अमेरिकी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा शुरू किये गए टैरिफ वॉर से वैश्विक व्यापारिक
जगत में हाहाकार मचा हुआ है. दुनिया भर के शेयर बाजार धड़ाम नजर आ रहे हैं. यदि
सिर्फ अमेरिकी शेयर बाजार की चर्चा करें तो टैरिफ लगाने के बाद से यहाँ लगभग छह
ट्रिलियन डॉलर अर्थात लगभग 516 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं. यदि भारतीय बाजार के सन्दर्भ में देखा
जाये तो यह रकम भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार से दोगुनी है. सोचा-समझा जा सकता है
कि टैरिफ लगाये जाने की घोषणा से बाजार का जो हाल हुआ है, उससे
आगे क्या हाल होने वाला है. बाजार की ऐसी स्थिति के स्पष्ट रूप से दिखाई देने के
बाद भी ट्रम्प अपने फैसले को जबरिया सही सिद्ध करने पर उतारू हैं. दुनिया भर के 60 देशों पर टैरिफ लगाने के बाद अमेरिका सहित एशिया, यूरोप
के बाजारों में भयंकर गिरावट दिख रही है, बावजूद इसके ट्रम्प इसकी तरफ से आँखें
मूँद कर इसे एक दवा बता रहे हैं. जहाँ एक तरफ वैश्विक स्तर पर तमाम विशेषज्ञ
ट्रम्प के इस टैरिफ वॉर की आलोचना कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति
एक सवाल के जवाब में दो टूक भाषा में टैरिफ विरोध को दरकिनार करते हुए कहते हैं कि
मैं किसी चीज में गिरावट नहीं चाहता लेकिन चीजें ठीक करने के लिए दवाई देनी पड़ती
है.
आखिर ये समझने का
विषय है कि किस कारण से ट्रम्प टैरिफ लागू किये जाने की जिद पकड़े हैं? ये भी जानने-समझने का विषय हो सकता
है कि आखिर किस कारण से ट्रम्प को टैरिफ एक तरफ दवाई नजर आ रही है तो दूसरी तरफ
खूबसूरत चीज दिखाई दे रही है. ट्रम्प ने सोशल मीडिया के एक मंच पर लिखा भी है कि चीन,
यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ हमारा विशाल वित्तीय घाटा है.
इस समस्या का समाधान सिर्फ टैरिफ़ से ही संभव है. इससे अमेरिका में अरबों डॉलर आ
रहे हैं. क्या वाकई टैरिफ की नई दरों से अमेरिका में अरबों डॉलर आ रहे हैं या फिर
यह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा अपनी बात को पुख्ता किये जाने के लिए कहा गया
है? यदि बाजार के सन्दर्भ में अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर
नजर डालें तो साफ़ समझ आ रहा है कि अमेरिकी सरकार पर कर्ज का बहुत बड़ा बोझ है.
आँकड़े बताते हैं कि अमेरिकी सरकार वर्तमान में 36.1 ट्रिलियन
डॉलर क़र्ज़ की सर्वोच्च सीमा पर है. इसके अलावा अमेरिका के लिए आर्थिक स्तर पर जो
बुरी खबर है वो यह कि वर्तमान में अमेरिकी सरकार प्रतिवर्ष लगभग 900 बिलियन डॉलर से एक ट्रिलियन डॉलर के आसपास ब्याज का भुगतान करती है. टैरिफ के कारण अमेरिकी बॉण्ड यील्ड में आई गिरावट हाल-फिलहाल ट्रम्प
सरकार के लिए राहत जैसी समझ आ रही. टैरिफ के कारण अमेरिका के दस वर्षीय बॉण्ड
यील्ड में 4 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसी तरह से बीस वर्षीय बॉण्ड यील्ड में 4.25 प्रतिशत और तीस वर्षीय बॉण्ड यील्ड में 4.3 प्रतिशत
की गिरावट आई है. यह गिरावट इसलिए राहत का विषय हो सकती है क्योंकि इससे ब्याज
देनदारी में कमी आएगी. ऐसी विषम स्थिति में ट्रम्प सरकार को
राहत दिलाने का यह काम भले टैरिफ के माध्यम से होता दिखे मगर वह क्षणिक है और
दीर्घकाल में समूचे विश्व में इसका नकारात्म्मक असर दिखने की आशंका है.
ट्रम्प के टैरिफ
वॉर का असर वैश्विक स्तर पर तो पड़ेगा ही उसका अमेरिका पर भी काफी बुरा असर पड़ेगा.
तात्कालिक प्रभाव से शेयर बाजार में छह लाख करोड़ डॉलर तो डूब ही चुके हैं जो
अमेरिका की अर्थव्यवस्था का लगभग 20 प्रतिशत है. इसके साथ-साथ एशिया, यूरोपीय बाजारों में यह आँकड़ा सोच से
कहीं अधिक बुरी कहानी बयान करता है. ऐसी स्थिति के चलते अमेरिका में मंदी की आशंका
जताई जा रही है. विश्व की अनेक कम्पनियाँ जो अमेरिका को अपने उत्पाद, सेवाएँ भेजती हैं, उनके कारोबार और बाजार मूल्यांकन
में तगड़ी गिरावट देखी जा रही है. इससे नौकरियों पर भी संकट आ गया है. यदि यश
स्थिति वैश्विक रूप में मंदी के रूप में सामने आती है तो छोटी अर्थव्यवस्थाओं के
लिए इससे उबरना मुश्किल हो जाएगा.
ट्रम्प के नेतृत्व
में अमेरिका ने भले ही दो अप्रैल को अपना नया लिबरेशन दिवस घोषित करते हुए अमेरिका
के अनेक व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी शुल्क लगा दिया हो मगर इससे अमेरिका की
स्थिति में सुधार होने की सम्भावना हाल-फिलहाल तो नजर नहीं आती है. बजाय किसी तरह
के सुधार के एक सम्भावना यह बनती दिख रही है कि कहीं वैश्विक व्यापारिक क्षेत्र
में अमेरिका शेष विश्व से अलग न हो जाये. ट्रम्प ने भले ही अमेरिका को अपने ही
आर्थिक झंझावातों से बाहर निकालने के लिए, अमेरिका को कर्ज के मकड़जाल से मुक्त करवाने के लिए टैरिफ
लगाये जाने का निर्णय लिया मगर इससे एशिया, यूरोप की अर्थव्यवस्था में अलग तरह के
बदलाव देखने को मिल सकते हैं. विश्व की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ अमेरिका से इतर एक
नई व्यापारिक व्यवस्था को स्वीकार कर सकती हैं. निश्चित ही ऐसा होना वैश्वीकरण की
व्यवस्था को पूरी तरह से उलट देने जैसा होगा. टैरिफ की घोषणा के आने मात्र से होने
वाली उठापटक के बाद इसके दीर्घकालिक परिणामों के बारे में सुखद कल्पना तो कदापि
नहीं की जा सकती है. देखना यह है कि आने वाले समय में ट्रम्प द्वारा शुरू किया गया
टैरिफ वॉर क्या अंतिम परिणाम सामने लाता है?
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