16 दिसंबर 2014

हम तो रोते ही आ रहे हैं

आज इन बच्चों की मौत पर ही नहीं.....
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हम तो उस दिन भी रोये थे जब गोधरा में ट्रेन में आग लगी थी....
हम तो उस दिन भी रोये थे जब अक्षरधाम मंदिर में हमला हुआ था.....
हम तो उस दिन भी रोये थे जबकि हमारा प्लेन हाइजैक किया गया था.....
हम तो उस दिन भी रोये थे जबकि संसद पर हुए हमले में हमारे निर्दोष मारे गए थे.....
हम तो उन दिनों में भी रोये थे जबकि गुजरात.... मुंबई.... आदि सहित देश के अनेक भागों में बम धमाकों में हमारे मासूम.... निर्दोष नागरिक मारे गए थे.....
हम तो उस दिन भी रोये थे जबकि मुंबई काण्ड में हमारे निर्दोष मारे गए थे......
हम तो उस दिन भी रोये थे जबकि मुंबई के शिवाजी पार्क में हमारे शहीद जवानों की स्मृतियों पर गुस्सा निकाला गया था.....
हम तो उस दिन भी रोये थे जबकि देश के विभिन्न राज्यों से वहाँ के मूल निवासियों को खदेड़-खदेड़ कर मारा गया था.....
हम तो उस दिन भी रोये थे जबकि हमने तुष्टिकरण के लिए भगवा आतंकवाद.... भगवा आतंकवादी का आरोप सहा था....
हम तो उस दिन भी रोये थे जबकि हमारे लालबहादुर शास्त्री जी जिंदा वापस नहीं आये थे...
अरे... तुम लोग रोने की स्थिति... रोने की कीमत क्या जानो....
हम तो उस दिन से रोते चले आ रहे हैं जिस दिन सत्ता के लालच में तुम्हें एक अलग मुल्क दे दिया गया....
हम तो उस दिन से रोते चले आ रहे हैं जबसे अहिंसा के पुजारी ने हिंसा का बीज बो दिया था.......
हम तो उस दिन से रोते रहे हैं जिस दिन से तुम्हारे नाम से इस देश में रोटियां सेंकी जाने लगीं....
तुम एक दिन रोये तो समझ आने लगा.... निर्दोष... निरीह का अर्थ...... :( :( :( 

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पाकिस्तान में पेशावर के एक स्कूल में आतंकी हमले में मारे गए बच्चों की घटना के बाद :(

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