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24 फ़रवरी 2009

बचपन को मुस्कराने दें

आज 24 फरवरी हमारे भांजे का जन्मदिन है। वैसे ये कोई विशेष बात नहीं है कि ब्लाग पर बताया जाये क्योंकि न तो हम उसका कोई कार्यक्रम मना रहे हैं और न ही हम इस अवसर पर उसके पास हैं। वह हम सबसे दूर नई दिल्ली में बैठा अपनी नौकरी में व्यस्त है। हाँ जीजाजी और दीदी उसके साथ में हैं। खास बात ये है कि आज उसके आरकुट पर जाकर उससे बात करने का विचार बनाया तो देखा कि इंजीनियर दिमाग और कार्य से भी इंजीनियर हमारे भांजे ने अपने नाम के साथ भी अपनी रचनात्मकता दिखा दी। इसी रचनात्मकता ने हमें यह पोस्ट लिखने को भी प्रेरित कर दिया। महाशय ने अपने नाम को आज बदल कर लिख दिया कि पहला आश्रम समाप्त।

आज भांजे श्री 25 वर्ष के हो गये हैं। उसकी बात तो सही है, हमारे भारतीय विधान के अनुसार पहले 25 वर्ष में व्यक्ति अपने पहले आश्रम को पूरा करता है और उसके बाद अपने आपको साबित करने के लिए दूसरे आश्रम की परीक्षा सारी जिन्दगी देता है। यह बात और है कि दूसरा आश्रम भी मात्र 25 वर्ष का होता है, जो 50 वर्ष की आयु के बाद समाप्त हो जाता है। इसके बाद आदमी तीसरे आश्रम के लिए गमन करता है। इसके बाद भी देखा गया है कि आदमी अपना दूसरा आश्रम बिताने के साथ-साथ सारी जिन्दगी इसी आश्रम के साये में जीता रहता है।

व्यवस्था यह बनाई गयी थी कि गृहस्थ आश्रम के बाद जब व्यक्ति तीसरे आश्रम में प्रवेश करे तो वह अपने पीछे आ रही पीढी को गृहस्थी का भार सौंप दे और खुद को घर में रहते हुए ही भगवान के भजन में लगाये। पर देखा गया है कि ऐसा होता नहीं है। आदमी सारी जिन्दगी गृहस्थ आश्रम का बोझ उठाने को मजबूर रहता है। यह तो एक अलग बात है कि कौन किस तरह से अपना निर्वहन कर रहा है और कौन किस व्यवस्था के तहत काम कर रहा है।

यहाँ आने का कारण इतना था कि सभी आश्रमों में शायद सबसे उत्तम ब्रह्मचर्य आश्रम ही है जिसमें बचपन शामिल रहता है। बचपन का भोलापन, बचपन की शरारतें, बचपन की उछल-कूद बगैरह शामिल रहतीं हैं और यही पन सबसे तेजी से निकल जाता है। बचपन के दिनों को याद करने पर सिर्फ और सिर्फ मीठी आह सी निकलती है और बस....................।

आज तो आपाधापी और तेजी से विकास करने की अंधाधुंध दौड़ में बच्चों का भोलापन भी छीन लिया गया है। काश! हम ये बात समझ पाते कि इस उम्र के निकल जाने के बाद तो रस्साकशी और परेशानी आदि लगीं रहतीं हैं। कम से कम इस उम्र को तो हंसी-खुशी गुजरने दें, अपनी पूरी शरारतों, मस्ती और रंगीनियों के साथ तो गुजरने दें।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्‍छभ्‍ बातें कही आपने।
    आपके भानजे को जन्‍म दिन की बधाइयां और शुभाशीष।
    जरा तलाश कीजिएगा-'पहला समाप्‍त' होने के साथ ही साथ 'दूसरा शुरु' तो नहीं कर दिया मामा के भांजे ने?

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  2. आपके भानजे को जन्‍म दिन की बधाइयां

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