लोकसभा चुनावों की
सुगंध चारों तरफ फैलने लगी है. इस बार का लोकसभा चुनाव जहाँ एक तरफ विपक्षी गठबंधन
के लिए अग्निपरीक्षा जैसा है वहीं भाजपा के लिए खुद को निखारने जैसा है. विगत दस
वर्षों के कार्यों को देखने के बाद शायद ही किसी राजनैतिक विश्लेषक को केन्द्र में
भाजपानीत सरकार के प्रति संशय हो. इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए, प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी के लिए प्रतिद्वंद्विता स्वयं से ही है, निखारना भी स्वयं को है, साबित भी स्वयं को करना है. विगत दस वर्षों के कार्यकाल में नरेन्द्र
मोदी द्वारा किये गए कार्यों, उनके द्वारा लिए गए अनेक
साहसिक निर्णयों के द्वारा यह निर्धारित हो चुका है कि वे देशहित में किसी भी तरह
का साहसिक निर्णय लेने से पीछे नहीं हटते हैं.
उनके इन्हीं
कार्यों, निर्णयों के
आधार पर सहज स्वीकार्यता बनी हुई है कि इस लोकसभा चुनाव में जनादेश प्राप्त करने
के बाद वे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर
लेंगे. देश में अभी तक हुए सत्रह लोकसभा चुनावों में जवाहर लाल नेहरू के अतिरिक्त
किसी को भी लगातार तीन बार जनादेश नहीं मिला है. नेहरू जी के नेतृत्व में 1952,
1957 और 1962 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस
विजयी हुई थी. भाजपा द्वारा ‘अबकी बार, चार सौ पार’ का नारा
ऐसे ही नहीं दिया जा रहा है. ऐसा अनुमान है कि नरेन्द्र मोदी अपने तमाम कार्यों, निर्णयों के आधार पर कांग्रेस के एक और कीर्तिमान पर अपनी नजर बनाये हुए
हैं. अभी तक के लोकसभा चुनावों में वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद
उसी वर्ष संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने कीर्तिमान रचते हुए ऐतिहासिक
415 सीटों के साथ केन्द्र में सरकार बनायी थी. नरेन्द्र मोदी और भाजपा का पूरा
प्रयास रहेगा कि अपने कार्यों के चलते वे इस ऐतिहासिक संख्या को छू सकें.
जिस तरह की
राजनैतिक हलचल मची हुई है, जिस तरह से विपक्ष के क्रियाकलाप हैं, जिस तरह से
उनके द्वारा बयानबाजी की जा रही है, जिस तरह से मतदाताओं का
रुख है उसे देखकर इस लोकसभा में भाजपा को जनादेश मिलना मुश्किल नहीं लग रहा है. इसके
पीछे नरेन्द्र मोदी के वे तमाम कार्य और निर्णय हैं जो उन्होंने पूरे साहस के साथ
पूरे किये हैं. इन कार्यों में चाहे नोटबंदी हो, 370 की
समाप्ति हो, तीन तलाक का मामला हो,
राममंदिर निर्माण हो, नारी शक्ति वंदन अधिनियम हो, नागरिकता संशोधन अधिनियम हो या
फिर समान नागरिक संहिता जैसा मुद्दा हो. असल में इन कार्यों को भाजपा के थिंक टैंक
द्वारा, उनके सहयोगियों द्वारा तो खूब प्रचारित-प्रसारित
किया गया मगर उन अनेकानेक कार्यों पर विषद चर्चा कभी नहीं की गई जो जनहित से जुड़े
रहे, जो आर्थिक नीतियों से जुड़े रहे. उक्त तमाम विषयों को
विरोधियों द्वारा बार-बार आलोचनात्मक रूप में उठाते हुए सरकार की आलोचना की गई कि
उसके द्वारा गरीबी, स्वास्थ्य, मंहगाई, रोजगार आदि के लिए किसी भी तरह का कार्य नहीं किया गया. इन बिदुओं पर
भाजपा के रणनीतिकारों द्वारा भी जनमानस के बीच जाने का प्रयास नहीं किया गया. आम
जनता को यह समझाने का प्रयास ही नहीं किया गया कि मोदी के नेतृत्व में केन्द्र
सरकार द्वारा महज जम्मू-कश्मीर, अयोध्या, वाराणसी आदि पर ही कार्य नहीं किया गया बल्कि आयुष्मान योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, बालिका समृद्धि योजना, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया आदि के द्वारा देश
की अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर खड़ा करने का कार्य किया है.
