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23 नवंबर 2021

एकांत का सौन्दर्य

बहुत बार मन करता है एकदम एकांत में रहने का. तकनीक के दौर में सबकुछ सर्वसुलभ होने के बाद भी मन का इस तरह की सोच रखना लोगों के लिए आश्चर्य का विषय हो सकता है. असल में तकनीक ने यदि सबको पास लाने का काम किया है तो निजी जीवन में हस्तक्षेप करवाने का भी काम किया है. तकनीक के बढ़ते और सुलभ होते प्रभावों ने इन्सान के खुद से जुड़ने की संभावनाओं को समाप्त सा किया है. सार्वजनिक जीवन में रहने वालों का तो एक-एक पल किसी न किसी रूप में जनमानस से जुड़ा होता है पर ऐसे लोग जो नितांत व्यक्तिगत जीवन का निर्वहन करते हैं वे भी तकनीक की सुलभता के कारण एकांत खोजते हैं. ऐसे लोगों के एकांत खोजने वाली स्थिति और हमारे मन के द्वारा एकांत में जाने की स्थिति में बहुत अंतर है. सार्वजनिक जीवन की समागमता के कारण बहुत सारे संपर्क स्थापित हो जाते हैं और ऐसे में तकनीक की सुलभता ने सबकुछ सार्वजनिक सा कर दिया है. नया सोचने का, नया करने का, नया स्थापित करने का, खुद से खुद का संपर्क स्थापित करने का समय निकाल पाना मुश्किल सा लगने लगता है. ऐसे में एकांतवास, अज्ञातवास का अपना महत्त्व है, इसे समझना आवश्यक है.




एकांत शब्द बहुत से लोगों के लिए भयावहता का अनुभव कराता होगा. बहुत से लोगों के लिए यह सोच पाना ही संभव नहीं कि कोई व्यक्ति अकेले कैसे रह सकता है? अपने आपको अपने से कैसे जोड़ सकता है? तकनीक भरे इस दौर में बिना किसी गैजेट्स के कैसे रह सकता है? असल में एकांत अपने आपमें एक मधुर स्थिति है, बस इसे समझने की आवश्यकता है. यहाँ पहले तो यही समझना पड़ेगा कि एकांत का अर्थ यहाँ अकेलेपन से नहीं, किसी तन्हाई से नहीं वरन अपने अन्दर से अपने को जोड़ने का नाम एकांत है. यहाँ एकांत का मतलब सूनापन नहीं, सुनसान सा जीवन नहीं वरन अपने भीतर के संगीत को सुनना है, अपने अन्दर के समाज को पहचानना है. इस एकांत से बहुत से लोग आजीवन कोई सम्बन्ध स्थापित नहीं कर पाते हैं. दुनिया भर से सम्बन्ध बनाये रखने वाले लोग अपने भीतर के समाज से बहुत कटे-कटे से रहते हैं. सामाजिक गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेने वाले बहुतेरे लोग अपने भीतर की गतिविधि से साम्य नहीं बना पाते हैं, उसके संगीत का आनंद नहीं उठा पाते हैं. यहाँ एकांत का अर्थ खुद का खुद से सम्मिलन है. यह किसी जंगल में जाने जैसा नहीं है, किसी गुफा में जाने जैसा नहीं है, किसी अँधेरे में जाने जैसा नहीं है. इस एकांतवास का सम्बन्ध अपने भीतर की ऊर्जा को नए रूप में बाहर लाने का नाम है. आत्मविश्वास को और सशक्त बनाने का नाम एकांतवास है.


कभी एक स्थिति पर विचार कीजिये, जब हम घर में निपट अकेले हों. घर-परिवार का कोई सदस्य न हो. आस-पड़ोस वाला भी कोई न हो. कोई यार-दोस्त भी उस समय न हो, बस हम ही हम हों तब भी हम अपने आपमें सामाजिकता का निर्वहन करते रहते हैं. कहने का तात्पर्य यह कि उस निपट अकेलेपन में भी हम न तो रसोई में नहाने का काम करते हैं. न ही फ्रिज में या कपड़ों की अलमारी में जूते-चप्पल रखने का काम करते हैं. न बाथरूम को बेडरूम की तरह इस्तेमाल करते हैं. उस अकेलेपन में, उस एकांत में भी हम अपने भीतर के समाज के सामने सबकुछ सामाजिकता के साथ संपन्न करते हैं. एक ऐसे समय में जबकि आप निपट अकेले हों तब भी आपका अपने घर के भीतर असामाजिक न होना सिद्ध करता है कि हम अपने भीतर के समाज को जिन्दा बनाये हुए हैं. कुछ इसी तरह की स्थिति को एकांतवास में इन्सान को अपने आपको जिन्दा रखने के लिए करनी चाहिए. समयांतराल के साथ-साथ कभी-कभी अपनाया जाने वाला एकांतवास यदि व्यक्ति पूरी ईमानदारी के साथ व्यतीत करता है तो वह अपने भीतर की उस ऊर्जा से ओतप्रोत हो जाता है, जिस ऊर्जा को वह सामाजिक-पारिवारिक कर्तव्यों को पूरा करते रहने की अंधाधुंध होड़ में, दौड़ में भुला चुका होता है.


एकांतवास में किसी जागरूक, सजग, सक्रिय व्यक्ति का जाना उसे और सक्रियता प्रदान करता है. ऐसी स्थिति में उसका साक्षात्कार खुद से होता है. ऐसे समय में ही वह अपने शौक, अपनी खूबियों को पल्लवित करने का काम करता है. यहाँ उसके द्वारा यह ध्यान रखना आवश्यक होता है कि वह जिन स्थितियों से बचने के लिए, उनसे उबरने के लिए एकांतवास की राह चला है वहाँ उन स्थितियों को साथ लेकर न आये. एकांतवास में अपने से अपने का साक्षात्कार व्यक्ति को अपने शक्ति से परिचित करवाता है. गैजेट्स पर निर्भर बने रहने की उसकी पराधीनता को तोड़ने का भी काम करता है. देखा जाये तो जीवन का सञ्चालन व्यक्ति खुद करता है. तकनीकी संपन्न गैजेट्स उस सञ्चालन को सरल-सहज बनाने का काम करते हैं. ऐसे में यदि व्यक्ति खुद से खुद का परिचय करना चाहता है, एकांतवास का लाभ अपने लिए, भविष्य के लिए लेना चाहता है तो उसे ऐसे कृत्रिम गैजेट्स वाले जीवन से बचने की कोशिश करनी चाहिए. यदि कोई ऐसा कर ले जा रहा है तो वह एकांतवास का सदुपयोग करके खुद को एक नई ऊर्जा के साथ समाज-निर्माण में लाने का ही कार्य करता है.


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