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16 अप्रैल 2020

ब्लॉगिंग पुनर्जीवन की उठती गिरती राहें

इंटरनेट पर एक समय वो था जबकि ब्लॉग की हनक दूर-दूर तक सुनाई पड़ती थी. बहुत सारे लोग अपनी पूरी सक्रियता, ऊर्जा के साथ ब्लॉग जगत का चमकता सितारा बने हुए थे. रोज ही किसी न किसी विषय पर पोस्ट. कभी गंभीर जानकारी तो कभी हास्य की फुहार. कभी कोई तकनीकी विषय का ज्ञान तो कभी कला, संस्कृति का दृश्य. खबर, जानकारी, ज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा, कला, विज्ञान, खेल, पाककला, खेल, साहित्य आदि-आदि सहित क्या-क्या न था ब्लॉग संसार में. नियमित लिखने वाले भी थे, अनियमित लिखने वाले भी थे. नए लोगों को प्रोत्साहित करने वाले सक्रिय लोग भी थे तो बस अपने में ही सिमटे रहने वाले कुछ गुमसुम लोग भी थे. कुछ विद्रोही स्वभाव वाले ब्लॉगर थे तो कुछ अत्यंत सहज, सरल अंदाज वाले. सबके बीच एक अनाम सा रिश्ता बना हुआ था. उस समय भी समय में राजनीति होने के बाद भी आपस में राजनीति नहीं थी.


इस हँसते-खेलते ब्लॉग संसार के साए में सोशल मीडिया के अन्य दूसरे मंच सजने लगे. वे धीरे-धीरे पल्लवित, पुष्पित होने लगे. जो पौधे ब्लॉग जगत की विराट भूमि के पार्श्व में उग रहे थे वे एक दिन जबरदस्त वटवृक्ष बनकर उसी ब्लॉग जगत को डसने लगे. ब्लॉग जगत के अनियमित लोग तो जैसे गायब ही हो गए, आश्चर्य ये हुआ कि नियमित लेखन वाले ब्लॉगर भी आराम से किनारा करने लगे. इस किनारा कर चुके, लगभग समाप्त से दिखते ब्लॉग संसार में पुनः प्राण-प्रतिष्ठा करने का बीड़ा कुछ वरिष्ठ ब्लॉगर ने उठाया. ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे बहुत से लोग अपने भीतर की उस कसक को पूरी तरह से मिटा नहीं सके थे जो ब्लॉग संसार की चमक धूमिल करने से उपजी थी. ब्लॉग लेखन के प्रति उनकी आंतरिक चेतना लगातार काम करती रही और यही कारण रहा कि ऐसे लोग व्यस्तता के बाद भी ब्लॉग लेखन से अलग नहीं हुए. व्यस्तता के बीच वे खुद को ब्लॉग से जरा सा अलग करते हुए सोशल मीडिया के अन्य दूसरे मंचों पर दिखाई देने लगे. ब्लॉग संसार की छवि का धूमिल होते जाने और सोशल मीडिया के दूसरे मंचों के आलोकित होते जाने के अपने कारण है, वे अलग चर्चा का विषय हैं.

समय की कमी की दुहाई देते बहुत सारे वरिष्ठजनों को लॉकडाउन ने जैसे समय तो दिया ही, ब्लॉग जगत को पुनः चमकाने के लिए वरदान सा दे दिया. सोशल मीडिया के जिन मंचों ने ब्लॉग जगत की चमक को छीनने का काम किया उसी के सहारे पुनः ब्लॉग जगत को चमकाने की कोशिश की जाने लगी. पहले प्रयास में सबकी सक्रियता या कहें शाब्दिक उत्साह देखकर लगा कि ब्लॉग जगत अपनी पुरानी प्रतिष्ठा को प्राप्त कर लेगा. इस आशा के साथ-साथ जिस तरह की आशंका को महसूस किया जा रहा था, कई साथियों ने इसके बारे में चर्चा भी की, वह आशंका भी निर्मूल न रही. सबसे पहले हम, सिर्फ हम ही हम जैसी मानसिकता के चलते बौद्धिकता को सबके ऊपर हावी करने का कदम बढ़ाया गया. अनावश्यक रूप से विमर्श किया जाने लगा. जिस ब्लॉग जगत की चमक वापस लाने का संकल्प आपस में लिया गया, उसके पहले ही सब मिलकर आपसी संबंधों की चमक को मिटाने लगे.

बहरहाल, वरिष्ठजन संकल्पित हैं. हम जैसे नवांकुर सीखने की ही स्थिति में हैं. देखने की स्थिति में हैं. देखते हैं कि जो कदम उठे हैं, वे कहाँ तक जाते हैं? ब्लॉग जगत की चमक को कितना लौटा पाते हैं?

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#हिन्दी_ब्लॉगिंग

3 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग की दुनियां ने हिंदी भाषा के साहित्य व पत्रकारिता ने मानक मापदंड ही बदल दिये हैं । समय अवश्य लगेगा । भविष्य उज्जवल है । बाकी तो कर्म पर निर्भर है ।
    - बीजेन्द्र जैमिनी
    bijendergemini.blogspot.com

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