2014 में नरेन्द्र
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से अद्यतन भारतीय राजनीति को दो-दो दशकों के
तुलनात्मक रूप में देखा जाने लगा है. इसमें पहला मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाला
2004-2014 का संप्रग कार्यकाल और दूसरा नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाला 2014-2024
का राजग कार्यकाल है. यहाँ इन दो-दो दशकों के एक-एक पक्ष को विश्लेषित कर पाना
संभव नहीं है मगर कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को अवश्य ही दर्शाया जा सकता है. जब
भी किसी सरकार के कार्यों का आकलन किया जाता है तो मंहगाई, रोजगार,
शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना आदि
पर विशेष नजर रखी जाती है. तुलनात्मक रूप में देखें तो नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व
में केन्द्र सरकार ने प्रति व्यक्ति वार्षिक आय, रसोई गैस कनेक्शन, आवास, शौचालय, शिक्षा, विदेशी मुद्रा भंडार, आधारभूत संरचना, मातृत्व सेवाओं आदि में जबरदस्त उपलब्धि प्राप्त की है. उज्ज्वला योजना, सस्ते आवास योजना, शौचालय निर्माण के द्वारा मोदी
सरकार ने जन-जन में, गरीब तबके में अपनी पैठ बनाई है. 2004 में रसोई गैस कनेक्शन
की संख्या 14.5 करोड़ थी जो 2023 में 31.4 करोड़ हो गई. स्वच्छता के प्रति गम्भीर
मोदी सरकार ने शौचालय के निर्माण में सकारात्मकता दिखाई. अपने दोनों कार्यकाल में
11.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके मोदी सरकार ने महिलाओं,
बहू-बेटियों को खुले में शौच जाने की शर्मिंदगी, मुसीबत से
छुटकारा दिलवाया. आश्चर्य की बात है कि संप्रग सरकार के दो दशकों में महज 1.8 करोड़
शौचालयों का ही निर्माण करवाया जा सका था. महिलाओं के प्रति संवेदनशील मोदी सरकार
ने मातृत्व लाभार्थियों के प्रति विशेष जागरूकता दिखाई है. उनके कार्यकाल में ऐसे
लाभार्थियों की संख्या 9.9 लाख के मुकाबले 559 लाख तक पहुँची.
भाजपा, मोदी विरोधियों द्वारा आये दिन
मँहगाई, आर्थिक स्तर आदि को लेकर हमलावर रुख अपनाया जाता है.
बयानबाजियों के लिए किसी भी स्तर तक जाकर जनमानस को बरगलाया जा सकता है किन्तु यदि
तथ्यों की, आँकड़ों की बात की जाये तो कुछ अलग ही परिदृश्य
नजर आता है. संप्रग सरकार के अंतिम दिनों में विदेशी मुद्रा कोष की स्थिति अत्यंत
ही दयनीय बनी हुई थी. मँहगाई की औसत दर भी अपने चरम पर थी. मोदी सरकार द्वारा इन
क्षेत्रों में विशेष प्रयास किये गए. दूसरे देशों से लगातार संपर्क, खाड़ी देशों से दोस्ताना सम्बन्ध आदि के चलते समय के साथ आर्थिक स्थिति
में सुधार आया. विदेशी मुद्रा इस जनवरी में 617 अरब डॉलर था और मंहगाई की औसत दर
वर्ष 2023 में 5.1 प्रतिशत रही. इस तरह के आर्थिक माहौल के चलते ही अनेक विदेशी
कम्पनियों ने भारत का रुख किया. निवेश की जबरदस्त स्थिति के चलते ही देश ने पहली
बार भारतीय वस्तुओं के निर्यात को 400 अरब डॉलर के पार किया. इस तरह की आर्थिक
स्थिति के कारण ही आज भारत दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. 2023 में
देश की जीडीपी 3.7 लाख करोड़ हो गई है और इसके 2024 में 4.1 लाख करोड़ रहने का अनुमान
है.
वर्तमान में
नरेन्द्र मोदी के कार्यों-निर्णयों ने उनके कद को अत्यंत विराट स्वरूप दे दिया है.
मुद्दा चाहे राष्ट्रीय महत्त्व का हो या फिर क्षेत्रीय महत्त्व का प्रत्येक स्तर
पर मोदी सरकार की सहभागिता दिखाई देती है. जहाँ उनके द्वारा सामाजिक क्षेत्र में
सक्रियता दिखाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल,
पोषण, आवास आदि की समस्या को दूर करते हुए 24.8 करोड़ लोगों
को गरीबी से बाहर निकालने का कार्य किया गया वहीं विदेशी मुद्रा भंडार, टैक्स संरचना, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, बिजनेस रैंकिंग आदि में बहुआयामी परिवर्तन करके देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर
पहचान दिलवाई है. आज जिस तरह से देश का आर्थिक, सामाजिक
ढाँचा सुधारात्मक मोड में है, लोगों की क्रय-क्षमता बढ़ी है, ग्रामीण अंचलों तक बिजली ने अपनी पहुँच बनाई है,
मूलभूत सुविधाओं ने महिलाओं की जीवन-शैली को सहज बनाया है उससे जनमानस में
नरेन्द्र मोदी के प्रति, सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है. निश्चित ही यही विश्वास
भाजपा को, नरेन्द्र मोदी को इस लोकसभा चुनावी वैतरणी
सफलतापूर्वक, सहजतापूर्वक पार करवा देगा.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें