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24 अप्रैल 2010

महामशीन के महाप्रयोग का कहीं तो असर दिखाओ यारो!!!




समाचारों के माध्यम से पता चला कि यूरोप की उड़ानें फिर से चालू कर दी गईं हैं। यह कोई समाचार प्रसारित करने के उद्देश्य से नहीं वरन् एक विशेष मानसिकता को उद्घाटित करने के उद्देश्य से कहा गया है।

पिछले दिनों समाचार यह भी सुनने को मिला था कि महामशीन को शुरू किया गया और सफलतापूर्वक उसका परीक्षण भी हुआ। अब परिणामों का इंतजार है। इस महामशीन के पहली बार शुरू होने के पूर्व बुरी तरह से महाप्रलय की खबरें आ रहीं थीं। लोगों में आम धारणा बनती जा रही थी कि इस तरह के प्रयोग से धरती पर कुछ कुछ विपरीत प्रभाव पड़ेगा और जनमानस को प्रलय जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ेगा।


(चित्र गूगल छवियों से साभार)

यह इस बार कैसे चूक हो गई कि यूरोप में ज्वालामुखी की राख आसमान में इतने दिनों तक छाई रही और किसी जागरूक ने इस घटना को महामशीन के प्रयोग की घटना से नहीं जोड़ा?

लोगों का ध्यान इस तरफ कैसे नहीं गया कि भारत में अप्रैल माह से ही इतनी भयाहव गरमी पड़ने के पीछे कहीं इसी महामशीन के महाप्रयोग का हाथ तो नहीं?


यह कोई मजाक नहीं है, होता भी रहा है ऐसा। घटना कोई हो, किसी भी कारण से हो किन्तु उसका कारण कहीं और से जोड़ लिया जाता है। (जैसे महिलाओं के साथ होने वाली किसी भी घटना का जिम्मेवार सिर्फ और सिर्फ पुरुष ही होता है।)

यदि इस बार ऐसा नहीं हुआ तो दुःख की बात है क्योंकि इससे प्रदर्शित होता है कि ऐसे जोड़तगोड़ करने वालों की या तो संख्या में कमी आई है अथवा उनकी कल्पनाशक्ति में ह्रास हुआ है।

जागो जोड़तगोड़ करने वालो जागो और महामशीन के महाप्रयोग के परिणामों के आने के पहले ही तुम अपने बनाये परिणाम सामने रख दो।


2 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. डा०साहब आप ब्लाग पर आये, अच्छा लगा.. पिछली कई पोस्टों पर टिप्पणी देना चाहता था, लेकिन आपके द्वारा लगाई गई रोक के कारण न दे सका..

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