चीनी
वायरस कोरोना के चलते देशव्यापी लॉकडाउन ने सभी को पर्याप्त समय उपलब्ध करवाया है.
बाहरी कामकाज से फुर्सत वर्षों बाद नसीब हुई है, ऐसे में बहुतायत लोग इस समय का
सदुपयोग अपने शौक के साथ करने में लगे हैं. (उनमें से एक हम भी हैं.) बहुत से लोग,
जिन्हें पढ़ने का शौक है और अत्यधिक काम के बोझ के चलते इस तरफ ध्यान नहीं दे पा
रहे थे, वे अब अपना समय पढ़ने में बिता रहे हैं. इस समय का सभी लोग अपनी तरह से
उपयोग करने में लगे हैं. अच्छा भी है क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर कहा जाता है.
इस खाली समय में कुछ पुराने ब्लॉगर साथी पुनः सक्रिय हुए हैं ब्लॉग की उजड़ी सी
दुनिया को पहले की तरह गुलजार करने के लिए. यद्यपि पहले भी इसके लिए कई प्रयास, कई
साथियों द्वारा किये गए तथापि समय की कमी या कहें कि आपसी समन्वय की कमी से प्रयास
फलीभूत नहीं हो सके. इस बार ब्लॉगिंग की जिस महकती दुनिया को जिस सोशल मीडिया मंच
ने आकर उजाड़ने जैसा काम किया, आज उसी के बीच से रास्ता बनाकर आगे बढ़ने का विचार
बनाया गया है.
सोशल
मीडिया के आने के पहले ब्लॉगिंग पर ही बहुत सारा समय बीता करता था. ब्लॉग
एग्रीगेटर के द्वारा तमाम सारे नए-पुराने ब्लॉग एक जगह पढ़ने को मिल जाया करते थे.
इससे भी बहुत सारी मेहनत बच जाया करती थी. गुलज़ार, महकती उस दुनिया के बीच अचानक
से सोशल मीडिया का आगमन हो गया. अचानक से जैसे विचाराभिव्यक्ति का एक ऐसा मंच
प्रकट हुआ जहाँ सबको, सबकुछ अपनी आँखों के सामने होता नजर आया. संभवतः ब्लॉग में
ऐसी सुविधा प्रत्यक्ष तौर पर नहीं थी और इसी बिंदु के कारण ब्लॉग जगत के बहुत से
साथी इस दुनिया से दूसरी चकाचौंध वाली दुनिया में प्रवेश कर गए. वहाँ आपस में खूब
बहस, खूब हंगामा, खूब तर्क-वितर्क होते नजर आने लगे. एक-एक पोस्ट पर अनेकानेक
टिप्पणियाँ दिखाई देने लगीं. पोस्ट लेखक के अलावा कई-कई अन्य लोग भी ऐसी बहसों में
हिस्सा लेने लगे. इसके बाद भी ब्लॉग जगत के सशक्त मित्रों, समर्पित साथियों के मन
में कहीं न कहीं एक कसक सी बनी रही.
उसी
कसक के चलते ब्लॉग जगत से उनका पूरी तरह से जाना नहीं हो सका. किसी ने अपनी नियमित
उपस्थिति को साप्ताहिक बना लिया तो कोई नियमित की जगह अनियमित हो गया. बहुत से लोग
ऐसे भी रहे जिन्होंने ब्लॉगिंग से मुँह ही मोड़ लिया. खैर, अब जबकि सोशल मीडिया के
ही मंच का उपयोग करके अपनी ब्लॉगिंग दुनिया को फिर से महकाने की कवायद चल पड़ी है
तो आशा की जा सकती है कि वो रुकेगी नहीं. लॉकडाउन के खाली समय का सभी साथी, जो
ब्लॉग जगत से जुड़े हुए हैं, जो ब्लॉग जगत से जुड़ना चाहते हैं, सदुपयोग कर सकते
हैं. लॉकडाउन ने देश की आर्थिक व्यवस्था को चरमरा दिया हो मगर उसके द्वारा प्रकृति
को बहुत बड़ी संजीवनी मिली है. जगह-जगह से उसके खूबसूरत दृश्य पुनः देखने को मिलने
लगे हैं. कामना यही कि इस लॉकडाउन में ब्लॉग जगत की प्रकृति भी निखरेगी. पुराने
खूबसूरत पल पुनः देखने को मिलेंगे.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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