30 अगस्त 2014

कामगार महिलाओं को मदद करेगी 'जन-धन योजना'



इक्कीसवीं सदी में भी जातिगत विभेद, जातिगत असमानता से जूझ रहे समाज में ‘अमीर-गरीब’ के रूप में एक तरह का वर्ग-विभेद स्पष्ट रूप से बनता जा रहा है. जातियों की उच्चता को दिए जा रहे सम्मान की भांति धनबल को भी सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा है, भले ही धनार्जन किसी भी रूप में ही क्यों न किया गया हो. ऐसे धनाड्य लोगों के सम्मान में उनकी जाति कभी बाधक नहीं बनती है. इसी तरह उपेक्षा का शिकार गरीबों को होना पड़ रहा है, भले ही वे किसी भी जाति-धर्म के क्यों न हों. इस आर्थिक असमानता को समाप्त करने के पुरजोर प्रयास लगातार सरकारों द्वारा किये जाते रहे हैं. कभी किसी योजना के द्वारा, कभी किसी आरक्षण के द्वारा किन्तु आर्थिक असमानता को समाप्त करना तो दूर, कम करने में भी सफलता नहीं मिली.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ की दृष्टि के साथ आरम्भ की गई ‘प्रधानमंत्री जन-धन योजना’ को आर्थिक असमानता दूर करने के सन्दर्भ में देखा जा सकता है. बैंक खाता-रहित व्यक्ति को बैंक में खाता खोलने को प्रोत्साहित करना, उसके लिए जीवन-बीमा का, इंश्योरेंस का निर्धारण करने के साथ-साथ नियमित खाता सञ्चालन की स्थिति में ऋण, ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिलना आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम है. यहाँ ये मान बैठना कि किसी गरीब का बैंक खाता खुलते ही उसकी गरीबी दूर हो जाएगी, उसकी आर्थिक स्थिति संभाल जाएगी, इसकी गंभीरता को ख़तम करना ही होगा. इसके जो लाभ भविष्य में सामने आयेंगे वे तो हैं ही किन्तु वर्तमान में हमारे विचार से इस योजना से वे तमाम महिलाएं लाभान्वित हो सकेंगी जो छोटे-छोटे काम करके धनार्जन कर रही हैं किन्तु उनके पास बचत का कोई ठोस जरिया नहीं है. कई जगहों पर स्वयं सहायता समूह इस तरह के काम करते देखे गए हैं पर कई बार ये आपसी मतभेदों का शिकार होकर समाप्त होते भी देखे गए हैं. ऐसी महिलाएं अपनी मेहनत की कमाई को अपने शराबी पति-बेटे से बचा सकेंगी, जमा पूँजी के आधार पर बैंक से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकेंगी. इसके अलावा मनरेगा मजदूरों को भुगतान में, किसानों को मंडियों में अपनी फसल बेचने के पश्चात् भुगतान में, तमाम ठेकेदारों के नियन्त्रण में काम कर रहे मजदूरों के भुगतान में, किसानों, श्रमिकों, मजदूरों, ग्रामीणों आदि को मिलने वाले मुआवजे में इस खाते की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी. इसके द्वारा दलालों, बिचौलियों आदि से इन लोगों के धन को बचाने में भी मदद मिलेगी.
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हालाँकि कुछ लोगों द्वारा इस योजना को लेकर संशय पैदा किया जा रहा है. ओवरड्राफ्ट, ऋण आदि की सुविधा पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं, लोगों में नियमित खाता सञ्चालन को लेकर उदासीनता की बात की जा रही है, हो सकता है कि इस तरह की कुछ गड़बड़ देखने को मिले किन्तु जिस अनुपात में इसके लाभ दिख रहे हैं, कामगार महिलाओं को आर्थिक समृद्ध होने का एक मंच मिल रहा है, उसे देखते हुए इस तरह के खतरे उठाने ही पड़ेंगे. देश की अर्थव्यवस्था में सभी वर्गों के योगदान के लिए, लोगों में बचत करने की मानसिकता विकसित करने के लिए, बैंकिंग तथा आमजन में आपसी तालमेल विकसित करने हेतु इस योजना का स्वागत किया जाना चाहिए और ऐसे खतरों को उठाकर आगे बढ़ने का हौसला भी पैदा करना चाहिए. 
चित्र गूगल छवियों से साभार 

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