12 दिसंबर 2013

दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम विश्लेषण - कोई अर्श पर कोई फर्श पर




आम आदमी पार्टी की उपस्थिति दिल्ली विधान सभा में धमाकेदार से अधिक अप्रत्याशित कही जा सकती है. अपने पहले ही चुनाव में इस तरह का जनादेश प्राप्त कर लेना खुद आआपा ने भी नहीं सोचा होगा. इस जनादेश पर राजनीतिक चिन्तक, मीडिया, विभिन्न दलों के समर्थक-विरोधी कुछ भी कहें किन्तु यही अंतिम सत्य है कि दिल्ली की जनता ने उन पर कुछ न कुछ भरोसा अवश्य ही दिखाया है. मीडिया की, विभिन्न राजनैतिक दलों की, उनके समर्थकों-विरोधियों की विचारधारा कुछ भो, मत कुछ भी हो, आकलन कुछ भी हो किन्तु राजनैतिक आँकड़ों का विश्लेषण करने वालों के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम बहुत रोचक रहे हैं.

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दिल्ली विधान सभा चुनाव परिणाम इस मामले में रोचक कहे जा सकते हैं कि इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पहली बार अपनी भागीदारी की और पहली बार में ही सशक्त उपस्थिति दर्ज करके सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा. ७० सीटों वाली इस विधानसभा में वर्तमान चुनाव परिणाम मुख्य रूप से भाजपा, आआपा और कांग्रेस के बीच ही सिमटकर रह गए. चुनाव परिणामों का तुलनात्मक अध्ययन करने की दृष्टि से दिल्ली विधानसभा के २०१३ और २००८ के परिणामों इस प्रकार समझा जा सकता है.
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सारणी-१ -- चुनाव परिणाम
दल का नाम
२०१३
२००८
लाभ/हानि
भाजपा
३२
२३
+०९
आआपा
२८
भागीदारी नहीं
+२८
कांग्रेस
०८
४२
-३४
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वर्ष २००८ के चुनावों में आम आदमी पार्टी की कोई भूमिका नहीं थी दरअसल ये वर्ष २०१३ के विधान सभा चुनावों से महज एक-डेढ़ वर्ष पूर्व ही अपने अस्तित्व में आई थी. अन्ना आन्दोलन के बाद उपजी जनभावना को केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने राजनैतिक रूप देते हुए इस दल का गठन किया. राजनीति में, विधान सभा चुनावों में आआपा की पहली भागीदारी को जनता ने भी उत्साह के साथ स्वीकारा. पाँच राज्यों में संपन्न हुए विधान सभा चुनावों में से मात्र दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अपने आपको उतारा.
दिल्ली चुनाव परिणामों को यदि समग्र रूप से देखा जाये तो आआपा ने सर्वाधिक नुकसान कांग्रेस को ही पहुँचाया है. आआपा ने दिल्ली की ७० सीटों में से ६९ पर अपने प्रत्याशी उतारे थे जिनमें से २८ प्रत्याशियों ने विजय प्राप्त की. आँकड़े दर्शाते हैं कि उसने जिन २८ सीटों पर विजय प्राप्त की उनमें से १९ सीटें कांग्रेस से छीनी और ९ सीटें भाजपा से.
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सारणी-२ -- वर्ष २००८ के मुकाबले वर्ष २०१३ में प्रदर्शन
दल का नाम
सीट सुरक्षित
सीट गँवाई
सीट छीनी
कांग्रेस (४२)
०८
३४
००
भाजपा (२३)
१२
११
२०
आआपा (००)
००
००
२८
कोष्ठक में वर्ष २००८ की सीटों की संख्या दी गई है.
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वर्ष २००८ की अपनी सीटों को बचा पाने और गँवाने के मामले में स्पष्ट है कि भाजपा ने  गँवाने और बचाने का काम लगभग एकसमान रूप में किया वहीं उसने २० सीटों को दूसरे दलों से छीन पाने में सफलता हासिल की. कांग्रेस इस मामले में बहुत कमजोर साबित हुई, जिसने अपनी ४२ सीटों में से सिर्फ आठ को बचाने में सफलता पाई जबकि एक भी सीट उसने किसी भी दल से नहीं छीनी.
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दिल्ली विधान सभा में तीनों दलों की पहले स्थान को लेकर स्थिति अपने आपमें मजेदार कही जा सकती है. पाँच राज्यों में चुनाव में से तीन राज्यों में जबरदस्त परिणामों के साथ भाजपा ने अपना परचम फहराया तो उसे दिल्ली में बहुमत से जरा सा पीछे रह जाना पड़ा. इसी तरह से तीन सत्रों से दिल्ली की सत्ता पर विराजमान कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा जबकि चुनाव मैदान में पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी ने अप्रत्याशित सफलता प्राप्त की. पहले स्थान पर जीत के अंतर के मामले में भाजपा सबसे आगे रही. भाजपा के अनिल झा ने किरारी विधानसभा सीट से आआपा के रंजन झा को ४८५२६ मतों से पराजित किया. इसी तरह से भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार डॉ० हर्षवर्धन ने कृष्णानगर सीट से कांग्रेस के डॉ० विनोद कुमार को ४३१५० मतों से पराजित किया. आम आदमी पार्टी कि तरफ से मतों का सर्वाधिक अंतर उनके दल के संयोजक अरविन्द केजरीवाल द्वारा प्राप्त किया गया. उन्होंने नई दिल्ली सीट से कांग्रेस की दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को २५९६४ मतों से पराजित किया.
