04 जून 2011

है कोई, जो हमें तिहाड़ पहुँचा सके


पिछले पन्द्रह दिनों में हमारा यह नौवाँ प्रयास है और प्रत्येक प्रयास में हमने आंशिक सफलता प्राप्त की किन्तु पूर्ण सफलता प्राप्त करने से चूक गये। अब पता नहीं कि चूक गये या फिर चुका दिये गये। हमारे लगातार प्रयास हो रहे हैं किसी न किसी रूप में अपराध करके स्वयं को पकड़वाने के। अपराध किये भी पकड़े भी गये पर हाय री किस्मत! सब के सब मामले कहीं स्थानीय चैकी में तो कहीं थाने में ही निपटा दिये गये।

कहीं किसी से जमानत करवा दी गई, कहीं निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। शर्म तो इतनी आ रही है कि पूछिये मत, मुचलका भी कभी कुछ सौ रुपये का तो कभी कुछ हजार रुपये का। जमानत का भी इतना सा ही हाल। अब और क्या किया जाये? सुनते थे कि सरकारी नौकरी पर काम कर रहे को पीट दो तो लम्बे समय के लिए अन्दर, वह भी किया किन्तु उसने डर के मारे सुलहनामा पेश कर दिया। हमने बहुत मना किया कि हमें सुलह नहीं करनी पर....।

यह भी सुन रखा था कि बिजली की चोरी संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है। घर में कटिया लगाकर स्वयं ही विभाग के सबसे बड़े अधिकारी को बुलाया किन्तु वह अपनी चोरी बचाने के चक्कर में हमें निरपराध बताकर भाग निकला। तमाम सारे प्रयास किये कि किसी केस में लम्बा सा मामला बने और हम लम्बे समय के लिए अन्दर भेजे जायें। चरण दर चरण होते हुए तिहाड़ तब जायें पर सब बेकार। इधर चर्चित भ्रष्टाचार का मामला भी बनाकर देखा किन्तु अन्ना और बाबा के चक्कर में सरकारी अमले ने हम पर ही हाथ नहीं डाला। उन्हें डर लगा कि कहीं इन्हीं का आदमी तो नहीं जो सरकार की भ्रष्ट मशीनरी का हालचाल लेने निकला हो।

लगता है कि हमारा तिहाड़ तक पहुँचने की अभिलाषा मन में ही दबी रह जायेगी। जेल तो हम लोगों के लिए सदैव से पूज्य रही है, आखिर भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है। एक जन्मभूमि का विवाद चल रहा है और दूसरी के दर्शनों को छटे-छटाये लोग ही पहुँचते हैं। हमारी तो अपने आराध्य की जन्मस्थली को देखने का, वहाँ जाने-रहने का अरमान बहुत दिनों से तो था ही इधर देश के हालात ने तो जैसे हमारे अरमानों को उड़ान दे दी। लगा कि यदि इस समय तिहाड़ जाने को मिल जाये तो बचपन की एक और मुराद पूरी हो जायेगी।

बचपन से ही इच्छा थी कि बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों से मिला जाये, राजनीति में उतर कर इन्हीं के जैसा रोबदाब वाला बना जाये। कुछ कारण ऐसे रहे कि ऐसा नहीं हो सका किन्तु अब लग रहा है कि एक बार तिहाड़ जाने को मिल जाये तो बचपन का सपना साकार हो जाये। प्रातः स्मरणीय, परम पूज्य जेल का महत्व कभी कम नहीं था हमारी निगाह में और अब तो और भी बढ़ गया। हम हमेशा से कहते थे कि जेल में भेदभाव जैसा कुछ होता हीं नहीं है। यदि रंक बन्द है तो उसमें राजा भी बन्द है। आदमी बन्द है तो औरत भी बन्द है। खेलों में खेल दिखाने वाला बन्द है तो खूनी खेल खेलने वाला भी बन्द है। वाह! क्या सुनहरी तस्वीर है हमारे देश की जेलों की।

