को कोई वापस भी नहीं ला सका है. ऐसे में बुरे समय के जल्दी
गुजरने वाली बात हो या फिर अच्छे समय को रोके रखने की इच्छा,
ये एक काल्पनिक स्थिति है. बुरे समय को न तो जल्दी भगाया जा सकता है और न ही अच्छे
समय को आहूत अधिक रोका जा सकता है. समय का अपना ही एक निर्धारण है, जिसके अनुसार उसका आना और जाना लगा रहता है. यहाँ ध्यान रखना चाहिए कि
यदि समय अच्छे से गुजारा जाए, उसमें खुशियों को समाहित किया
जाये तो वह बिना किसी कष्ट के बीत जाता है. इसके उलट कई बार समय ही कष्ट दे जाता
है, समय ही दुःख दे जाता है बस उसी समय से कैसे भी निपटा
नहीं जा सकता है. समय के हाथों मिलने वाले दुःख या कष्ट का कोई निदान नहीं, सिवाय इसके कि आने वाले समय की महत्ता समझी जाये और वर्तमान को वर्तमान
के साथ ही जीने का प्रयास किया जाये.
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