रूस के राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन ने तीसरे विश्वयुद्ध को लेकर एक बार फिर बड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने
स्पष्ट रूप से कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यदि नाटो की सेना और रूसी सेना में
संघर्ष हुआ तो दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध से एक कदम दूर होगी. इस तरह का बयान उस
समय आया है जबकि पुतिन राष्ट्रपति चुनाव को ऐतिहासिक बहुमत से जीत कर अगले छह
वर्षों के लिए रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं. उनको राष्ट्रपति के चुनाव में 87.29 प्रतिशत मत मिले हैं, जो रूस के सोवियत इतिहास
के बाद का सबसे बड़ा परिणाम है. इन चुनावों में पुतिन को मिली जीत ने उनके पाँचवें
कार्यकाल का मार्ग प्रशस्त किया. गौरतलब है कि पुतिन 1999 से राष्ट्रपति या
प्रधानमंत्री के रूप में रूस का नेतृत्व करते आ रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के
दौरान मिली विजय वहाँ के नागरिकों का उनके प्रति विश्वास और उम्मीद का सूचक है. ऐसा
इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि पिछले तीन चुनावों में उनको प्राप्त मतों का
प्रतिशत लगातार बढ़ता ही रहा है. 2012 में उनको 63.6 प्रतिशत, 2018 में 76.7 प्रतिशत और 2024 में
हुए चुनावों में 87.29 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं.
पुतिन की इस विजय
को कई अर्थों में महत्त्वपूर्ण इस कारण से माना जा रहा है क्योंकि उनके द्वारा
अपने नागरिकों से लगातार वादा किया गया कि वे पश्चिमी देशों द्वारा रूस के वैभव को
बर्बाद करने की, रूसी
अर्थव्यवस्था को नकारात्मक दिशा में पहुँचाने की साजिश को सफल नहीं होने देंगे.
उन्होंने ऐसा करके भी दिखाया है. यूरोपियन देशों सहित अमेरिका द्वारा किये जाने
वाले विरोध और प्रतिबंधों के बाद भी रूसी अर्थव्यवस्था पर पुतिन ने संकट नहीं आने
दिया. विगत लम्बे समय से यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध से उत्पन्न माहौल को भी
पुतिन के खिलाफ ले जाने के सारे प्रयास असफल ही रहे हैं. इसके उलट इन दिनों में
पुतिन की रेटिंग में उछाल भी आया है. यूक्रेन पर हमला किये जाने के समय पुतिन की
रेटिंग 71 मानी जा रही थी जो अब बढ़कर 86 हो गई है. रूसी राष्ट्रपति भी इस तथ्य से
भली-भांति परिचित हैं कि पश्चिमी देश लगातार रूस के खिलाफ साजिश करते रहे हैं. इसी
कारण से उन्होंने अपनी विराट विजय के पश्चात् सबसे पहले पश्चिमी देशों को आगाह
करते हुए विश्वयुद्ध जैसी स्थिति की चेतावनी दे डाली.
देखा जाये तो रूस-यूक्रेन
युद्ध ने 1962 के क्यूबा मिसाइल
संकट के बाद पश्चिम के साथ रूस के सम्बन्धों में सबसे गहरा संकट पैदा कर दिया है.
उस समय अमेरिका के नजदीक क्यूबा में मिसाइल तैनाती के एक मुद्दे पर तत्कालीन
सोवियत संघ और अमेरिका खुलकर आमने-सामने आ गए थे. यद्यपि पुतिन ने विश्वयुद्ध के
प्रति पश्चिमी देशों को चेताया तो है तथापि उन्होंने यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध
में परमाणु बम की जरूरत को नकारा.
तमाम रक्षा विश्लेषकों
का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों और रूस के बीच तनाव अपने चरम
पर पहुँच गया है. इस तनाव का एक कारण यूक्रेन में नाटो सेनाओं की उपस्थिति की
आशंका है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन पूरे विश्वास के साथ इस बात को मानते हैं कि नाटो
के सैनिक और विशेषज्ञ यूक्रेन में उपस्थित हैं, जो रूस के साथ युद्ध में उनको
सहायता, सलाह दे रहे
हैं. ऐसी स्थिति को मानने के साथ-साथ विगत दिनों फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रां ने
एक बयान में संकेत दिया कि वे भविष्य में यूक्रेन में नाटो की जमीनी सेना की तैनाती
की सम्भावना से इंकार नहीं कर सकते हैं. इस बयान से यूक्रेन में नाटो सैनिकों के
होने के पुतिन के दावे को बल मिलता है. यद्यपि मैक्रां के बयान के बाद कई पश्चिमी देशों
ने अपने को इससे दूर बताया है तथापि फ्रांसीसी राष्ट्रपति को पूर्वी यूरोप के कई देशों
का साथ भी मिला. पुतिन का विश्वयुद्ध की आशंका वाला बयान फ्रांसीसी राष्ट्रपति के
बयान की प्रतिक्रिया माना जा रहा है.
पुतिन के
विश्वयुद्ध सम्बन्धी बयान को भले ही फ्रांसीसी राष्ट्रपति के बयान की प्रतिक्रिया
माना जाये किन्तु वर्तमान विजय के पश्चात् यह तो स्पष्ट है कि रूस और पुतिन पहले
से ज्यादा सशक्त, मजबूत
बनकर उभरे हैं. उनका यह उभार पश्चिमी देशों की नींद उड़ाने के लिए पर्याप्त है. विगत
लगभग तीन वर्षों से चले आ रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका खुलकर यूक्रेन का साथ
देता दिख रहा है. रूस एक तरह से यूक्रेन के साथ-साथ अमेरिका,
नाटो सेनाओं के साथ युद्ध करता आ रहा है. इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है
कि रूस विश्व के सर्वाधिक परमाणु हथियारों और सुपरसोनिक मिसाइलों वाला देश है और
पुतिन उसी देश के सर्वशक्तिमान नेता हैं. ऐसे में इस विजय के पश्चात् यह युद्ध
रुकने अथवा शंतिपरक पहल के रास्ते पर जाने बजाय और तीव्र हो सकता है. अब पुतिन खुद
को कमजोर सिद्ध करने के स्थान पर वैश्विक रूप से और अधिक ताकतवर महाशक्ति के रूप
में उभरने का रास्ता अपना सकते हैं. ऐसे में सम्भव है कि विश्वयुद्ध की ये चेतवानी
पश्चिमी देशों तक अपनी विजय की हनक को पहुँचाने का कदम हो. फिलहाल दुनिया भले ही
तीसरे विश्वयुद्ध का सामना न करे किन्तु यदि जल्द ही शांति का माहौल नहीं बनता है
तो दुनिया निश्चित ही विश्वयुद्ध जैसे हालातों का सामना तो कर ही सकती है.
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