- सुबह-सुबह आंख खुली तो मौसम बड़ा ही सुहाना लगा। हर ओर बड़ी ही खुशनुमा सी शांति छाई हुई थी। समाचार-पत्र खोल कर देखा, कहीं भी कोई मारपीट, हत्या, बलात्कार, लूट, आगजनी, आतंकी कार्यवाही का समाचार नहीं दिखा। प्रत्येक पेज पर सुख, समृद्धि, शांति, अमन-चैन के समाचार ही दिख रहे थे। एक पल को तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ।
- देश में चुनावों की स्थिति है और किसी भी तरह के आपसी तल्ख बयान भी नहीं दिखाई दिये। राजनीति करने वालों की दिनचर्या पर निगाह डाली तो पता चला कि सबके सब बहुत ही तन्मयता से कार्य कर रहे हैं, सभी अपने-अपने क्षेत्रों में स्वार्थ को त्याग कर समाज सेवा में मगन हैं। नेताओं की छवि को लेकर भी किसी प्रकार से कोई आक्षेप कोई भी नहीं लगा रहा था। नेता भी बिना किसी अपराध, भ्रष्टाचार के जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुन रहे थे।
- चुनाव के पहले जैसी भागमभाग बिलकुल भी नहीं दिख रही थी। सब प्रत्याशी बिना किसी तामझाम के अपना-अपना प्रचार करने में लगे हैं। साथ में न कोई बड़ी लग्जरी कार न कोई बंदूकधारी न सैकड़ों की भीड़, बस नेताजी और साथ में चार-छह समर्थक। सारे प्रत्याशी भी बेदाग छवि वाले दिख रहे थे, किसी के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला नहीं था, किसी के पास भी अकूत सम्पत्ति नहीं थी।
- बाजार में भी किसी प्रकार का कोई डर किसी को नहीं लग रहा था। कोई भी आपराधिक तत्व खुलेआम घूमता नहीं दिख रहा था। सब लोग निर्भीक भाव से रात को भी घूमने फिरने में लगे थे। घरों में ताले नहीं डाले जा रहे थे। सब कुछ बहुत ही अच्छा हो गया है।
- देश की विकास रफ्तार बहुत ही सकारात्मक रूप से ऊपर की ओर चलती चली जा रही थी। पड़ोसी देशों के साथ भी हमारे सम्बन्ध मधुरतम हो गये हैं। विश्व की तानाशाहात्मक शक्तियाँ भी हमें भरपूर सम्मान देने लगीं हैं। किसी प्रकार का कोई भी आतंकवाद हमारे देश के लिए खतरा नहीं रह गया है।
- चैकिये नहीं, ये कोई हकीकत या सपना नहीं। अब ब्लाग पर इसी तरह की पोस्ट ही लिखी जाया करेगी। हैरानी क्यों हो रही है? देखा नहीं आपने अब विचारों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। ब्लाग पर कुछ भी आपत्तिजनक लिखने पर कार्यवाही सम्भव है। तो क्यों लिखें किसी के खिलाफ? ऐसा लिखो जो विवाद न पैदा करे चाहे इसके लिए सच को छिपाना ही क्यों न पड़े?
- अब सब कुछ अच्छा ही अच्छा है......................
05 मार्च 2009
ये वक्त है अमन का, यहाँ पे शान्ति-शान्ति है....
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शांति ही रहनी चाहिए।
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