राजनीति को बदलने का दावा करने वाले तमाम तरह के
सपने दिखाकर आन्दोलन के रास्ते सक्रिय राजनीति में आये लोगों ने वाकई राजनीति को
बदलकर रख दिया है. विगत कई दशकों में राजनीति में माफियाओं के, अपराधियों के घुस
आने से गंद तो फैली हुई थी, इन लोगों ने उस गंद को और अधिक मचमचा दिया है. न केवल
अपने बयानों से बल्कि अपने कामों से भी सिवाय विवाद पैदा करने के कुछ नहीं किया
गया. अभी हालिया काण्ड इसका जीता-जागता उदाहरण है.
आम आदमी पार्टी की एक महिला सांसद के साथ मारपीट
किये जाने की घटना सामने आई. आश्चर्य की बात ही कही जाएगी कि एक सांसद को एक
मुख्यमंत्री आवास पर मारपीट किये जाने की घटना होती है. आम आदमी पार्टी की
राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली के
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार द्वारा मारपीट की गई. यहाँ
विशेष बात ये है कि ये सभी लोग आम आदमी पार्टी के हैं मगर अब राजनैतिक व्यवस्था बदलने
आये महानुभावों का कहना है कि ये सब भाजपा की साजिश है.
मारपीट की इस घटना का अंजाम क्या होगा ये देखने वाली
बात है लेकिन आम आदमी पार्टी के विगत तमाम कृत्यों से यह तो स्पष्ट हो चुका है कि
इनका मकसद किसी भी रूप में राजनैतिक शुचिता का पालन करना नहीं है. व्यवस्था
परिवर्तन के नाम पर इनको महज सत्ता हासिल करनी थी, जिसे वे हासिल करके मलाई खाने
में लगे हैं. व्यवस्था के नाम पर कभी संविधान का मखौल बनाना, कभी प्रधानमंत्री के
लिए अपमानजनक शब्दावली प्रयोग करना, जानबूझकर विवादों को जन्म देना इनका मुख्य
कार्य बना हुआ है. राजनैतिक बदलाव को करने की असलियत का पता इसी बात से लगता है कि
जब ये लोग अथवा इनके मुखिया अरविन्द केजरीवाल आन्दोलन कर रहे थे तब इनका मुख्य
उद्देश्य भ्रष्ट विरोधी नेताओं को जेल पहुँचाना था. अब यही चुनावी गठबंधन में उनके
साथ हाथ मिला बैठे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाने में लगे हैं कि वे
सबको जेल भेजना चाहते हैं. समझ से परे है कि जिन-जिन नेताओं का नाम लेकर केजरीवाल
उनको जेल भेजना चाहते थे, अब वे उनको जेल जाने से बचाने में क्यों लगे हैं?
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