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01 दिसंबर 2021

उरई में फहराया विशालकाय तिरंगा

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा कहीं भी लहरा रहा हो, किसी भी आकार का हो हमें व्यक्तिगत रूप से बहुत आकर्षित करता है. किसी भी जगह पर लहराते, फहराते ध्वज को देखकर लगता है कि बस उसे देखते रहा जाये. दिल-दिमाग जैसे झंकृत होते रहते हैं और मन मंत्रमुग्ध सा होकर बस उसे ही देखता रहता है. किसी समय में राष्ट्रीय ध्वज का लहराना-फहराना सिर्फ राष्ट्रीय पर्वों पर ही होता था और वो भी शासकीय भवनों, इमारतों पर. कालांतर में कुछ कानूनी विषयों के उठाये जाने के बाद आम आदमी को भी ध्वज फहराने का अधिकार मिला. सरकारी इमारतों के साथ-साथ निजी भवनों में राष्ट्रीय ध्वज को फहराए जाने की छूट मिली. इसी क्रम में देश के विभिन्न शहरों में पार्कों में, किसी विशाल जगह पर, मुख्य स्थलों पर बड़े-बड़े ऊँचे पोल के द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का भव्य स्वरूप लहराता-फहराता दिखाई देने लगा.


बरसों पहले राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का भव्य, मनमोहक रूप में फहराना दिल्ली में राजीव चौक पर देखा था. उससे पहले इतने विशालकाय तिरंगे को कहीं फहराते हुए नहीं देखा था. लगभग डेढ़ सौ फीट ऊँचे पोल पर विशालकाय तिरंगा का फहराना देखकर एक पल को हम सम्मोहन की स्थिति में आ गए थे. किस काम से वहाँ आना हुआ है, भूलकर उस भव्य स्वरूप को अपने कैमरे में कैद करने लगे थे. उसे देखकर मन में विचार आया था कि क्या इस तरह विशाल स्वरूप तिरंगा हमारे उरई में नहीं फहराया जा सकता? क्या इसके लिए स्थानीय स्तर पर पहल नहीं की जा सकती है? इस बारे में कई बार चर्चा हुई, सम्बंधित व्यक्तियों तक अपनी बात पहुंचाई गई. अनेक बार तमाम सारी बैठकों, मीटिंगों में तिरंगा शहर में लगाये जाने सम्बन्धी बातें उठीं मगर कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया जा सका.


आज, दोपहर बाद महाविद्यालय से वापसी हो रही थी. मौसम बहुत सुहाना बना हुआ था. हलकी-हलकी हवा भी चल रही थी. जिसे गुलाबी सर्दी कहा जाता है, उसका एहसास हो रहा था. उसी गुलाबी एहसास में एकदम से खुली आँखों के सामने स्वप्न सा तैर गया. बादलों भरे आसमान में तिरंगा शान से लहरा रहा था. एक पल को विश्वास ही नहीं हुआ कि ऐसा उरई में देखने को मिल रहा है. स्कूटर सी दिशा में मोड़ दिया. सामने वास्तविकता होने के बाद भी वास्तविकता स्वीकार सी नहीं हो रही थी. फिलहाल, सबकुछ भूल कर अपनी पूरी भव्यता के साथ लहराते तिरंगे को कैमरे में, दिल में कैद करने लगे.




राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा उरई शहर के टाउन हॉल परिसर में सौ फीट ऊँचे पोल पर पूरी आन-बान-शान के साथ लहरा रहा था. उसके लगाये जाने के पीछे की कहानी की यहाँ चर्चा करना उचित नहीं. उस समय जानकारी हुई कि अभी उसके आसपास रौशनी बनाये रखने की दृष्टि से लाइट लगाये जाने का काम चल रहा है, जो देर रात तक पूरा होगा. रात को दस बजे के आसपास सौ फीट ऊँचाई पर लहराते तिरंगे को रौशनी में रखने के लिए उसके चारों तरफ लाइट को व्यवस्थित करने का काम पूरा हो सका. तिरंगे का या कहें कि अपने शहर में विशाल तिरंगे को फहराते देखने की अभिलाषा के पूरा होने का सम्मोहन था कि रौशनी में जगमगाते देखने की मंशा लेकर रात दस बजे भी तिरंगे के दर्शन करने पहुँच गए.




स्थानीय जिम्मेवार लोगों के द्वारा यह पुनीत कार्य करवाया जा रहा है, सो सम्बंधित व्यक्तियों से जान-पहचान भी थी. इसी के चलते लाइट की व्यवस्था सम्बन्धी कुछ स्पेशल टिप्स भी दे डाले, जिनको माना भी गया. चारों तरफ से पड़ती रौशनी में तिरंगा अपनी आभा को बिखेरने में लगा था. किसी समय दिल्ली के राजीव चौक पर लहराते तिरंगे को देखकर मन में उपजी अभिलाषा आज पूरी हुई. उरई शहरवासियों के लिए यह गौरव का विषय है, अब हम भारतीयों की शान, गर्व के प्रतीक तिरंगे की आन-बान-शान की रक्षा करना, उसकी देखभाल करने का दायित्व समस्त उरईवासियों का है. 





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