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02 सितंबर 2010

आज निकल पड़े अपना ही प्रचार-प्रसार करने -- बधाई देते जाइएगा


अपनी नियमित दिनचर्या के चलते शाम को मेल देखने बैठे तो एक मेल देखकर मजा आ गया। अपना नाम भी बैशाखनंदन के विजेताओं की श्रेणी में आ गया।



व्यंग्य के इस पुरस्कार के विजेताओं में अपने नाम के साथ-साथ जिन महारथियों के नाम देखे तो लगा कि चलो अब लिखना कुछ तो फलीभूत हुआ। वरना अभी तक तो हम ही लिखें और हम ही वाचें जैसी स्थिति थी।

अपना नाम देखा तो सोचा कि विगत दो वर्षों से अधिक की ब्लॉग जगत की अपनी लेखन यात्रा में पहली बार कोई सम्मान मिलने पर एक पोस्ट तो अपने लिए लिख ही दी जाये। विविध विषयों पर लिखने के बाद आज विचार आया कि विज्ञापन के इस जबरदस्त दौर में अपने विजेता होने का भी प्रचार-प्रसार कर दिया जाये। बस इसी कारण से आज अपना प्रचार करने निकल पड़े।

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बैशाखनंदन प्रतियोगिता के सभी विजेताओं को बधाई और शुभकामनाएँ। इसके साथ ही आयोजकों तथा प्रायोजकों को भी बधाई और साधुवाद। आगे भी ब्लॉग जगत में इसी तरह के सकारात्मक कार्यों की अपेक्षा रहेगी।


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इस दी गई लिंक पर क्लिक करके आप इस प्रतियोगिता के सभी विजेताओं की जानकारी कर सकते हैं।

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाह जी, बहुत बधाई..सिलसिला बना रहे.

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  2. बहुत बहुत बधाई

    जय बुंदेलखंड
    जय छत्तीसगढ
    जय हिंद

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  3. वैशाखनंदन बनकर भी तसल्‍ली नहीं हुई । बधाई भी चाहिए। ले लीजिए वह भी थोक में। गोदामों में अनाज की तरह सड़ रही है। क्‍यों‍कि कोई कुछ ऐसा कर ही नहीं रहा कि उसका उपयोग हो।

    पर वैशाखनंदन जी ये जो आपने अपने ब्‍लाग में भारी भरकम टैम्‍पलेट लगाया है इसके वजन से हमारा डाटाकार्ड टें बोल जाता है। कोई हल्‍का वाला लगा लजिए।

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  4. गैलिलिओ ने कहा था कि ''मेरे माफी मांग लेने से या लोगों के मेरी बात मानने से इंकार कर देने से सच नहीं बादल जाएगा... सच को मानो या ना मानो वो सच ही रहेगा..'' वैसे ही आपको सम्मान दिया जाए या नहीं.. सच यही है कि इस ब्लॉगजगत में आपकी तरह उत्कृष्ट लिखने वाले कम ही हैं चाचा जी.. भले ही लोग पढ़ें ना पढ़ें.. कमेन्ट दें या ना दें..
    फिर भी आपकी हर खुशी में शामिल तो हूँ ही.. सम्मान पर बधाई... :)

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  5. अच्छा जी हम कहते थे गधे तो बुरा लगता था, अब सबने मिल कर कहा बैशाख्नंदन तो बधाई मांग रहे हो. तुम भी कमाल हो. हमारा गधा कहना सार्थक रहा. ये सिद्ध हो गया.
    आशीर्वाद और बधाई.
    इसी तरह तरक्की करते रहो.

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  6. अच्छा जी हम कहते थे गधे तो बुरा लगता था, अब सबने मिल कर कहा बैशाख्नंदन तो बधाई मांग रहे हो. तुम भी कमाल हो. हमारा गधा कहना सार्थक रहा. ये सिद्ध हो गया.
    आशीर्वाद और बधाई.
    इसी तरह तरक्की करते रहो.

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  7. badhai sir ji, bahut-bahut badhai.
    Rakesh Kumar

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  8. ख़ूब ख़ूब बधाई और मंगल कामनाएं

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