29 जनवरी 2010

रिकार्डतोड़ मिली टिप्पणियों की प्रस्तुति - आभार सहित

26 जनवरी को देश ने अपना गणतंत्र दिवस मनाया और हमने एक प्रकार का स्वतन्त्रता दिवस एक पोस्ट लिखी थी जिसमें अब हमने टिप्पणी-द्वार बंद करने का निर्णय लिया था
आश्चर्य अपनी सबसे अच्छी समझी जाने वाली पोस्ट पर भी इतनी टिप्पणियां नहीं आईं जितनी इस एक पोस्ट पर मिल गईं
आप सभी का आभार कि आप सब का स्नेह हमेशा ही हमें मिलता रहा है हम खुद ही अपने को कुछ असहज महसूस कर रहे थे सो ये निर्णय लिया
आप सब में से हमारे शुभचिंतकों ने अपनी टिप्पणियों के द्वारा हमारा मार्गदर्शन किया, आभार
क्षमा उन सभी लोगों से जिन्होंने टिप्पणी लेना बंद करने का सुझाव दिया, कि हम चाह कर भी ऐसा नहीं कर पा रहे हैं टिप्पणी बंद मतलब बंद..............आगे क्या होगा ये बाद की बात है
हाँ, हमारा -मेल प्रोफाइल में है.........................
आप सभी के अनमोल विचार और हमारी इस पोस्ट पर आईं रिकार्ड तोड़ टिप्पणियों (26 टिप्पणियां) का प्रस्तुतीकरण..................
फिर से सभी के प्रति आभार..........अब अगली पोस्ट से फिर विचारात्मक, रचनात्मक लेखन शुरू होगा

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"टिप्पणी करने का आज आखिरी मौका - कल से टिप्पणी-द्वार बंद हो रहा है"

Blogger Udan Tashtari said...

काल करे सो आज कर...के तहत आज ही बंद कर देना था...:)

टिप्पणी देना बंद नहीं करेंगे जानकर अच्छा लगा.


गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व पर आपका एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं अनेक शुभकामनाएँ.

सादर
समीर लाल

January 26, 2010 9:40 PM

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Blogger मनोज कुमार said...

अच्छी पोस्ट!

January 26, 2010 9:50 PM

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Blogger प्रवीण शाह said...

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आपका फैसला सर माथे पर देव,
आखिर आप अपने ब्लॉग और मर्जी के मालिक जो हैं।

January 26, 2010 10:44 PM

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Blogger अजय कुमार झा said...

डा. साहब ये क्या , आपके दुख को समझा जा सकता है , मगर अब तो सर्दियां बीत रही हैं और द्वार खुलने का समय हो रहा है और आप बंद किए दे रहे हैं , हम तो यही कहेंगे कि इसकी जरूरत नहीं है कृपया न बंद करें
अजय कुमार झा

January 26, 2010 10:46 PM

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Blogger अरविन्द चतुर्वेदी Arvind Chaturvedi said...

तुलसी इस संसार में भांति भांति के ब्लोग ...बाकी आपकी श्रद्धा.

January 26, 2010 11:11 PM

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Blogger दीपक 'मशाल' said...

सही कह रहे हैं आप जब टिप्पणी का खेल व्यापार बन जाये तो इसे close करना ही उचित है... सब जगह यही कंचे बदलने का खेल जारी है... अम्बरीश अम्बुज नाम के एक चिट्ठाकार ने तो इसीलिए ये सब छोड़ दिया कि वो इंजीनिअरिंग का छात्र है... कब तक ये खेल खेल पायेगा... जिस दिन टिप्पणी देना band उसदिन कालजयी रचना कि सृष्टि पर भी कोई टिप्पणी ना मिलेगी...
जय हिंद... जय बुंदेलखंड....

January 26, 2010 11:25 PM

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Blogger दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi said...

टिप्पणियाँ प्रोत्साहित करती हैं यह सही है। लेकिन क्या हम ब्लाग टिप्पणी के लिए लिख रहे हैं? मुझे नहीं लगता कि ऐसा है। यदि आप किसी विमर्श में हैं तो टिप्पणियाँ जरूर आती हैं। लेकिन जबरन टिप्पणियाँ करने या करवाने से कुछ नहीं होगा।
मेरे दो ब्लाग नियमित हैं। एक ब्लाग पर टिप्पणियाँ कम आती हैं लेकिन पाठक बहुत अधिक हैं दूसरे पर टिप्पणियाँ खूब आती हैं लेकिन पाठक कभी कभार ही अधिक हो पाते हैं।
मेरा ब्लाग लिखने का मंतव्य तो नेट पर उपलब्ध उपयोगी हिन्दी सामग्री में वृद्धि करना है। इस लक्ष्य में टिप्पणियों की कोई दरकार नहीं है। मिलती हैं तो उसे पाठकों की भेंट समझ कर स्वीकार कर लेना चाहिए।

January 26, 2010 11:31 PM

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Blogger संगीता पुरी said...

