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06 मार्च 2009

राजनीति के ऊँट ने बदली करवट

राजनीति का ऊँट अपनी करवट बदल चुका है। बहुत छोटे में इस कहावत को सुना था और मन ही मन विचार आता था कि ऊँट के किस करवट बैठने का किसी काम से क्या मतलब है? बहरहाल, मतलब कुछ भी हो आज इसके अर्थ दूसरे हैं। राजनीति में आज की स्थितियों को देख कर लगता है कि आने वाले समय में इस क्षेत्र से वास्तविक राजनेता समाप्त हो जायेंगे और उनके विकल्प के रूप में दूसरे प्रकार के लोग ही राजनीति करते दिखाई पड़ेंगे।
याद तो नहीं है पर सुना और पढ़ा अवश्य है कि देश के स्वतन्त्र होने के कई साल बाद भी राजनीति में नेताओं का सम्मान होता था और नेता भी देश के कलाकारो का खिलाड़ियों का सम्मान किया करते थे। जहाँ तक हमें याद पड़ता है तो राजनेताओं को हमेशा से जनता पर भरोसा रहा और अपने कार्य पर भी भरोसा रहा। यही कारण रहा कि उन्होंने हमेशा चुनावों को अपनी तरह से, अपनी सामथ्र्य के सहारे से लड़ा।
आज देखने में आ रहा है कि सभी राजनैतिक दल अपनी विजय को पक्का करने के लिए, अपनी सीट को मजबूत करने के लिए किसी न किसी फिल्म स्टार के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। कोई किसी गाने के पीछे पागल है तो कोई किसी गाने वाले के पीछे चकरघिन्नी बना घूम रहा है। किसी को हीरोइन का साथ भी रहा है तो कोई हीरो के बल पर अपनी नैया पार लगाना चाहता है। अब देश की राजनीति इतने पर ही आकर टिक सी गयी है।
राजनीति के ऊँट ने करवट बदल ली है और अब वह राजनेताओं के स्थान पर फिल्म अभिनेताओं की तरफ मुँह करके बैठ गया है।

1 टिप्पणी:

  1. कुछ दिनों में संसद फिल्म एवं टीवी स्टार और क्रिकेट खिलाडियों का ग्रीन रुम हो लेगा.

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