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21 मई 2018

ओरछा बुन्देलखण्ड में भारतीय फिल्म समारोह


बुन्देलखण्ड सदैव से अनेकानेक रत्नों से सुशोभित रहा है. शौर्य, सम्मान, कला, संस्कृति, साहित्य, सामाजिकता आदि में यहाँ विलक्षणता देखने को मिलती आई है. यहाँ के निवासी अपने-अपने स्तर पर बुन्देलखण्ड की संस्कृति को उत्कर्ष पर ले जाने का कार्य करते रहते हैं. इसी कड़ी में बुन्देलखण्ड निवासी फिल्म अभिनेता राजा बुन्देला द्वारा ओरछा में इस वर्ष, 2018 में भारतीय फिल्म समारोह का आयोजन किया गया. पाँच दिवसीय यह आयोजन 18 मई से लेकर 22 मई तक होना है. राजा बुन्देला फिल्मों की दृष्टि से जाना-पहचाना नाम है और उनकी एक विशेषता यह भी है कि मुम्बई में रहने के बाद भी वे बराबर, नियमित रूप से बुन्देलखण्ड से सम्पर्क बनाये हुए हैं. बुन्देलखण्ड राज्य की माँग में भी उनकी आवाज़ सुनाई देती है. फ़िलहाल, उनके बारे में फिर कभी, अभी उनके इस भागीरथ प्रयास के बारे में कुछ चर्चा कर ली जाये.

रुद्राणी कलाग्राम, ओरछा का विहंगम दृश्य 


बुन्देलखण्ड की उस पावन धरा में, जहाँ श्रीराम राजा रूप में विराजमान हैं, भारतीय फिल्म समारोह का आयोजन अपने आपमें सुखद एहसास जगाता है. ओरछा में राजा बुन्देला द्वारा स्थापित, संस्कारित ‘रुद्राणी कलाग्राम’ में पाँच दिवसीय फिल्म समारोह का आयोजन निश्चित ही बुन्देलखण्ड की उन प्रतिभाओं को एक मंच देगा, जो स्व-प्रोत्साहन, स्व-संसाधनों से फिल्म निर्माण में सक्रिय हैं. ऐसे ही सक्रिय लोगों में शामिल झाँसी के संजय तिवारी ने बुन्देलखण्ड फिल्म एसोसिएशन के बैनर तले वर्ष 2016 में बुन्देलखण्ड फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गया था. उस आयोजन में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में निर्मित लघु-फिल्मों को देखकर फिल्म समीक्षकों को आभास हुआ कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में फिल्म निर्माण में अपार संभावनाएं हैं. ऐसे में राजा बुन्देला और उनकी पत्नी सुष्मिता मुखर्जी (जो फ़िल्मी दुनिया का जाना-पहचाना नाम है) का प्रयास बॉलीवुड तक बुन्देलखण्ड की फिल्म प्रतिभा की गूँज को ले जायेगा.


ओरछा में बेतवा नदी के किनारे लम्बे-चौड़े प्राकृतिक क्षेत्र में फैले रुद्राणी कलाग्राम में भारतीय फिल्म समारोह के लिए दो टपरा टॉकीज बनाई गईं हैं. टपरा टॉकीज एक तरह की अस्थायी व्यवस्था होती है जो बाहर से महज एक विशालकाय तम्बू जैसी प्रतीत होती है मगह अन्दर से पूरी तरह से किसी हॉल का एहसास कराती है. एक टपरा टॉकीज में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बनी फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है और दूसरी में हिन्दी फीचर फ़िल्में दिखाई जा रही हैं. इसके साथ-साथ सांध्यकालीन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए सुरम्य प्राकृतिक वातावरण में, हरे-भरे घने वृक्षों के आँचल में मुक्ताकाशी मंच का निर्माण किया गया है. रुद्राणी कलाग्राम में दिन का आरम्भ योग के साथ होता है और फिर अलग-अलग निर्धारित स्थानों पर, निर्धारित समय पर अलग-अलग कार्यक्रम संचालित होने लगते हैं. टपरा टॉकीज में फिल्मों का प्रदर्शन होता है. कार्यशाला स्थल पर बाहर से आये विषय-विशेषज्ञ फिल्मों से सम्बंधित तकनीकी जानकारी प्रशिक्षुओं को प्रदान करते हैं. कलाग्राम के दूसरी ओर बने स्थल पर फिल्म से सम्बंधित विषय पर आख्यान की भी व्यवस्था है. जहाँ फ़िल्मी दुनिया के रोहिणी हट्टंगड़ी, रजत कपूर, केतन आनंद, नफीसा अली जैसे नामचीन कलाकार सबसे रू-ब-रू होते हैं.

नाटक तीसरा कम्बल 

दिन भर की गतिविधियों का सञ्चालन नियंत्रित रूप में हो रहा है. सबकुछ यथावत चलता देखकर अच्छा लगा. एक अकेले व्यक्ति राजा बुन्देला के प्रयास और उनके छोटी सी टीम के समर्पण से यह समारोह सुखद अनुभूति दे रहा है. यद्यपि इस पहले प्रयास में कुछ कमियां भी देखने को मिलीं तथापि वे इस कारण नकारने योग्य हैं क्योंकि एक तो यह पहला प्रयास है, दूसरे बिना किसी तरह की आर्थिक मदद के इतना बड़ा आयोजन करवाना अपने आपमें जीवट का काम है. राजा बुन्देला और उनकी पत्नी सुष्मिता मुखर्जी इन कमियों को देख-महसूस कर रहे हैं और अगले आयोजन में इनको सुधारने की इच्छाशक्ति भी व्यक्त करते हैं. यही संकल्पशक्ति ही ऐसे समारोहों का भविष्य तय करती है. राष्ट्रीय स्तर के ओरछा में आयोजित इस पहले फिल्म समारोह में निश्चित ही कमियाँ दिखेंगी किन्तु जिस स्तर का समारोह हो रहा है, जिस तरह का उद्देश्य लेकर समारोह संचालित है, जिस तरह का मंच कलाकारों को प्रदान किया जा रहा है उससे आने वाले समय में निश्चित ही बुन्देलखण्ड को, यहाँ के कलाकारों को फिल्म क्षेत्र में उत्कृष्ट पहचान मिलेगी. 



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