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26 नवंबर 2024

सभी का जीवन-मरण के इस चक्र में बार-बार आना तय है

मौत और मृत्यु, इन दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है पर मौत शब्द से भयावहता तथा मृत्यु से एक तरह की आध्यात्मिकता परिलक्षित होती है. मृत्यु ही जीवन का एकमात्र सत्य है जो व्यक्ति के जन्म से ही निश्चित हो जाता है. किसी भी व्यक्ति के भविष्य को लेकर यही एकमात्र स्थिति है जो दावे से कही जा सकती है.


इस बारे में जब भी विचार करते हैं, वैसे दार्शनिक रूप में दिन भर विचार आता रहता है, ग़नीमत है कि आपराधिक रूप में नहीं आता है, बहरहाल, विचार आने पर लगता है कि संसार के सभी व्यक्तियों का पुनर्जन्म होता होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इस एक जीवन में किसी भी व्यक्ति की इच्छाओं की, अभिलाषाओं की पूर्ति तो हो नहीं पाती है. ऐसा सबके साथ होता है.




सांसारिक व्यक्ति अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रयत्नशील रहता है तो साधू-संन्यासी-तपस्वी आदि मोक्ष की लालसा से काम करते रहते हैं. स्पष्ट है कि कोई भी लालसा व्यक्ति को मुक्ति नहीं देती है, या कहें कि मुक्त नहीं होने देती.


इसलिए सभी का जीवन-मरण के इस चक्र में बार-बार आना तय है, निश्चित है.

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