आज 27 दिसम्बर 2021 से अगले 28 दिन तक एक नया अनुभव लिया जाना है. अभी तक ऑफलाइन बैठकों, गोष्ठियों, सेमिनार, वर्कशॉप आदि में सहभागिता की जाती रही है. कोरोना के समय में कई बैठकों, गोष्ठियों, मीटिंग्स में ऑनलाइन सहभागिता भी की गई मगर अपने अकादमिक क्षेत्र में, अपने कैरियर से सम्बंधित किसी कोर्स को, किसी कार्यक्रम को करने के लिए ऑनलाइन पहली बार आना हुआ. JNU द्वारा फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम का सञ्चालन किया जा रहा है. इससे पहले इस कार्यक्रम को ओरिएंटेशन प्रोग्राम के नाम से जाना जाता था.
आज पहला दिन परिचय में और कोर्स से सम्बंधित कुछ
बिन्दुओं को समझने में ही बीता. यद्यपि आज पहला सेशन भी प्रतिभागियों के सामने रखा
गया तथापि बहुत ज्यादा सुखद अनुभव नहीं रहा. ऐसे कोर्स को,
जिनका कि कैरियर के लिए, अध्यापन विकास के लिए, प्राध्यापकों के व्यक्तित्व विकास के लिए करना अनिवार्य है उसे ऑनलाइन
नहीं करवाना चाहिए. अब जबकि कोरोना की भयावहता से काफी हद तक जीतने के बाद लगभग
सारे क्षेत्रों से लॉकडाउन जैसी स्थिति ख़त्म कर दी गई है. बाजार, कार्यालय, मॉल आदि खोले जाने के साथ-साथ शैक्षणिक
संस्थान भी शुरू कर दिए गए हैं. महाविद्यालय, विश्वविद्यालय
तो काफी पहले से ही खोले जा चुके थे, बच्चों के स्कूल भी खोल
दिए गए हैं. ऐसे में इस तरह के कार्यक्रमों को ऑनलाइन चलाये जाने का मंतव्य समझ से
परे है. यहाँ एक और बात विशेष है कि महाविद्यालयों में अथवा अन्य शैक्षणिक
संस्थानों में जहाँ एक-एक कक्षा में चालीस-पचास बच्चे बैठकर अध्ययन कर रहे हैं
वहीं इस फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम में चालीस लोगों के आसपास ही प्रतिभागी हैं.
इस तरह के प्रोग्राम कोरोना काल के पहले तक
ऑफलाइन ही चला करते थे. कोरोना ने एक तरह से सबको कैद कर दिया था सो ये प्रोग्राम
भी कैद में हो गया था. अब जबकि सबकुछ सुचारू रूप से चलता हुआ दिखाई दे रहा है तब
इस तरह के प्रोग्राम, जहाँ कि देशभर से प्राध्यापक जुड़ते हों, ऑनलाइन करवाना बहुत ज्यादा लाभदायक समझ नहीं आ रहा. बहरहाल, सुबह 09:30 बजे से लेकर शाम 05:15 तक चार सेशन में तमाम सारे विषयों पर विद्वानों के व्याख्यान रहेंगे.
ऑनलाइन इसका कितना लाभ मिलता है, यह तो इस प्रोग्राम के 22 जनवरी 2022 को समाप्त
होने के बाद ही पता चलेगा. तक तक इसकी अनिवार्यता होने के कारण इसमें सहभागिता तो
करनी ही है.
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