यदि ब्‍लॉग जगत में टिप्‍पणियों के लिए टिप्‍पणी देने का नियम है .. तो मैंने तो इसका पालन नहीं किया .. कभी कभी लगातार ब्‍लॉग्‍स पढती हूं .. मन हुआ तो उसपर टिप्‍पणियां करती हूं .. नहीं तो कितने दिनों तक न कुछ पढ पाती हूं और न ही टिप्‍पणी कर पाती हूं .. वैसे टिपपणी की चिंता नहीं करनी चाहिए !!

January 26, 2010 11:45 PM

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Blogger महफूज़ अली said...

सही कह रहे हैं आप जब टिप्पणी का खेल व्यापार बन जाये तो इसे close करना ही उचित है... सब जगह यही कंचे बदलने का खेल जारी है... टिप्पणियाँ प्रोत्साहित करती हैं यह सही है। लेकिन क्या हम ब्लाग टिप्पणी के लिए लिख रहे हैं? मुझे नहीं लगता कि ऐसा है। यदि आप किसी विमर्श में हैं तो टिप्पणियाँ जरूर आती हैं। लेकिन जबरन टिप्पणियाँ करने या करवाने से कुछ नहीं होगा।

यदि ब्‍लॉग जगत में टिप्‍पणियों के लिए टिप्‍पणी देने का नियम है .. तो मैंने तो इसका पालन नहीं किया .. कभी कभी लगातार ब्‍लॉग्‍स पढता हूं .. अच्छा लगा तो उस पर टिप्‍पणियां करता हूं .... हाँ! जिनसे रिश्ते बन गए हैं.... उन पर टिप्पणी करना तो फ़र्ज़ है.... चाहे जैसा भी पोस्ट हो.... अपनों से प्यार करने में दिल को सुकून मिलता है.... और मेरे तो सब परिवार हैं.... यह तो है की इच्छा के विरुद्ध नहीं जोर देना चाहिए.... पर अपनों से तो कहा ही जा सकता है...

सादर....

January 27, 2010 12:22 AM

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Blogger डॉ महेश सिन्हा said...

क्या कहें
अनधिकृत प्रवेश से आप ज्यादा परेशान लगते हैं
वही दिल और दिमाग का द्वंध

January 27, 2010 12:45 AM

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Blogger भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

लेन-देन पर न जायें तो टिप्पणी बन्द करना उचित नहीं है. बाकी अगर कोई मेल भेजता है तो उसे स्पैम कर दीजिये.

January 27, 2010 2:24 AM

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Blogger बी एस पाबला said...

इस मामले में तो हम भी फिस्सडी हैं

अपने एक ब्लॉग पर मैं भी बंद कर चुका था टिप्पणियाँ, किन्तु कुछ दिनों बाद ही पाठकों के आग्रह पर निर्णय वापस लेना पड़ा।

द्विवेदी जी की टिप्पणी सारगर्भित है

मेरी व्यक्तिगत राय में टिप्पणियाँ बंद करना उचित सा नहीं है।

बी एस पाबला

January 27, 2010 5:32 AM

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Blogger अनूप शुक्ल said...

चलने दीजिये भाई! लोग कुछ कहना चाहते हैं तो रोकिये तो मती!
इस बारे में कभी लिखा था मैंने टिप्पणी करी करी न करी।
http://hindini.com/fursatiya/archives/454

January 27, 2010 7:52 AM

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Blogger जी.के. अवधिया said...

टिप्पणी के लिये आमन्त्रण मेल वाकइ में खीझ पैदा करती है।

जहाँ सटीक टिप्पणियाँ प्रोत्साहित करती है वहीं पोस्ट के विषय से हटकर तथा समझ में न आने वाली टिप्पणियाँ पढ़ कर दिमाग खराब हो जाता है।

January 27, 2010 8:30 AM

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Blogger पी.सी.गोदियाल said...

बस यही कहूंगा की डा० साहब , मेरे ब्लॉग पर मत आना टिपण्णी देने के लिए :)

January 27, 2010 10:25 AM

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Blogger गिरीश बिल्लोरे 'मुकुल' said...

हफ्फ हफ्फ हाफ हांफते हुए आ ही गया टिपियाने
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक अभिनन्दन एवं अनेक शुभकामनाएँ.

January 27, 2010 11:08 AM

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Blogger प्रकाश गोविन्द said...

भाई आमंत्रण मेल से मैं भी भयंकर त्रस्त हूँ लेकिन किया क्या जाए ?
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क्यों न एक नियम बना दिया जाए कि जितनी टिप्पणियाँ आपके ब्लॉग पे आएँगी उसका साठ परसेंट लौटाना अनिवार्य होगा !
जो घोषित रूप आलसी (जैसे मैं) हैं उनको भारी छूट दे दी जाए !
क्यों जी सही है न ?

