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18 जून 2020

सौन्दर्य बोध से सजे गमले

लॉकडाउन में छुट्टी जैसा माहौल रहा. उस माहौल के अपने मजे भी रहे, कष्ट भी रहे. उस खाली समय का अपनी तरफ से सदुपयोग किया गया. चार चरणों में लॉकडाउन के बाद अनलॉक जैसी व्यवस्था भी क्रमशः देखने की स्थिति बन रही है. इस अनलॉक के दौर में विद्यालयों का आधिकारिक अवकाश घोषित हो चुका है. इसमें चाहे हमारा डिग्री कॉलेज हो या फिर बिटिया रानी का अपना स्कूल. सभी जगह गर्मियों की छुट्टियाँ हो चुकी हैं, बिना घोषित किये.


सामान्य दिन होते तो इन दिनों में कहीं न कहीं घूमने-फिरने जाया जाता. किसी दर्शनीय स्थल की सैर कर ली जाती. किसी मित्र, रिश्तेदार के यहाँ मस्ती कर रहे होते मगर कोरोना के चक्कर में यही रोना है कि घर पर रहो. अब घर पर खाली बैठे-बिठाये क्या किया जाये? इधर कुछ दिन में कीड़ा काट गया है बागवानी वाला. इसी के चलते मिट्टी भी आ गई है, खाद भी आ गई है, गमले भी आ गए हैं. अब देरी है तो बस पौधों की. दो-चार दिन में वे भी आ जायेंगे. जब तक पौधों का घर में आगमन होगा, तब तक क्या किया जाये? यही सोचकर खाली-खाली पड़े गमलों को रंगीन बनाने का मूड बना लिया गया.


इस मूड का सबसे अधिक उत्साहित लाभ बिटिया रानी ने उठाया. हमने तो बस दो गमलों पर अपे हाथ चलाये मगर बाकी कई गमलों में बिटिया रानी ने अपनी कलाकारी दिखा दी. इससे समय भी सहजता से निकल गया और गमले भी रंगीन नजर आने लगे. अब रंगीन गमलों को और रंगीन करने के लिए एक-दो दिन में पौधों का आगमन होगा. अभी तो आप सभी रंगीन गमलों को निहार लीजिये.










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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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