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सारणी-३ -- विभिन्न दलों की जीत का अंतर वर्ष २०१३
जीत का अंतर
भाजपा
आआपा
कांग्रेस
४० हजार से अधिक
०२
००
००
३० हजार से ४० हजार तक
००
००
००
२० हजार से ३० हजार तक
०३
०१
०३
१० हजार से २० हजार तक
०९
०९
०१
१ हजार से १० हजार तक
१७
१४
०४
एक हजार से कम
०१
०४
००
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दिल्ली चुनाव परिणामों में भाजपा ने ३२ स्थान पर, आआपा ने २८ स्थान पर और कांग्रेस ने ०८ स्थानों पर पहले दल के रूप में कब्ज़ा जमाया. शेष ०२ सीटों में से एक पर जनता दल यूनाइटेड ने और एक पर निर्दलीय ने विजय प्राप्त की. उक्त सारणी से स्पष्ट है कि सिर्फ भाजपा ने दो सीटों पर चालीस हजार मतों से अधिक के अंतर से विजय प्राप्त की थी वहीं आआपा ने चार सीटों पर एक हजार से कम मतों के अंतर से जीत हासिल की.
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पहले स्थान से साथ-साथ दूसरे स्थान की लड़ाई भी दिल्ली विधान सभा में कम मजेदार नहीं कही जा सकती है. पहले स्थान की तरह से ही दूसरे स्थान पर क्रमशः भाजपा, आआपा और कांग्रेस ही रहे.
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सारणी-४ -- पहले और दूसरे स्थान का विवरण
दल का नाम
पहला स्थान
दूसरा स्थान
भाजपा
३२
३०
आआपा
२८
२०
कांग्रेस
०८
१६
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इन राजनैतिक दलों के अतिरिक्त बसपा ने ०२ स्थानों पर तथा लोकदल और निर्दलीय एक-एक सीट पर दूसरे स्थान पर रहे.
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दूसरे स्थान की लड़ाई में भाजपा को चार सीटों पर एक हजार से कम मतों से पराजय का मुंह देखना पड़ा जबकि ऐसा आआपा के साथ एकमात्र सीट पर हुआ. इसी तरह भाजपा के लिए १६ और आआपा के लिए १२ सीटें इस तरह की रही जहाँ हार का अंतर एक हजार से लेकर दस हजार के बीच रहा. इसको निम्न सारणी के माध्यम से समझा जा सकता है.
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सारणी-५ -- दूसरे स्थान पर रहे दल के मतों का अंतर
मतों का अंतर
भाजपा
आआपा
कांग्रेस
एक हजार से कम
०४
०१
००
एक हजार से १० हजार तक
१६
१२
०६
१० हजार से २० हजार तक
०८
०३
०८
२० हजार से ३० हजार तक
०२
०३
०१
३० हजार से अधिक
००
०१
०१
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दिल्ली विधान सभा चुनाव परिणामों के उक्त विवरण के अनुसार स्पष्ट है कि कोई एक दल बहुमत को प्राप्त नहीं कर सका है. मोदी लहर का सहारा लेकर चुनावी अभियान पर निकली भाजपा को भी चंद क़दमों पहले थम जाना पड़ा वहीं पहली बार अपनी राजनैतिक उपस्थिति दर्शा रही आआपा जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए बहुमत के बहुत नजदीक पहुँचने में सफल हुई. दिल्ली की सत्ता के साथ-साथ केंद्र की सत्ता को विगत वर्षों से लगातार संचालित करने वाली कांग्रेस दिल्ली में बुरी तरह से हार का शिकार हुई. केंद्र की नीतियों, अन्ना आन्दोलन के प्रभाव, मंहगाई, प्याज की कीमतों आदि ने जनता को कांग्रेस से विमुखकर भाजपा, आआपा की तरफ मोड़ा. ईमानदारी, कार्यकुशलता, स्वच्छ छवि आदि के सहारे अपनी उपस्थिति बनाने वाली आआपा यदि स्वच्छ सरकार देने में सफल होती है तो निश्चित ही भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दे सकेगी. फ़िलहाल इस आलेख के लिखे जाने तक दिल्ली में सरकार बनाये जाने सम्बन्धी मामला अधर में लटका हुआ है और यदि दो प्रमुख दलों –भाजपा और आआपा – ने अपनी-अपनी जिद को छोड़ सरकार बनाने की दिशा में पहल नहीं की तो दिल्ली की जनता को जल्द ही एक और चुनाव का भर सहना पड़ेगा.
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@ समस्त आँकड़े भारतीय चुनाव आयोग की अधिकृत वेबसाइट पर उपलब्ध चुनाव परिणामों के आधार पर तैयार किये गए हैं.
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डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
संपादक-मेनीफेस्टो (इंटरनेशनल रिस र्च जर्नल)
संपादक-स्पंदन (साहित्यिक पत्रिका)
 

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