ब्लॉगिंग करते हुए उस समय तक लगभग चार साल हो गये थे। उस समय के सक्रिय एग्रीगेटर पर हमारे ब्लॉग की उपस्थिति होने लगी थी। उन्हीं दिनों रात के लगभग 11 बजे मोबाइल पर अपरिचित नम्बर से कॉल आई। एक महिला का गम्भीर स्वर उभरा। चंद औपचारिकताओं के बाद, परिचय के बाद उन्होंने ब्लॉग बनाने में मदद करने को कहा। हमारी समझ में न आया कि ब्लाॅग जगत के तमाम नामचीन महारथियों को छोड़ वे हमसे क्यों मदद चाह रहीं हैं?
फिलहाल बाकी सोचा-विचारी बंद करके उनके इस कदम
की, सोच की सराहना उनसे ही की। इसका कारण उनका लगभग 65-70
वर्ष की आयु का होना था। बहुत खुशी हुई हमें उनका ब्लॉग बनवाने पर,
उस सम्बन्ध में मदद करने पर। उनको यह स्पष्ट कर दिया था कि हम खुद ब्लॉग
संसार के विद्यार्थी हैं, जितना सीख सके उतनी सहायता अवश्य
कर देंगे। उसके बाद उनके लगातार फोन आते रहे, घंटों के हिसाब
से वे मोबाइल से ही अपनी समस्या का समाधान प्राप्त करतीं।
उनको बार-बार यह निवेदन करने के बाद कि हम देर
रात जागते रहते हैं, काम करते रहते हैं वे हर बार बड़े संकोच
भाव से क्षमा करने की बात करतीं। खुशी की
बात ये कि उन्होंने बहुत जल्दी ब्लॉग लेखन की तमाम समस्याओं को सुलझा लिया। ब्लॉग
लेखन की तमाम बारीकियों को सीख लिया। जल्दी ही उनके कई ब्लॉग पूरी सक्रियता,
गम्भीरता से पाठकों के बीच लोकप्रिय हो गये।
सुखद ये है कि वे आज भी पूरी तरह से, नियमित रूप से ब्लॉग लेखन में सक्रिय हैं। साहित्यिक रचनाओं के साथ-साथ
बाल साहित्य पर उनका बहुत ही सराहनीय कार्य है। हम आज भी प्रयास करते हैं कि अधिक
से अधिक लोग ब्लॉग लेखन में सक्रिय हों। इसके लिए लोगों को प्रेरित भी करते हैं,
अपनी सामर्थ्य भर मदद भी करते हैं।
आप भी बनाइए अपना ब्लॉग और शुरू करिए लेखन। आखिर
कुछ न कुछ तो लिख ही रहे हैं न।
.
2008 में थोडा-थोडा कंप्यूटर सीखा, फिर ऑरकुट से जुड़ी. फिर 2009 में ब्लॉग बनाया. ज़रुरत भर का सीख गई, लेकिन अब भी बहुत ज्यादा नहीं आता. इतना पता चल गया कि अगर ब्लॉग में कुछ समझ न आए तो आपसे पूछ सकती हूँ और आप बुजुर्गों की मदद ज़रूर करेंगे.
जवाब देंहटाएं