31 अक्टूबर 2023

युद्ध के विश्व युद्ध में बदलने की आशंका

उधर रूस-यूक्रेन युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा और इधर इजरायल पर हमास के जबरदस्त हमले के बाद जिस तरह से इजरायल ने अपनी प्रतिक्रिया दी, उसे देखते हुए लगता नहीं है कि वह अपनी सैन्य कार्यवाही को जल्द रोकेगा. फरवरी 2022 में रूस ने विशेष सैन्य अभियान बताकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया था. तब से दोनों के बीच युद्ध जारी है. इसके चलते परमाणु युद्ध का खतरा भी नजर आया. इस आशंका को बल तब मिला जबकि रूस ने परमाणु हथियारों की पहली खेप बेलारूस भेजी. इसके अलावा यूक्रेन समेत कई देश अपने नागरिकों को एक खास दवा, एंटी-रेडिएशन पिल्स बाँट रहे हैं जो परमाणु हमले के बाद लोगों को घातक रेडिएशन से बचा सकती है. 


परमाणु हमले की आशंका के बीच सशंकित विश्व के लिए एक बुरी खबर उस समय आई जबकि फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर जबरदस्त रॉकेट छोड़े. इसके साथ ही हमास के आतंकियों ने इजरायल की सीमा में घुस कर कई नागरिकों और सैनिकों को बंधक बनाया. इसके बाद इजरायल की तरफ से लगातार जबरदस्त सैन्य कार्यवाही की जा रही है. उसने गाजा पट्टी में घुसकर हमास के ठिकानों को नष्ट करना शुरू कर दिया है. उसके द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया कि वह गाजा पर कब्ज़ा नहीं करने जा रहा है किन्तु उसकी सैन्य कार्यवाही हमास को ख़त्म करके ही रुकेगी. हमास और इजरायल में जारी जंग के बीच अमेरिका ने पूर्वी सीरिया पर दो स्थानों पर एयरस्ट्राइक की है. पेंटागन ने कहा कि ये हमले अमेरिकी ठिकानों और कर्मियों के खिलाफ हाल ही में किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों का जवाब है. पिछले सप्ताह की शुरुआत में अमेरिकी सैनिकों पर सीरिया में हमले हुए थे.




देखा जाये तो इजरायल-हमास युद्ध में पूरी दुनिया दो खेमों में बँट चुकी है. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस आदि इजरायल का समर्थन कर रहे हैं जबकि उसके विरोध में ईरान, सीरिया, लेबनान, सऊदी अरब, रूस आदि हैं.  रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका यूक्रेन के साथ ढाल बनकर खड़ा है. अमेरिका ही नहीं बल्कि नाटो सैन्य संगठन के सभी देशों ने यूक्रेन की मदद की. अब उसने इजरायल के साथ एकजुटता जतायी है. अमेरिका और नाटो देशों की ओर से इजरायल को हथियारों की सप्लाई होने लगी है. अमेरिका ने अरब सागर में अपने जंगी बेड़े को उतार दिया है. साथ ही उसने मिडिल ईस्ट में अपने खतरनाक टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम को तैनात किया है. यह अमेरिका का सबसे आधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो मीलों दूर से आ रही मिसाइल का पता लगाने में सक्षम है. ब्रिटेन ने भी पूर्वी भूमध्यसागर में जासूसी विमान, दो युद्धपोत, मर्लिन हेलीकॉप्टर और सौ रॉयल मरीन कमांडों की कंपनी स्टैंडबाय मोड में रखी हैं जो इजरायल को जरूरत पड़ते ही सक्रिय होंगे. ऑस्ट्रेलिया ने मिडिल ईस्ट में बड़ी संख्या में जवानों के साथ-साथ दो सुपर हरक्यूलिस विमान भी तैनात किए हैं.


