आज, 09 जनवरी को सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ. वृन्दावनलाल वर्मा जी की जन्मतिथि है.
हिन्दी साहित्य में उनका अपना एक विशेष स्थान है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस समय उपन्यास के क्षेत्र में प्रेमचन्द एक युग की भांति छाए हुए थे, उस समय ऐतिहासिक उपन्यासों के लेखन का जोखिम वृन्दावनलाल वर्मा जी ने उठाया. उन्होंने अपने उपन्यासों के द्वारा न केवल ऐतिहासिकता को चित्रित किया बल्कि बुन्देलखण्ड की संस्कृति को भी बखूबी उभारा है.
हिन्दी साहित्य में उनका अपना एक विशेष स्थान है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिस समय उपन्यास के क्षेत्र में प्रेमचन्द एक युग की भांति छाए हुए थे, उस समय ऐतिहासिक उपन्यासों के लेखन का जोखिम वृन्दावनलाल वर्मा जी ने उठाया. उन्होंने अपने उपन्यासों के द्वारा न केवल ऐतिहासिकता को चित्रित किया बल्कि बुन्देलखण्ड की संस्कृति को भी बखूबी उभारा है.
ये हमारा सौभाग्य है कि हिन्दी साहित्य में वाचस्पति उपाधि (पीएच.डी.) आपके ही उपन्यासों पर शोध कार्य करने पर प्राप्त हुई.
शोध शीर्षक 'डॉ. वृन्दावनलाल वर्मा के उपन्यासों में अभिव्यक्त सौन्दर्य का अनुशीलन' के द्वारा वृन्दावनलाल वर्मा जी के ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यासों में अभिव्यक्त सौन्दर्य का अनुशीलन करने का प्रयास किया था.
शोध शीर्षक 'डॉ. वृन्दावनलाल वर्मा के उपन्यासों में अभिव्यक्त सौन्दर्य का अनुशीलन' के द्वारा वृन्दावनलाल वर्मा जी के ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यासों में अभिव्यक्त सौन्दर्य का अनुशीलन करने का प्रयास किया था.
वृन्दावनलाल वर्मा जी को सादर नमन.
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