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22 जुलाई 2020

एक और अनावश्यक पहल

एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है, इसे सुनते रहे मगर देखने को अब मिल रहा है। एक प्राइमरी शिक्षक फर्जी मिला तो समूचे प्रदेश के शिक्षकों के कागज जाँचने की प्रक्रिया शुरू हो गई। जो शिक्षिका कई-कई जगहों पर नौकरी करती पाई गई उसके खिलाफ तो कार्यवाही हो गई मगर क्या वह बिना तंत्र के ऐसा करने में सक्षम थी? ऐसी कोई खबर नहीं आई कि उसके कागज़ जाँचने वाले, उसको जगह-जगह नियुक्ति पत्र निर्गत करने वाले, नियुक्त करवाने वाले, वेतन निकलवाने वाले किसी भी व्यक्ति पर कार्यवाही हुई।


इसी घटना का आधार बनाकर प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश के नियमित शिक्षकों की जाँच हेतु समितियाँ बना दीं। ऐसा लगा जैसे प्रदेश में फर्जी नियुक्ति पाने वाले एकमात्र शिक्षक ही हैं। पूरे प्रदेश में यदि फर्जीवाड़ा जाँचा जाए तो सभी स्तर पर मिल जाएगा। एक-दो नहीं सैकड़ों लोग अलग-अलग नौकरियों में फर्जी नियुक्ति के आधार पर, फर्जी कागजों के आधार पर काम करते मिल जायेंगे।


शिक्षकों की नियुक्ति को जाँचने के नाम पर समितियाँ अपना ही अलग नाटक करने में लगी हैं। ऐसे-ऐसे कागजातों की माँग की जा रही है, जिनकी आवश्यकता न इस समय है और न किसी समय हुआ करती थी। सरकार द्वारा कुछ बिन्दुओं पर जाँच के आदेश निर्गत किये गए हैं मगर समितियाँ स्वयं को स्वयंभू सरकार समझते हुए अनावश्यक रूप से परेशान करने में लगी हैं। यहाँ एक सबसे बड़ी विडम्बना यह सामने आ रही है कि महाविद्यालय के शिक्षकों से ग्रेड में, संवर्ग में एक पायदान पीछे के प्रशासनिक अधिकारी जाँच करने हेतु नियुक्त किये गए हैं। प्रथम दृष्टया यह व्यवस्था ही गलत है मगर इसके खिलाफ भी कहीं से कोई आवाज़ नहीं उठी। शिक्षक हितों के नाम पर संघर्ष (पदों का) करने वाले तमाम संगठन भी चिमाई साधे बैठे रहे। ऐसा लगा कि अब संघर्ष आर्थिक मोर्चे तक ही सीमित रह गया है। 'शिक्षक राष्ट्र निर्माता है' की मलाई चटवाकर सरकार कहीं न कहीं शिक्षक को एक पायदान नीचे ही खिसका चुकी है।

सवाल ये है कि जो शिक्षक कार्यरत हैं क्या वे ही फर्जी हो सकते हैं?

जो पिछले वर्षों तक में रिटायर हुए, क्या वे फर्जी नहीं हो सकते?

आयोग से चयन, मानदेय से विनियमितीकरण के दौरान कागजों को देखने का काम क्या नहीं किया गया?

मान लो कि इस जाँच से कोई शिक्षक फर्जी निकल आता है तो क्या आयोग में, क्षेत्रीय कार्यालय में, निदेशालय में उसके कागजों की जाँच करने वाले पर भी कार्यवाही होगी?

यदि पूरे प्रदेश में कोई शिक्षक फर्जी न निकला तो क्या सरकार पर 'राष्ट्र निर्माता' की मानहानि करने की कार्यवाही शिक्षक संगठनों द्वारा की जाएगी?

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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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