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12 मई 2010

कितना इनाम रखे है सरकार हम पर -- कुछ याद आया?




कल रात आदतन टी0वी0 खोलकर समाचार चैनल पर निगाह डालनी शुरू की तो समाचार से रूबरू हुए कि मैकमोहन नहीं रहे। एक पल को शायद साथ में चित्र नहीं आया होता तो पहचान का संकट हमारे सामने खड़ा हो जाता किन्तु चित्र ने पहचान कायम रखी।

(चित्र गूगल छवियों से साभार)

तुरन्त ही अपने बचपने की कुछ बातें याद आ गईं। छोटे में कुछ ही अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को पहचानते थे। उस समय टी0वी0 पर भी चौबीसों घंटे के कार्यक्रम नहीं आते थे कि आज नहीं तो कल पहचान ही लेंगे। और तो और पिताजी भी आज के पापाओं की तरह मित्र जैसे स्वभाव के नहीं थे, उनके लिए अनुशासन, पढ़ाई जरूरी थे और खेल आवश्यक था तो वो भी मैदान पर। इस कारण से भी हम भाई अपनी याददाश्त के हिसाब से, अपने-अपने बनाये नामों के हिसाब से कलाकारों को याद रखते थे।

मैकमोहन के अलावा और भी बहुत से कलाकारों का नामकरण हम लोग कर चुके थे। मैक भी इसी श्रेणी में आते थे और जब भी टी0वी0 पर दिखते तो एक ही वाक्य गूँजता सांभा रहा है। छोटे में तो सिर्फ फिल्म देखने का चाव था, कलाकारी से, कलाकार से इतना मतलब नहीं होता था। कॉलेज जाने के बाद जब स्वयं को थोड़ा बहुत नाटकों से, लेखन से जोड़ा तो कला की, कलाकारी की, अदाकारी की पहचान करने की कोशिश की जाने लगी। (कितने सफल रहे, कितने असफल ये तो पता नहीं)

शोले को लगभग 100 बार तो देख ही चुके होंगे और उसमें प्रत्येक कलाकार का रोल लगता है कि जैसे इसी के लिए बनाया गया है। शोले में मैक के जिम्मे केवल एक डायलॉग आया (गब्बर-कितना इनाम रखे है सरकार हम पर? सांभा-पूरे पचास हजार) और उसकी बदौलत ताउम्र उनको सांभा के नाम से पहचाना जाता रहा।

कल रात को ही अपने छोटे भाई को, जो उन्नाव के गाँव में सर्विस करता है, उसे खबर दी तो यही बताया कि सांभा का देहान्त हो गया। अदाकारी, कलाकारी, अभिनय कैसा भी रहा हो किन्तु शोले में कुछ तो ऐसा था ही जिसने सभी को एक अलग पहचान दी और उसी का जीता-जागता उदाहरण रहे मैकमोहन।

उनको श्रद्धांजलि.........

8 टिप्‍पणियां:

  1. मैकमोहन जी को हम सब की ओर से भावभीनी और विनम्र श्रद्धांजलि |

    एक नज़र यहाँ भी :- http://burabhala.blogspot.com/2010/05/blog-post_11.html

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  2. श्रद्धांजलि!
    उनको सांभा के नाम से पहचाना जाता रहा।

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  3. शोले के बाद तो हम लोग भी आपस में सांभा शब्द का उपयोग कर लिया करते हैं..............
    तेरा क्या होगा सांभा...............तेरा क्या होगा कालिया.............आदि-आदि
    श्रद्धांजलि

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  4. शोले के बाद तो हम लोग भी आपस में सांभा शब्द का उपयोग कर लिया करते हैं..............
    तेरा क्या होगा सांभा...............तेरा क्या होगा कालिया.............आदि-आदि
    श्रद्धांजलि

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  5. ज्ञानदत्त पांडे ने लडावो और राज करो के तहत कल बहुत ही घिनौनी हरकत की है. आप इस घिनौनी और ओछी हरकत का पुरजोर विरोध करें. हमारी पोस्ट "ज्ञानदत्त पांडे की घिनौनी और ओछी हरकत भाग - 2" पर आपके सहयोग की अपेक्षा है.

    कृपया आशीर्वाद प्रदान कर मातृभाषा हिंदी के दुश्मनों को बेनकाब करने में सहयोग करें. एक तीन लाईन के वाक्य मे तीन अंगरेजी के शब्द जबरन घुसडने वाले हिंदी द्रोही है. इस विषय पर बिगुल पर "ज्ञानदत्त और संजयदत्त" का यह आलेख अवश्य पढें.

    -ढपोरशंख

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  6. विनम्र श्रद्धांजलि

    http://madhavrai.blogspot.com/
    http://qsba.blogspot.com/

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