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21 जुलाई 2020

रामलला हम आ रहे, अबकी मंदिर ही बना रहे

इधर लगातार खबरें आ रही हैं कि पाँच अगस्त को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की आधारशिला रखी जानी है. इस खबर में कितनी सत्यता है, कितनी नहीं ये तो खबर प्रसारित करने वाले जानें मगर दिल को बहुत शांति मिली इस खबर के बाद. पिछले कई दशकों में अपने ही देश में अपने ही आराध्य को लेकर जिस तरह की जलालत झेलनी पड़ी है, वह असहनीय रही. इस खबर के बाद याद आ रहा है वह दौर जबकि किसी भी व्यक्ति के लिए अपना कैरियर बनाने का समय होता है. उस दौर में हमारे समय के लोगों को एक तरफ आरक्षण सम्बन्धी कानून की मार से जूझना पड़ा साथ में अपने मर्यादा पुरुषोत्तम की मर्यादा को बचाने के लिए लड़ना पड़ा.



उन दिनों को याद करते हुए आँखों में बार-बार नमी आ जाती है जबकि उन दिनों के अपने मित्रों के, अपने कार्यों को याद करते हैं. ये ईश्वर का आशीर्वाद कहा जायेगा कि हम लोग श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण देखने के लिए जीवित हैं, बहुत से कारसेवक ऐसे हैं जो किसी और के नेत्रों से इस दृश्य को देख रहे होंगे. उन दिनों जैसे जूनून सिर पर हावी था. कारसेवकों की सूची बनानी हो, लोगों को अयोध्या के सम्बन्ध में जागरूक करना हो, श्रीराम जन्मभूमि के बारे में जानकारी देना हो सब ऐसे होता था जैसे ये जीवन के लिए अनिवार्य हो. ऐसा नहीं कि सभी साथी इसी में अपने आपको झोंक दिए हों मगर कुछ साथी ऐसे थे जिनके लिए यही एकमात्र काम था. न भविष्य की चिंता, न कैरियर की चिंता, न नौकरी की चिंता बस दिमाग में एक ही बात रहती कि कैसे भी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि का सपना सच करवाना है.

हमारे हॉस्टल के बहुत से साथियों ने अपना सक्रिय योगदान इसमें दिया. बहुत से लोग दिन-रात एक करके इसी में लगे हुए थे. छोटे-छोटे ग्रुप बनकर सपने को सच करवाने के लिए लगे हुए थे. उस समय बस एक सपना सच हुआ कि एक विवादित ढाँचा गिरा. उसके बाद सपनों भरी आँखों ने और अधिक सपने सजा लिए. अबकी उन सपनों में मंदिर का निर्माण था. सपने समय के साथ सच होते हैं, ऐसा सुना था मगर आज देख लिया. तमाम कानूनी दांवपेंच, अवरोध दूर होते रहे और अब खबर आने लगी श्रीराम मंदिर निर्माण की. इन्हीं आँखों ने विवादित ढाँचा गिरते देखा था, यही आँखें श्रीराम मंदिर निर्माण भी देखेंगी.

जय श्रीराम


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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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