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25 मई 2020

प्रेम कहानियों पर इतना कौतूहल क्यों

लोगों की रुचि दूसरों की ज़िन्दगी में झाँकने की क्यों होती है? दूसरे की ज़िन्दगी में सुख है या दुःख इससे झाँकने वालों का कोई लेना-देना नहीं होता है, बस वे उसमें झाँकना चाहते हैं. इस ताका-झाँकी में यदि विषय प्रेम का, इश्क का हो तो फिर कहना ही क्या. इस विषय के आगे सभी विषयों को गौड़ कर दिया जाता है. किसी दूसरे के जीवन का कोई प्रेम-प्रसंग हाथ लग भर जाए फिर उसके आगे सारे प्रसंग बौने हो जाते हैं. किसी और के प्रेम-प्रसंगों के लिए, दूसरे की प्रेम-कहानियों को सुनने के लिए लोगों में बेताबी दिखाई देने लगती है. ऐसा किस मानसिकता के कारण होता है? ऐसा किस प्रवृत्ति के चलते लोग करते हैं? कई बार इस विषय पर अपने मित्रों से बातचीत करने की कोशिश की मगर कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया.


अपने जीवन की कुछ घटनाओं को कुछ सच्ची कुछ झूठी के द्वारा सबके बीच लाने का एक प्रयास विगत वर्ष किया था. उसके लेखन का जब आरम्भ किया था तब बहुत से दोस्तों, परिचितों के कई सवालों का सामना करना पड़ा था जो प्रेम-कहानियों से संदर्भित थे. इसके पहले भी बहुत बार लोगों के सवालों, निगाहों का शिकार हुए ऐसे सवालों को लेकर. कई बार हमारे कहीं आने-जाने को लेकर, किसी से दोस्ती को लेकर, किसी से बातचीत को लेकर ऐसे सवालों से सामना करना पड़ा. ऐसे प्रसंगों पर कई बार बात बदलने की कोशिश भी की मगर दूसरी तरफ से घूम-फिर कर बात को प्रेम-प्रसंगों पर लाकर टिका दिया जाता. ऐसा लगता जैसे उस समय किसी भी अन्य विषय से अधिक महत्त्वपूर्ण विषय लोगों के लिए हमारी प्रेम-कहानी को जानना रहता है. आजतक यह हमारी समझ से बाहर है कि ऐसा आखिर क्यों होता है? क्या उसके पीछे अगले के मन में, अचेतन में छिपी प्रेम करने की भावना रहती है? क्या उसके मन में उसके प्रेम की स्थिति इस बहाने संतुष्टि का एहसास करती है? क्या इसी तरह से वह अपने प्रेम सम्बन्धी समय को पुनः जीना चाहता है?


अब एकबार फिर इसी तरह के सवालों से सामना करना पड़ रहा है. अपनी कुछ सच्छी कुछ झूठी के प्रकाशन पश्चात् एक नई पुस्तक के लेखन में जुट गए थे. पुस्तक प्रेम कहानियों को लेकर है. इसमें कहानियों को शामिल किया गया है. ज्यादातर कहानियाँ हमसे जुड़ी हुई हैं और सत्य हैं. हाँ, इसमें कल्पना का कुछ तड़का लगाते हुए इनको पठनीय बनाने का प्रयास किया है. इसके साथ-साथ प्रयास किया है कि दूसरे व्यक्ति की छवि, उसकी सामाजिकता, पारिवारिकता पर किसी तरह का प्रभाव न पड़े, न सकारात्मक और न ही नकारात्मक. इनमें से कुछ कहानियों को ब्लॉग पर प्रकाशित भी किया जा रहा है. इसके साथ-साथ उनको सोशल मीडिया पर भी शेयर किया जा रहा है. ऐसा किये जाने से इन कहानियों की पहुँच अधिकाधिक लोगों तक हो रही है. इसके चलते बहुत से परिचित लोगों के सवालों की बौछार होने लगी है. अभी तो बस इतना ही कहना है कि इनको बस कहानियाँ मानकर पढ़िए और यदि लगता है कि ये सच हैं तो उनको अपने दिल में बसाये रखिये.

प्रेम ही ऐसा विषय है जो कभी पुराना नहीं होता. कभी बासी नहीं होता. कभी विध्वंसक नहीं होता. प्रेम ही ऐसा विषय है जो व्यक्ति को व्यक्ति होना सिखाता है. इन्सान को इंसानियत सिखाता है. दुनिया को एक अलग दुनिया में ले जाता है. यदि अनुभव करना हो तो पहले-दूसरे प्रेम की बंधी-बँधाई सीमारेखा से बाहर निकल कर देखो. प्रेम की तरह उन्मुक्त हो उड़ कर देखो. निश्चित ही एक नई दुनिया का, सतरंगी दुनिया का अपने आसपास एहसास करोगे.

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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

7 टिप्‍पणियां:


  1. प्रेम ही ऐसा विषय है जो कभी पुराना नहीं होता. कभी बासी नहीं होता. कभी विध्वंसक नहीं होता. प्रेम ही ऐसा विषय है जो व्यक्ति को व्यक्ति होना सिखाता है. इन्सान को इंसानियत सिखाता है. दुनिया को एक अलग दुनिया में ले जाता है. यदि अनुभव करना हो तो पहले-दूसरे प्रेम की बंधी-बँधाई सीमारेखा से बाहर निकल कर देखो. प्रेम की तरह उन्मुक्त हो उड़ कर देखो. निश्चित ही एक नई दुनिया का, सतरंगी दुनिया का अपने आसपास एहसास करोगे.
    सदाबहार प्रेम ,मंजिल वही है प्यार की ,राही बदल गए ,सपनों की महफ़िल में सोच हुई नई ,लोग हुए नए ।बहुत ही बढ़िया लिखा है ,आदमी अपनी आदतों से लाचार है ,उसे दूसरे के मामले में दिलचस्पी लेना अधिक पसंद है ।नमस्कार शुभ प्रभात

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  2. प्रेम ने जिनका श्रिस्टी को आगे बड़ाय ... प्रेम नहीं तो समाजिक ताने बाने नहीं ... रिश्ते नहीं ...

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  3. प्रेम ही वह भाव है जो इस सृष्टि की सबसे अच्छा है और जब तक जीव है ये रहेगा ।

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  4. कुछ उदाहरण भी देते तो लेख और समृद्ध हो जाता। बढ़िया लेख। शुभकामनाएं।

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  5. प्रेम जीवन आधार ........बढ़िया लेख

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  6. वाह ..बढ़िया लेख। प्रेम पर चर्चाएं असफल प्रेमी करते हैं।

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  7. बहुत सही लिखा आपने। दूसरों के व्यक्तिगत जीवन में ताँक झाँक की आदत हम भारतीयों की है। और अगर प्रेम प्रसंग हो तब क्या कहने।

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