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23 जनवरी 2009

खुश रहने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है...

अमेरिका में पहले अश्वेत के राष्ट्रपति बन्ने के साथ ही काले-गोरे का भेद समाप्त हो गया. क्या वाकई ऐसा हो सका? ये सवाल इसलिए दिमाग में कई दिनों से कौंध रहा था क्योंकि श्वेत-अश्वेत की लड़ाई जितनी अधिक हमने लड़ी है ये हम लोग ही जानते हैं. हमारे देश में श्वेतों ने राज्य किया और अब अश्वेत राज्य कर रहे हैं. बहरहाल आज की पोस्ट का विषय ये नहीं कि कौन किस पर राज्य कर रहा है, कौन किस पर राज्य कर रहा था? सवाल ये है कि उस देश में जहाँ कि एक गीत बहुत पहले गुनगुनाया गया था कि "काले-गोरे का भेद नहीं यहाँ दिल से हमारा नाता है" उस देश में काले-गोरे को व्यवसाय के रूप में अपनाकर लाभ कमाया जा रहा है. सात दिनों के भीतर गोरा बनाने से लेकर सात घंटों में काले को मिटाने की गारंटी देतीं ब्यूटी क्रीम इस बात को बार-बार समझातीं हैं कि इस भारत देश में भी काले-गोरे का व्यापार चरम पर है.

क्या काला होना गुनाह है? या फ़िर गोरा होना उच्चता का सूचक है? कुछ दिनों पहले ऐसा सुनने में आया था कि काले को लेकर विवाद भी हुआ और मारपीट की नौबत तक आ गई. वैसे इसे सुनी हुई घटना मान लें तो भी इस बात से इनकार नहीं है कि हमारे देश में ही काले-गोरे का भेद बहुत हद तक बढ़ चुका है. आए दिन समाचात्र-पत्र में प्रकाशित होने वाले वैवाहिक विज्ञापन बताते हैं कि अब हर लड़के को, उसके घरवाले को "फेयर कोम्प्लेक्सन" वाली, गोरी लड़की चाहिए होते है. अब किसी को भी सांवली लड़की की चाह नहीं है. यही डर लड़कियों के माता-पिता को भी उनकी लड़कियों के रंग को बदलने पर मजबूर करता है. अब किसी की लड़की काली या सांवली न होकर सामान्य रंग-रूप वाली, गेंहुआ रंग वाली होती है। ये किस तरह की सामाजिक संरचना बना रहे हैं हम?

यही गोरा-काला भेद छोटे-छोटे बच्चों को भी आपस में अलग कर रहा है कई बार ख़ुद हमने बहुत छोटे-छोटे बच्चों को रंगभेद के नाम पर जातिगत शब्दों का प्रयोग करते देखा है. काला रंग शारीरिक रंराचना को भी बिगाड़ देता है ये पता नहीं था. काला रंग बुद्धिमत्ता को प्रभावित करता है ये ज्ञात नहीं था। कम से कम अपने देश में ऐसा होगा ये तो बिल्कुल ही पता नहीं था. बहरहाल अब अमेरिका में अश्वेत ओबामा ने राष्ट्रपति कि शपथ ले ली है. संसार के सभी देशों के लोग खुश हैं. हमारे देश में भी बहुत खुशी मनाई गई. कुछ जगहों पर तो यज्ञ-हवन-पूजा-पाठ तक हुए.

चलिए अच्छा है. कम से कम अब एक आशा तो बंधी कि हो सकता है कि इन्हीं के प्रताप से काले-गोरे का भेद मिट जाए क्योंकि एक महाशक्तिशाली देश का, एक महाशक्ति के परिचायक का प्रथम नागरिक अब अश्वेत है. क्या "खुश रहने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है?"

2 टिप्‍पणियां:

  1. अब हम क्या कहें..हम तो खुद ही फेयर एण्ड लवली के सताये हैं..झूठ बोलते हैं भई वो. :) बहुते कोशिश किये और अब तो बस यही कह सकते हैं आपके बताये अनुसार:

    खुश रहने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है?

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  2. बहुत ख़ूब


    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    गुलाबी कोंपलें

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