रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
कभी हसरत थी आसमां को छूने की, अब तमन्ना है आसमां के पार जाने की.
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27 जुलाई 2008
धमाके, आंसू, आश्वासन, कब तक?
फ़िर धमाके, फ़िर मौतें, फ़िर आश्वासन, फ़िर बयांवाजियाँ, फ़िर न झुकने की बातें, फ़िर????????????????फ़िर वही धमाके.
कब तक ये आंसू बहेंगे? कब तक??????????
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