January 27, 2010 3:49 PM

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Blogger shikha varshney said...

achcha kia ji ! asha hai sab samjh gaye honge ab aapko koi pareshannahi karega. :)

January 27, 2010 3:59 PM

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Blogger Dr. Smt. ajit gupta said...

भाई, कुछ बात हजम नहीं हुई। माना कि टिप्‍पणी तभी मिलती है जब आप भी करते हैं। लेकिन फौरी टिप्‍पणी से भी कुछ होता नहीं। यहाँ तो केवल पोस्‍ट ही है, जब किताब प्रकाशित होती है तब भी उसे कितने लोग पढ़ते हैं और अपनी प्रतिक्रिया देते हैं? यदि दुनिया में पढ़ने-लिखने की इतनी ही रुचि होती तो आज दुनिया का रूप और कुछ होता। क्‍या फर्क पड़ता है कि टिप्‍पणी दस मिली या सौ? हमने अपने विचार लिखे, ब्‍लाग के माध्‍यम से इतिहास बन गए बस।

January 27, 2010 4:57 PM

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Blogger मिहिरभोज said...

अरे भाई काहे इतना दुखी हो रहे है...मैल आई ही दूसरा बना लेना था....

January 27, 2010 6:12 PM

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Blogger रचना said...

aap ki post kaa asli mudda haen wo mail jo aap kae mail box mae aatee rehtee haen protsaahit honae kae liyae

aap naari blog kae niyamit paathak haen aur kament bhi kartey haen lekin aap kae blog par mae kewal unhi post par kaemnt kartee hun jin mae vishay naari sae sambandhit hotaa haen

protsaahan kae naam par 1000 kament mil jaane sae bhi kyaa hotaa haen kewal aur kewal google server ki jagah girhtee jaatee haen !!!!!!

aur bemaksad ki tippani kaa kaya faydaa haen bbehas ho to vyakigat hotee haen yahaan kyuki yahaan gut banaakar log parivarik jaankariyaa hasil kartey haen aur phir unko blog par kament mae paste kartey haen

aap tippani band naa karey bas publish mat karey yaa dikhaye mat dont show comments kaa option bhi hotaa haen

January 27, 2010 6:15 PM

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Anonymous Anonymous said...

Swagat yogya nirnay

January 27, 2010 6:30 PM

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Blogger Vivek Rastogi said...

सही है, हम भी यही सोच रहे थे, कि अगर केवल अपने विचार ही व्यक्त करने हैं तो क्यों न टिप्पणी लेना बंद कर देना चाहिये,टिप्पणी देना जारी रहेगा।

January 27, 2010 9:44 PM

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Blogger Prateek said...

लो बिना बात के ही हो गयी इतनी सारी टिप्पणिया!
आपके टिप्पणियों का दुःख देखा नहीं जाता, कसम से!

January 27, 2010 10:10 PM

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Blogger Kirtish Bhatt, Cartoonist said...

इस विषय में तर्क/ कुतर्क सभी अपनी जगह .... में आपके निर्णय से शतप्रतिशत सहमत हूँ. आप आज ये कर रहे हैं, में १०-१५ दिन पहले यह कर चूका हूँ. इन्टरनेट पर हिंदी /हिंदी ब्लॉग्गिंग को लेखको और पाठको की जरूरत हैं ना कि टिप्पणीकारों की. आपको शुभकामनाएं!!!

January 28, 2010 1:50 AM

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Blogger निर्मला कपिला said...

आपकी बहुत सी बातें सब के मन की हैं । लोग टिप्पणी के लिये मेल बाक्स ही भर देते हैं। मगर क्या करें अभी तो जैसे चल रहा है चलने देते हैं मगर खुद किसी को मेल नहीं भेजते इस बात को जारी रखेंगे। वैसे जो हमारे ब्लाग पर आता है उसके ब्लाग पर तो जरूर जाती हूँ। टिप्पणी करने और न करने पर तो एक बहुत बडी पोस्ट लिखनी पडेगी। आप मेरे ब्लाग पर आये धन्यवाद आपने मेरी पुस्तक समीक्षा को अपने ब्लाग पर लगाने की इजाजत माँगी है मुझे शर्मिन्दा मत करें उस ब्लाग की कोई भी रचना आप अपने ब्लाग पर लगा सकते हैं ये मेरा सौभाग्य होगा। उत्साहवर्द्धन के लिये धन्यवाद। कृप्या टिप्पणी बन्द मत करें। आगे से भी आपका सहयोग मिलता रहेगा इसी आशा के साथ शुभकामनायें

January 28, 2010 8:26 AM

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