आज लगभग प्रत्येक व्यक्ति इंटरनेट का उपयोग कर
रहा है. इंटरनेट का किसी भी रूप में उपयोग करने वाले व्यक्ति ने कुकीज (Cookies) के बारे में जरूर सुना होगा. अक्सर मन में सवाल
उठता है कि आखिर ये कुकीज है क्या? इसका कार्य करा होता है? कहीं ये उपयोगकर्ता के लिए, कम्प्यूटर या मोबाइल के
लिए हानिकारक तो नहीं है? दरअसल किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा इंटरनेट पर जब कोई वेबसाइट को, वेबपेज को खोला जाता है तो उस
कम्प्यूटर में एक छोटा टैक्स्ट दर्ज हो जाता है, जिसे कुकी कहते हैं. यह उपयोगकर्ता की जानकारी के
बिना एक तरह से परदे के पीछे काम करता है. इसका उपयोग कम्प्यूटर पर व्यक्ति की
प्राथमिकताओं को याद रखने और फिर से उसी वेबपेज के खुलने पर ब्राउजिंग गतिविधियों
को देखने के लिए किया जाता है. कुछ वेबसाइट उपयोगकर्ता के यूजरनेम, पासवर्ड को याद रखते हैं, इससे उपयोगकर्ता को लॉग
इन करने में सहजता होती है. यहाँ विशेष बात ये है कि कुकीज कोई प्रोग्राम नहीं हैं, इस कारण से इनके द्वारा कम्प्यूटर अथवा मोबाइल को कोई नुकसान नहीं होता है.
हम सभी इंटरनेट पर किसी भी वेबसाइट को देखने के
लिए, किसी भी वेबपेज पर जानकारी सर्च करने के लिए किसी न
किसी ब्राउज़र का उपयोग करते हैं. कम्प्यूटर हो या फिर मोबाइल, उसमें जब भी किसी ब्राउज़र का उपयोग किया जाता है,
वह चाहे गूगल क्रोम हो, फ़ायरफ़ॉक्स हो या इंटरनेट
एक्सप्लोरर सहित कोई भी ब्राउज़र हो, उसका इस्तेमाल करके किसी वेबसाइट को चलाया जा
रहा हो या फिर किसी जानकारी को सर्फ़ किया जा रहा हो तो उसकी जानकारी एक फाइल के
रूप में कम्प्यूटर या मोबाइल में सेव हो जाती है. उदाहरण के लिए इंटरनेट उपयोग
करने वाले ने कौन सा कीवर्ड इस्तेमाल किया है, कौन सी वेबसाइट खोली है, किस
जानकारी को सर्च किया है आदि तो ऐसी सभी जानकारी एक टेक्स्ट फाइल के रूप में हमारे
कम्प्यूटर या मोबाइल डाटा में सेव हो जाती है ताकि इसका इस्तेमाल बाद में किया जा
सके. कुकीज हम सबके कम्प्यूटर या मोबाइल की हार्ड ड्राइव में इंटरनेट से स्वतः
(ऑटोमैटिक) सेव हो जाती है. इसका लाभ यह होता है कि जब भी दोबारा कोई वेबसाइट खोली
जाती है तो उससे सम्बंधित कोई भी पेज खोलने में ज्यादा आसानी होती है. इंटरनेट उपयोगकर्ता
की पसंदीदा भाषा को याद रखने, उसके काम के विज्ञापन दिखाने और
किसी वेबपेज पर आए लोगों की संख्या जानने के लिए कुकीज का इस्तेमाल किया जाता है. कुकी
की सहायता से वेबसाइट उपयोगकर्ता के डेटा को सुरक्षित रखने के साथ ही उसके द्वारा
चुनी हुई विज्ञापन की सेटिंग को भी याद रख पाती हैं.
कुकीज के अपने कुछ फायदे और कुछ नुकसान हैं.
कुकीज फाइल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह किसी सर्वर की फाइल को सेव करने के लिए
बहुत ही कम डाटा लेती है. इस कारण से स्थान भी कम घिरता है और डाटा भी कम खर्च
होता है. यदि ब्राउज़र किसी कारण से बंद हो जाता है तो कुकीज का इस्तेमाल करके पूर्व
में अपनी खोली हुई Tab को दोबारा खोला जा सकता है. इन फायदों
के साथ कुकीज का एक नुकसान यह होता है कि यह उपयोगकर्ता के पासवर्ड, उसकी यूज़र
आईडी को पहचानता है, सेव करता है. इस कारण से कई बार यह
सुरक्षात्मक दृष्टि से खतरनाक हो सकता है. कई बार कुकीज गोपनीयता को लेकर भी
संदिग्ध रहती है. इसके द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि कब किस वेबसाइट को देखा
गया है. इसके अलावा एक नुकसान जानकारी के लीक होने अथवा बेचे जाने का भी होता है.
