रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
कभी हसरत थी आसमां को छूने की, अब तमन्ना है आसमां के पार जाने की.
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22 मई 2020
हम ही जीतेंगे कह दो ये सबसे मगर
फूल खिलने लगे गुलशन के मगर,
फूल गुमसुम हैं कितने घर के मगर.
कौन आया जहाँ में ये हलचल हुई.
आज डरने लगे लोग खुद से मगर.
(पूरी कविता पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
.
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
1 टिप्पणी:
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
23 मई 2020 को 5:37 am बजे
समसामयिक और सुन्दर प्रस्तुति।
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