समय को गुजरना ही होता है, सो गुजर रहा है. कुछ अच्छे पलों के साथ, कुछ बुरे पलों के साथ. इन अच्छे-बुरे पलों के साथ बहुत से लोग साथ हैं और बहुत से लोग कहानी बन गए हैं. ऐसे लोग जो कहानी बन गए हैं उनमें एक हमारा मिंटू भी शामिल हो गया है. आज पाँच महीने होने को आये मगर ऐसा लगता है जैसे अभी दरवाजे पर जोर से आवाज़ लगाएगा परी की. यह उसकी आदत बन चुकी थी कि वह कभी भी बिना किसी सूचना के घर आ जाया करता था. यदा-कदा उसकी डांट लगाईं तो वह हमें ही खबर करता था मगर इस निवेदन के साथ कि घर में किसी को, खासतौर से परी को मत बताइयेगा. परी उसकी भतीजी है यानि हमारी बेटी.
घर पर आने के बाद जोर से ‘परी’ की आवाज़ लगाते ही घर के अन्दर हलचल मच जाती. मिंटू और परी की ऐसे शरारतें
चलती जैसे एक ही आयु-वर्ग के हों. कभी वो परी को सोते में भिगो देता, कभी परी उसके साथ कोई शरारत करती. कभी मिंटू हमारी घड़ी, पेन, चश्मा आदि
को लेकर परी को परेशान करता तो कभी परी उसके सामानों को छिपाकर उसके साथ मस्ती
करती. कभी-कभी चाचा-भतीजी की इस तरह की शरारत भरी मस्ती में हम ही दोनों की डांट
लगा दिया करते.
बीच में मिंटू... अगल-बगल उनकी भतीजियाँ परी-पलक |
ऐसी शरारत उन दोनों के बीच इस बार इसी दीपावली पर
हुईं. इसमें मिंटू की जबरदस्त डांट भी हमने लगाई. अंदाजा नहीं था कि चाचा-भतीजी के
बीच इस तरह कि शरारत अंतिम बार हो रही है. दीपावली मनाने के बाद वापस लौटने के बाद
सोचा भी नहीं था कि अब मिंटू कहानी बनकर हमारे बीच रहेगा. अब आये दिन बातचीत में
मिंटू की किसी न किसी बात की चर्चा होती है. आये दिन कोई न कोई किस्सा, कोई न कोई शरारत, कोई न कोई घटना हमारी चर्चा में
रहती है.
एक पल में एक व्यक्ति याद बन जाता है, स्मृति बन जाता है, एक झटके में कोई जीता-जागता,
चलता-फिरता अपना परिजन एक कहानी बन जाता है. कल तक हम सबके बीच अपनी शरारत भरी
उपस्थिति के साथ रहने वाला मिंटू अब कहानी बन गया है, अब
हमारी स्मृतियों में है, अब हमारी बातचीत का हिस्सा है. मिंटू
तुम्हारी बहुत सी कहानियाँ हमारे दिल में आज भी ज्यों की त्यों जीवित हैं, किसी दिन सबके बीच आएँगीं.
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