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15 मई 2010

यौन शिक्षा - चुनौतीपूर्ण किन्तु आवश्यक प्रक्रिया - (भाग - 4)


यौन शिक्षा - चुनौतीपूर्ण किन्तु आवश्यक प्रक्रिया
डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
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(4) यौन शिक्षा का स्वरूप
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यहाँ आकर यह तो स्पष्ट होता है कि ‘यौन शिक्षा’ क्यों और कैसी हो। बच्चों की दुनिया पर निगाह डालें तो हमें पता चलेगा कि ज्यादातर बच्चे-लड़के, लड़कियाँ दोनों ही शारीरिक दुराचार का शिकार होते हैं। हम इसके कारणों का पता लगाये बिना इस अपराध को मिटाना तो दूर इसे कम भी नहीं कर सकते। बड़ी आयु के लोगों द्वारा बच्चों के शारीरिक शोषण की घटनाओं के साथ-साथ अब बच्चों द्वारा ही आपस में शारीरिक दुराचार की घटनायें भी सामने आने लगीं हैं। यहाँ हम बच्चों को ‘यौन शिक्षा’ के द्वारा स्त्री-पुरुष सम्बन्धों, मासिक धर्म, गर्भधारण, शारीरिक सम्बन्धों की जानकारी देकर उनका भला नहीं कर सकते। इस उम्र के बच्चों को ‘यौन शिक्षा’ के माध्यम से समझाना होगा कि एक लड़के और एक लड़की के शारीरिक अंग क्या हैं। उनमें अन्तर क्या है। हमें बताना होगा कि उनके शरीर में यौनिक अंगों की महत्ता क्या है। इन अंगों का इस उम्र विशेष में कार्य क्या है।

इन बातों के अलावा इस उम्र में वर्तमान परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में ‘सेक्स एजूकेशन’ के रूप में बच्चों को समझाना होगा कि किसी भी लड़का-लड़की के शरीर के यौनिक अंग उसके व्यक्तिगत अंग होते हैं, जिनका प्रदर्शन नहीं किया जाना चाहिए। शरीर के इन अंगों को न किसी को स्पर्श करने देना चाहिए न किसी दूसरे के यौनिक अंगों को स्पर्श करना चाहिए। किसी के कहने पर भी उसके इन अंगों का स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही अपने इन अंगों का स्पर्श करवाना चाहिए यदि कोई ऐसा करता भी है (भले ही प्यार से या कुछ देकर या जबरदस्ती) तो तुरन्त अपने माता-पिता, शिक्षकों अथवा किसी बड़े को इसकी जानकारी देनी चाहिए।

हमारे पारिवारिक-सामाजिक ढाँचें में अभी भी एक बहुत बड़ी खामी यह है कि यदि कोई बच्चा अपनी यौनजनित जिज्ञासा को शान्त करना चाहता है तो हम या तो उसे अनसुना कर देते हैं या फिर उसे डाँट-डपट कर शान्त करा देते हैं। यदि किसी रूप में उसके सवालों का जवाब देते हैं तो इतनी टालमटोल से कि बच्चा असंतुष्ट ही रहता है। यही असंतुष्टता उसे यौनिक हिंसा, शारीरिक दुराचार का शिकार बनाती है। माता-पिता, शिक्षकों को ‘यौन शिक्षा’ के माध्यम से बच्चों को उनकी जिज्ञासा को सहज रूप से हल करना चाहिए, हाँ, यदि सवाल इस प्रकार के हों जो उसकी उम्र के अनुभव से परे हैं अथवा नितान्त असहज हैं तो उनका उत्तर ‘अभी आपकी उम्र इन सवालों को समझने की नहीं है’ जैसे सुलभ वाक्यों के द्वारा भी दिया जा सकता है। बच्चों के प्रश्नों के उत्तर उनकी सवालों की प्रकृति और परिस्थितियों पर निर्भर करती है। इसी तरह टीनएजर्स की ‘यौन शिक्षा’ का स्वरूप अलग होगा।


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चित्र गूगल छवियों से साभार लिए गए हैं......


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