इजरायल विरोधियों में लेबनान ने हमास के समर्थन में इजरायल पर बम बरसाए, हिजबुल्ला ने रॉकेट दागे तो हूती आतंकियों ने भी इजरायल पर हमले किये हैं. इजरायल के खिलाफ ईरान और सीरिया का आना हुआ तो सउदी अरब और ईरान जैसे धुर विरोधी भी दुश्मनी भूल कर फ़िलिस्तीन के साथ खड़े हो गए हैं. लीबिया ने भी कहा कि अगर बॉर्डर खुला तो हमास के लड़ाकों की मदद के लिए सेना और हथियार दोनो भेजेंगे. गाजा पर हमले को लेकर तुर्की ने इजरायल और पश्चिमी देशों पर भड़कते हुए कहा कि हमास आतंकवादी संगठन नहीं बल्कि मुक्ति समूह है, देशभक्त संगठन है जो अपनी जमीन की रक्षा के लिए लड़ रहा है. रूस का झुकाव भी फिलिस्तीन की तरफ है. उसके कई अधिकारी काफी समय से हमास के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. उसने भी किंजल हाइपरसोनिक मिसाइलों सहित विमानों को काला सागर में तैनाती का आदेश दिया है. चीन ने भी मिडिल ईस्ट में अपने युद्धपोतों की तैनाती अरब देशों को समर्थन देने के उद्देश्य से की है.


इन घटनाओं के एक-एक करके सामने आने पर पहले दोनों विश्व युद्धों का स्मरण अनायास हो आता है. दोनों विश्व युद्ध आरंभिक दौर में दो देशों के बीच युद्ध ही थे जो कालांतर में अन्य देशों के शामिल होने से विश्व युद्ध में बदल गए. वर्ष 1914 से ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड की हत्या का आरोप सर्बियाई सरकार पर लगा. आस्ट्रिया ने उसके खिलाफ जंग छेड़ दी.  धीरे-धीरे बाकी देश भी शामिल होते चले गए और दो देशों की जंग विश्व युद्ध में बदल गई. वर्ष 1918 को जर्मनी के समर्पण  के साथ ही पहला विश्व युद्ध समाप्त हो सका. इस समर्पण में ही दूसरे विश्व युद्ध ने जन्म ले लिया था.


जिस तरह से सभी बड़े देशों ने जर्मनी को मजबूर किया था और उस पर अनेक प्रतिबंध लगाए. वर्ष 1933 में हिटलर के जर्मनी का सैन्य शासक बनते ही ऑस्ट्रिया उसके पक्ष में आ गया. वर्ष 1939 में चेकोस्लोवाकिया पर कब्जाकर हिटलर ने पोलैंड पर हमला कर दिया. यहीं से दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ. इसमें एक तरफ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और सोवियत संघ जैसे बड़े देश थे तो दूसरी तरफ जर्मनी, जापान और इटली. हिटलर की सेना के हावी होने पर सारे देशों ने मिलकर उस पर बमबारी कर दी. हिटलर के खुदकुशी करने पर जर्मनी चुप हो गया. अमेरिका के परमाणु हमले के बाद जापान ने भी हथियार डाल दिए. इस तरह से वर्ष 1945 को दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ.


रूस-यूक्रेन युद्ध हो या इजरायल-हमास युद्ध, दोनों में विश्व के अन्य देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जंग कर रहे हैं. यदि हमास के समर्थन में खाड़ी देश एकजुट होकर इजरायल पर हमला करते हैं तो अमेरिका सहित अन्य देशों के युद्ध में कूदने की आशंका से विश्व युद्ध का खतरा है. अब यह युद्ध सिर्फ इजरायल और हमास के बीच नहीं है बल्कि आपस में प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच शक्ति प्रदर्शन है. यदि हमास और उसके समर्थक देश अपनी जिद पर अड़े रहे, जल्द ही इनके बीच युद्ध विराम नहीं होता तो इस युद्ध के विश्व युद्ध में बदलने की आशंका है. 





 

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