14 अक्तूबर 2010

खेल ख़तम...अब दोषियों को भी याद किया जाए!!!




पिछले 12-13 दिनों से चले आ रहे खेलों का समापन भी हो गया। आगाज हुआ तो अन्त भी होना ही था। यह तो अच्छा हुआ कि हम पदकों की दौड़ में शतक लगा बैठे।

चित्र गूगल छवियों से साभार

घमासान अब होगा अथवा नहीं होगा ये तो पता नहीं पर यह पता है कि कुछ दिनों तक पदकों को लेकर हमारा सीना चौड़ा बना रहेगा। हमें और कुछ भी याद नहीं रहेगा। हमें इसके पहले के घोटाले भी अब याद नहीं रहेंगे। हमें इसके बाद के खामियाजे भी याद नहीं रहेंगे।

हमने पदक बहुत जीते, हमने दूसरा स्थान भी पा लिया, हमने रिकॉर्ड भी बना डाले....और चाहिए भी क्या है? बच्चे की जान लोगे क्या?

चलो इसी बात पर याद दिलाते चलें कि क्या उस भोले से बच्चे कलमाड़ी को भुला दिया जायेगा? घोटाला तो हुआ है और इसका पर्दाफाश भी होना चाहिए।

पदक हमारे खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत से प्राप्त किये हैं उनके श्रेय के पीछे दोषियों को सजा से मुक्त न कर दिया जाये यह ध्यान रखना होगा।

तो इसी बात पर जोर से बोलो--‘‘चक दे इंडिया’’


2 टिप्‍पणियां:

  1. पदक हमारे खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत से प्राप्त किये हैं उनके श्रेय के पीछे दोषियों को सजा से मुक्त न कर दिया जाये यह ध्यान रखना होगा।


    यह बात बिलकुल सही है ..दोषियों को नहीं छोड़ा जाना चाहिए ...सब कुछ अच्छा हो गया तो यह मतलब नहीं है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल गया

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  2. हां खानापूर्ति तो अवश्य की जायेगी पर कुछ होगा नही यह पक्का है.:)

    दुर्गा नवमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं.

    रामराम.

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