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01 जुलाई 2017

उस प्यारे से बचपन में

आज एक जुलाई है. सभी हिन्दी ब्लॉगर ख़ुशी मना रहे हैं, अन्तर्राष्ट्रीय ब्लॉगर डे मनाए जाने की. उधर सरकार और इनके सहयोगी-समर्थक प्रसन्नता दर्शा रहे हैं, देश में एक क़ानून के आधी रात से लागू होने की. जी हाँ, आज एक जुलाई से ही देश में एक कर व्यवस्था GST लागू कर दी गई है. अब कर व्यवस्था में पुराने तमाम कर निष्प्रभावी हो गए हैं. वे कर अब याद बन गए हैं, स्मृतियों में हैं.
 व्यक्ति का जीवन भी कुछ ऐसा ही है. समय गुज़रता जाता है. कुछ नया आता रहता है. कुछ पुराना हो जाता है. वो पुराना बस याद बन जाता है, स्मृतियों में बस जाता है. बचपन की भी कुछ ऐसी ही स्थिति होती है. एक बार चला जाता है तो लौटकर नहीं आता है.
चंद पंक्तियाँ उसी बचपन पर...

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हर बात सुहानी लगती थी, उस प्यारे से बचपन में। 
हम मौज मस्त में डूबे थे उस प्यारे से बचपन में॥ 
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वो प्यारे संगी साथी सारे, वे गाँव की धूल भरी गलियां। 
ओढ़ के चादर अल्ल्हड़ता की, गलिओं में दौड़ा करते थे।। 
खेतों की वो हरियाली से, मन का मतवाला हो जाना। 
वो बाग़ बगीचों की मस्ती, पेड़ों पर झूला करते थे॥ 
सुहानी भोर की प्यारी धुन, ढलती शाम का मस्त समां। 
सब कुछ अलबेला लगता था, उस प्यारे से बचपन में॥ 
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सावन के बलखाते झूलों से, उड़ करके नभ को छू लेना। 
काले बादल की रिमझिम में, मस्ती में भीगा करते थे॥ 
थक करके जब भी आयें हम, माँ के आँचल की छाँव मिले। 
दादी से किस्से सुन-सुन कर, सपनों में उड़ते रहते थे॥ 
पंछी की तरह से उड़ जाना, बहती नदिया जैसा बहना। 
सब कुछ कितना मासूम सा था, उस प्यारे से बचपन में॥ 
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जीवन के तंग झमेलों में फंस, भूले बचपन की मुस्कानें। 
न दौड़ सके फ़िर बागों में, फ़िर बारिश में न भीग सके॥ 
रुपया, पैसा, रोटी, कपड़ा, इस चक्रव्यूह में उलझ गए। 
बचपन रूठा, घर भी छूटा, माँ के आँचल में फ़िर सो न सके॥ 
याद सुहाने बचपन की अब, इस दिल को धड़का देती है। 
सिरहन सी मचती है तन में, मन को चंचल कर जाती है।। 
थके हुए इस टूटे दिल की, अब तो इतनी ख्वाहिश है। 
ले जाए फ़िर से कोई हमें, उस प्यारे से बचपन में॥ 

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदरता से संजोया आपने,
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग दिवस पर आपके द्वारा किये सहयोग के लिये सादर आभार.
    रामराम

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  2. अन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें .....#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. जीवन के सबसे प्यारे दिनों की बेहतरीन यादें...!

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  5. न जाने क्यों बचपन की ही याद सबसे सुन्दर लगाती हैं .... सुन्दर रचना .

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  6. सच बचपन जितना अनमोल होता है उसके बीत जाने के बड उनकी यादें उससे भी अनमोल धरोहर | सुन्दर सरल रचना राजा साहब

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