23 अप्रैल 2010

ये नहीं रुकता तो लगाओ नारे - "जय श्री राम", "अल्लाह हो अकबर"


पिछले कुछ दिनों से ब्लॉग पर घूमाफिरी तो हो रही है किन्तु बहुत कम टिपियाने का मन कर रहा होता है। इसका एक सबसे बड़ा कारण कुछ ढंग का न लिखा जाना है। इस कुछ ढंग का न लिखे जाने जैसी कोढ़ की स्थिति में खाज जैसी हालत ये हो गई कि ब्लॉग पर भी साम्प्रदायिकता दिखाई देने लगी है।


(चित्र गूगल छवियों से साभार)


यह साम्प्रदायिकता दबी-छिपी नहीं बल्कि खुलकर सामने आ रही है। कुछ गिने-चुने ब्लॉग तो बाकायदा इसी लिए बने से मालूम होते हैं। (नाम या लिंक देकर किसी तरह का बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं।)

ऐसी स्थिति को देखकर पिछले दिनों अपने आपसे कुछ प्रश्न किये, वही आपके सामने हैं कि


क्या ब्लॉग पर भी हिन्दुस्तान जैसा बँटवारा होकर यहाँ भी भारत और पाकिस्तान जैसे दो देश बनेंगे?


क्या ब्लॉग भूमि पर भी कोई आन्दोलन चलाकर, कारसेवा जैसा आन्दोलन छेड़कर बाबरी ध्वंस जैसी स्थिति पैदा की जायेगी?


क्या ब्लॉग की साम्प्रदायिकता धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते किसी गोधरा-गुजरात जैसी दंगों की स्थिति का जन्म देगी?


ब्लॉग पर भी कोई कट्टरपंथी संगठन आकर अपना-अपना रुतबा गाँठने की कोशिश करेगा?


क्या कोई ब्लॉग पर भी साम्प्रदायिकता का पैरोकार बन मौलवियों, इमामों, धर्माचार्यों, जगतगुरुओं की तरह आकर शांति के खुले और हिंसा के छिपे संदेश जारी करेगा?


क्या यहाँ भी धर्म और मजहब के नाम पर ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री का पाठन और प्रोत्साहन किया जायेगा?


क्या यहाँ भी मजहबी, धार्मिक संगठनों की उपस्थिति दिखाई देने लगेगी?


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आखिर ब्लॉग संसार हमें तो शुरुआती दौर से ही समाज की तरह से संचालित होता दिखा है। यदि ऐसे में समाज की तरह की क्रियाविधि यहाँ भी दिखाई देने लगे तो हमें तो आश्चर्य नहीं होगा। ऊपर के सवाल ब्लॉग जगत के उन महारथियों से हैं जो अपने प्रयासों से ब्लॉग को समर्थ, समृद्ध बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

इन सवालों के जवाबों के आलोक में कृपया ब्लॉग जगत की पुनर्स्थापना, पुनर्संगठन की ओर भी ध्यान दें अन्यथा ब्लॉग समृद्धता के प्रयास विफलता की ओर जाते दिख रहे हैं।

आशा है कि सभी लोग सौहार्द्र का वातावरण निर्मित करने में आपसी सहयोग करेंगे। यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर शुरू कर दो -‘जय श्रीराम’ ‘हर-हर, बम-बम’ ‘अल्लाह हो अकबर’ ‘या अली’- के नारे लगाना।


4 टिप्‍पणियां:

  1. एक सार्थक पोस्ट के लिए बहुत बहुत आभार और शुभकामनयें !

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  2. aadrniya aadaab aapne desh ki soch ki dukhti rg pr haath rkhaa he agr aap jesi soch ke log apne vichooron ki jvaala bhdkaate rhe to saamprdaayiktaa bhdkaane vaale to ulte per bhaag jaayenge. akhtar khan akela kota rajasthan

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