Pages

15 अगस्त 2020

कार्य की सराहना हो तो प्रसन्नता होती है

स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पूर्व मीडिया से सम्बंधित मित्र का फोन आया. उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम सम्बन्धी कुछ जानकारियाँ प्राप्त कीं उसी के साथ-साथ इस अधिनियम को लेकर चल रहे हमारे कार्यों के बारे में भी जानकारी ली. चूँकि वे पहले से परिचित हैं इसलिए जानकारी देने में किसी तरह की कोई समस्या नहीं हुई. थोड़ी सी बातचीत के बाद उन्होंने इस सन्दर्भ में अवगत कराया. आज सुबह समाचार पत्र में सूचना का अधिकारी अधिनियम से सम्बंधित अपने कार्यों का प्रकाशन देखा तो ख़ुशी हुई. कार्य की सराहना हो तो वाकई प्रसन्नता होती है और वह प्रसन्नता उस समय और बढ़ जाती है जबकि आप वास्तविक रूप में कार्य कर रहे हों.



सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के बारे में जानकारी उस समय हुई थी जबकि हम एक ट्रेन दुर्घटना के चलते गम्भीर रूप से घायल होकर घर में ही कैद रह गए थे. किसी भी तरह की सामाजिक गतिविधि संचालित नहीं हो रही थी. उसी समय इस अधिनियम के बारे में जानकारी मिलने पर उसके बारे में अध्ययन किया. कुछ आरम्भिक सूचनाएँ महज अनुभव लेने के लिए प्राप्त की गईं. अनुभवों ने निराश नहीं किया. लगा कि इस अधिनियम के द्वारा बहुत से लोगों की सहायता की जा सकती है. इसके द्वारा आम आदमी को वह शक्ति मिल गई थी जिसके द्वारा वह महज गोपनीयता कानून का नाम लेकर किसी भी सूचना पर से पर्दा उठा सकता था. वर्ष 2006 तो इसके अध्ययन और कुछ छुटपुट सूचनाओं को प्राप्त करने में गुजरा. इसके बाद धीरे-धीरे जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता गया, लोगों का जुड़ना भी होता रहा.

इसी सबके बीच एक घटना ऐसी घटी जिसने इसके व्यापक दृष्टिकोण की तरफ ध्यान खींचा. स्थानीय प्रशासन से सम्बंधित एक सूचना की प्राप्ति के रूप में दवाब बनाया जाने लगा. एक कार्यक्रम के दौरान ऐसी शिकायत, समस्या अनेक मित्रों ने व्यक्त की. बस फिर क्या था, सभी मित्रों ने मिलकर एक आरटीआई फोरम का गठन कर डाला. इसके द्वारा न केवल सूचनाओं को प्राप्त करने का प्रयास किया गया बल्कि स्थानीय प्रशासन के अनावश्यक दवाब से बचाने का काम भी किया गया. इसी के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने का काम भी किया गया. सूचना अधिकार अधिनियम के द्वारा बैंक, रेलवे, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग, नगर पालिका, स्वास्थ्य विभाग, विद्युत् विभाग आदि सहित अनेकानेक विभागों से सूचनाओं की न केवल प्राप्ति की गई वरन उनका लाभ भी उचित व्यक्तियों को दिलवाया गया.

आरटीआई एक ताकत है जिसके द्वारा आम आदमी सूचनाओं को छिपा जाने की मानसिकता से लड़ सकता है. अपने अधिकारों, दायित्वों के लिए सजग हो सकता है. ये भी सच है कि इस अधिनियम का बहुतायत लोगों द्वारा दुरुपयोग भी किया जाने लगा है मगर अभी वह स्तर बहुत कम है. अभी तो इस ताकत का प्रयोग आम नागरिक अपनी सूचनाओं को प्राप्त करने में कर रहा है और उसका लाभ ले रहा है. बहुत से मामलों में सरकारों ने इसे अपने गले की हड्डी समझा है और इस अधिनियम में अपने अनुरूप परिवर्तन करने का प्रयास भी किया है. कई जगह कुछेक परिवर्तन किये भी गए हैं मगर अभी भी अधिनियम को कमजोर नहीं किया जा सका है. आरटीआई कार्यकर्ताओं को यहाँ स्मरण रखना होगा कि एक तरफ वे सूचनाओं को प्राप्त कर भ्रष्ट तंत्र की पोल खोलने का काम कर रहे हैं तो दूसरी तरफ वे उनको भी सामने लाने का काम करें जो इसका दुरुपयोग कर रहे हैं.

.
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

1 टिप्पणी: