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03 मार्च 2023

एक भ्रम, जो दिलासा देता है

मनुष्य खुद को किसी न किसी बहाने से, किसी न किसी भ्रम में रखना पसंद करता है. ऐसा व्यतिगत रूप से हमें लगता है, संभव है कि सभी के साथ ऐसा न हो. हम लोग खुद को कितने धोखे में, भ्रम में रखते हैं, ये हम लोग ही जानते हैं. कभी अपने किसी आत्मीय के नाम पर, कभी अपने किसी पालतू जीव-जानवर के नाम पर, कभी कहीं आने-जाने के नाम पर, कभी किसी उपहार आदि के नाम पर. ऐसा हम सभी सोशल मीडिया पर रोज ही होता देख रहे हैं. सोशल मीडिया पर रोज ही यदि जन्मदिन वाली पोस्ट देखने को मिलती हैं तो आत्मीयजनों के चले जाने की खबरें भी मिलती हैं. अपने किसी आत्मीय के, परिजन के चले जाने का दुःख हम सबने किसी न किसी रूप में सहा ही होगा. ये पोस्ट इसी सन्दर्भ में हैं. 




ऐसा हम सभी को अक्सर देखने में आता है कि हम लोग अपने उस परिजन के चित्र पर माला डाल देते हैं, जो अनंत यात्रा पर जा चुका होता है. निश्चित है कि अपने किसी भी परिजन को कभी भी विस्मृत नहीं किया जा सकता है. उसकी याद बने रहना, किसी अवसर विशेष पर उसका याद आना एक सामान्य सी घटना है. हम सभी में से से सभी ने ही अपने-पाने किसी न किसी परिजन को, कभी न कभी खोया ही है. उनके जाने के दर्द को महसूस किया है. उनके चले जाने का दुःख हम सभी किसी न किसी रूप में सहते ही हैं. जो परिजन हमसे बहुत दूर चले गए होते हैं, हम उनकी यादों को, उनकी स्मृतियों को चित्रों, फोटो के माध्यम से संजो कर रखते हैं. अक्सर हम उनके चित्रों पर माल्यार्पण भी करते हैं. ऐसा करने के पीछे उनको एक तरह से श्रद्धांजलि देने का काम किया जाता है.


विगत कुछ वर्षों में अपने परिजनों को हमने खोया है. उनकी फोटो पर हमने आजतक माला नहीं डाली है. अइया-बाबा का चित्र इस बारे में अपवाद है, वो भी शायद इस कारण कि पिताजी ने हमारे कहने के बाद भी उन पर माला डाले रखी. हमने पिताजी के, अपने छोटे भाई मिंटू के चित्र पर आज भी माला नहीं डाली है. सब कुछ जानते हुए भी मन में एक भ्रम रहता है उनकी फोटो देखकर कि वे हमारे साथ हैं. कितना बड़ा धोखा हम खुद को दे रहे हैं. ये जानते हुए भी कि अब देर रात घर आने पर, असमय घर आने पर पिताजी की डांट नहीं पड़ने वाली, कुछ करने के पहले पिताजी की राय नहीं मिल पानी; ये मालूम होते हुए भी कि अब पूरे अधिकार से पैसे माँगने, कुछ काम करवाने को मिंटू नहीं है, हमारी डांट सुनने के लिए वो घर पर नहीं है..... एक भ्रम पाले हैं कि ये लोग हमारे साथ हैं.


एक भ्रम है जो दिलासा देता है. एक धोखा है जो बस दिए जा रहे हैं. शायद ऐसा हममें से बहुत सारे लोगों के साथ होगा.






 

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