इस सुनहरी तस्वीर में तिहाड़ की तस्वीर का सौन्दर्य देखते ही बनता है। करोड़ों, अरबों, खरबों के घोटालेबाज अन्दर हैं, बड़े-बड़े राजनेता अन्दर हैं और हम हैं कि बाहर रह कर इनसे मिलने की जुगाड़ में लगे हैं। अब अपने दसवें प्रयास में लगना ही था कि एक हितैषी ने आकर एक रीजनिंग समझा कर हमारे मन को प्रसन्न कर दिया। उसने बताया कि जेल का सम्बन्ध क अक्षर से बहुत ही ज्यादा है। भगवान कृष्ण का जन्मस्थान, अब कलमाड़ी भी हैं, कनिमोई भी हैं, कसाब भी जेल में ही है (भले ही वो तिहाड़ में न हो)। ये तो वे हुए जो जेल में अपनी कारगुजारियों (अरे कारगुजारियों में भी क) के लिए हैं, एक ऐसे भी हुए हैं जो अच्छे कार्य के लिए तिहाड़ की शोभा बने-किरण बेदी-(अरे वाह, ये भी क से शुरू)। इसी क का संयाग देख हमने अपना नाम भी देखा तो दिल बल्लियों उछलने लगा-‘‘वो मारा पापड़ वाले को’’ अब कौन रोकेगा हमें तिहाड़ जाने से।

पर जब किस्मत काले कोयले से (ये क्या ये भी क!!) से लिखी हो तो कोई भी साथ नहीं देता, न ही क और न ही कांग्रेस। हमारा दसवाँ प्रयास भी एक चिरकुट से मुचलके की भेंट चढ़ गया। अब हम बहुत उदास हैं क्योंकि तिहाड़ की पावन भूमि पर अपने चरण पहुँचाने वालों में सम्भव है कि बहुत जल्दी एक नाम और जुड़ जाये। एक हम हैं जो इतने के बाद भी सड़क पर ही टहल रहे हैं। लगता है कि राजनीतिज्ञों से मिलने की बचपन की अभिलाषा शायद पूरी नहीं हो पायेगी। है कोई ऐसा जो हमारी हसरत को पूरा करवा सके और हमें तिहाड़ पहुँचा सके।


8 टिप्‍पणियां:

  1. यही इच्छा कुछ दिन पहले इन्हीं हालातों में पंकज मिश्र जी भी जाहिर किये थे. :)

    http://udbhavna.blogspot.com/2011/05/blog-post_25.html

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  2. यही इच्छा कुछ दिन पहले इन्हीं हालातों में पंकज मिश्र जी भी जाहिर किये थे. :)

    http://udbhavna.blogspot.com/2011/05/blog-post_25.html

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  3. यही इच्छा कुछ दिन पहले इन्हीं हालातों में पंकज मिश्र जी भी जाहिर किये थे. :)

    http://udbhavna.blogspot.com/2011/05/blog-post_25.html

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  4. हा हा हा, जो जेल जाने को तैयार है उसे भेजते नहीं है और जो घर बैठा है उसे ठूंस देते हैं क्या जमाना आ गया है राजा साहेब।

    बंशी वारे कुछ चमत्कार करे तो काम हो सकता है।

    जय छत्तीसगढ
    जय बुंदेलखंड

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  5. कोशिश करते रहिये ,सफ़लता जरूर मिलेगी :)
    लिखा अच्छा है आपने .....

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  6. क क क क किरण...... याद आ गयी.......
    एक फिल्म में था . फिल्म का नाम ध्यान नहीं आ रहा ...

    बेहतरीन व्यंग.. :)

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  7. Yes, It is Indian State ,just try A DHARNA/ANSAN/Andolan against the
    state ...... and.door will automatically open....to.reach..TIIIIIIIIIHHHHHHARRRRRRRRRRJJAIL...........& Y O U have Direct train from Jhansi.to.New Delhi..............to JantarManter........RamLeela Ground..................

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