कई बार कम्प्यूटर, मोबाइल उपयोगकर्ता इंटरनेट का उपयोग करते
समय अपनी जानकारी जैसे नाम, पता या कोई अन्य जानकारी सम्बंधित
वेबसाइट पर भरता हैं, तो कुछ वेबसाइट इस जानकारी को अपने पास
सेव कर लेती हैं. अक्सर देखने में आता है कि बहुत सी वेबसाइट के द्वारा उपयोगकर्ता
की यह जानकारी किसी विज्ञापन कंपनी को बेच दी जाती है. इससे सम्बंधित विज्ञापन कंपनी
उपयोगकर्ता को विज्ञापन, संदेशों, ई-मेल आदि के द्वारा परेशान
करती हैं. हालाँकि बहुत सी वेबसाइट इस तरह की गोपनीयता को अपने तक सीमित रखने के
लिए नियम और शर्तों का उल्लेख करके बताती हैं कि वह वेबसाइट उपयोगकर्ता की जानकारी
किसी को भी नहीं बेचेगी. उस वेबसाइट के द्वारा इसका भी उल्लेख किया जाता है कि
उपयोगकर्ता द्वारा दी जा रही जानकारी सुरक्षित है.
इंटरनेट पर अनेक तरह की कुकीज काम करती हैं.
सामान्य रूप में निम्न तरह की कुकीज को समझा जा सकता है.
सेशन कुकीज (Session
Cookies) जब तक किसी वेबसाइट को खोले रहा जाता है, तब तक वह कुकी फाइल वहीं रहती है. जैसे ही वेबसाइट बंद करते हैं, वह अपने आप ही हट जाती है.
परसिस्टेंट कुकीज (Persistent
Cookies) यह एक प्रकार से स्थायी कुकी है, जो कम्प्यूटर
बंद करने के बाद भी रह सकती है. यह कुकी सामान्यतः एक वर्ष या उससे अधिक समय तक
सेव रह सकती है. जब भी सम्बंधित वेबसाइट को खोला जाता है तो इसी कुकी के साथ सम्बंधित
जानकारी उपयोगकर्ता को मिलने लगती है.
सिक्योर कुकीज (Secure
Cookies) यह कुकी उस वेबसाइट के द्वारा सेव होती है, जो https में खुलती है. यह जानकारी गोपनीय
रहती है और सुरक्षित मानी जाती है.
एचटीटीपी ओनली कुकीज (HTTP Only Cookies) यह कुकी उन वेबसाइट के माध्यम
से कम्प्यूटर या मोबाइल में सेव होती है जो केवल http में ही खोली जाती हैं. यदि उसी वेबसाइट को सुरक्षित https के द्वारा खोला जाये तो http वाली कुकी जानकारी
वेबसाइट को नहीं मिल पाएगी. ऐसी स्थिति में वह कुकी काम नहीं करेगी.
ऐसा नहीं है कि सभी वेबसाइट पर कुकीज स्वतः ही
काम करने लगती हैं या फिर इनको बंद नहीं किया जा सकता, हटाया
नहीं जा सकता. कोई भी उपयोगकर्ता वेबसाइट का उपयोग करते समय कुकीज को चालू (Enable) या बंद (Disable) कर सकता है. सामान्य रूप में बहुत
सी वेबसाइट कुकीज़ को स्वीकार (Accept) करने सम्बन्धी
नोटिफिकेशन भेजती हैं. बहुत सी वेबसाइट तो कुकीज अस्वीकार (Decline) करने के बाद भी काम करती रहती हैं मगर
बहुत सी वेबसाइट काम करना बंद कर देती हैं या सही ढंग से काम नहीं करती हैं. चूँकि
कुकीज फाइल किसी तरह की प्रोग्रामिंग फाइल नहीं होती है ऐसे में इसके स्वीकार (Accept) करने में कोई समस्या नहीं होती. इसको स्वीकारने
से उपयोगकर्ता को वेबसाइट पर अच्छा अनुभव प्राप्त होता है. उसके
द्वारा किसी ब्राउज़र पर, किसी वेबसाइट के माध्यम से सम्बंधित
जानकारी को आसानी से खोजा जा सकता है.
बढिया जानकारी।हम तो बहुत परेशान होते हैं इन कुकीज़ से।
जवाब देंहटाएं